पेरिस के ज्यादातर कस्बाई इलाकों में अश्वेत ही अधिक संख्या में हैं। इन्हीं कस्बाई इलाकों में एक जगह बोंडी है। यह वह स्थान हैं जहां से फ्रांस के स्टार कायलियन मबापे ने फुटबॉल का ककहरा सीखा।
यह मृदुभाषियों के बीच बड़ा धब्बा भी लगा है, सामाजिक कलह और दंगो का धब्बा। यहां आतंक, अपराध की विचारधारा को जन्म मिलता है। लेकिन मबापे की परी कथा सी उड़ान ने यहां के अश्वेत युवाओं की दिशा बदल दी है। अब लोग इस 19 वर्षीय स्ट्राइकर का अनुसरण करते हुए उन जैसा बनना चाहते हैं।
यह सिर्फ बोंडी की कहानी नहीं है। फ्रांस की विश्व कप टीम में इस वक्त आठ ऐसे खिलाड़ी हैं, जो ऐसे ही कस्बाई इलाकों से आए हैं और सभी इलाकों में फुटबॉलर बनने की होड़ मची है। पॉल पोग्बा, मटूडी, नगोले कांते, फोंटेनी बोइस, बेंजामिन मोंडी ऐसे ही फुटबॉलर हैं जो अपने क्षेत्रों में हीरो बन पड़े हैं।