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इसे कहते हैं बदलाव, पेरिस की जिस जगह पर पनपता था अपराध, अब लगी है मबापे बनने की होड़

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला Updated Fri, 06 Jul 2018 05:25 AM IST
fifa world cup 2018 mbappe became the hero of paris
म्बाप्पे

पेरिस के ज्यादातर कस्बाई इलाकों में अश्वेत ही अधिक संख्या में हैं। इन्हीं कस्बाई इलाकों में एक जगह बोंडी है। यह वह स्थान हैं जहां से फ्रांस के स्टार कायलियन मबापे ने फुटबॉल का ककहरा सीखा। 



यह मृदुभाषियों के बीच बड़ा धब्बा भी लगा है, सामाजिक कलह और दंगो का धब्बा। यहां आतंक, अपराध की विचारधारा को जन्म मिलता है। लेकिन मबापे की परी कथा सी उड़ान ने यहां के अश्वेत युवाओं की दिशा बदल दी है। अब लोग इस 19 वर्षीय स्ट्राइकर का अनुसरण करते हुए उन जैसा बनना चाहते हैं।


यह सिर्फ बोंडी की कहानी नहीं है। फ्रांस की विश्व कप टीम में इस वक्त आठ ऐसे खिलाड़ी हैं, जो ऐसे ही कस्बाई इलाकों से आए हैं और सभी इलाकों में फुटबॉलर बनने की होड़ मची है। पॉल पोग्बा, मटूडी, नगोले कांते, फोंटेनी बोइस, बेंजामिन मोंडी ऐसे ही फुटबॉलर हैं जो अपने क्षेत्रों में हीरो बन पड़े हैं।

आर्टिफिशियल टर्फ की जगह खराब मैदान पर अभ्यास

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kylian mbappe
रिकार्डो खुलासा करते हैं कि बोंडी की टीम में शामिल होने के बाद उन्हें एक महत्वपूर्ण मुकाबला खेलने जाना था। उन्होंने आर्टिफिशियल टर्फ पर प्रैक्टिस करने के बजाय बोंडी के ऊबड़-खाबड़ मैदान पर प्रैक्टिस करने का फैसला लिया। यह वही मैदान है जहां बोंडी के ज्यादातर युवा प्रैक्टिस किया करते हैं। इस मैदान पर बाउंस का कुछ अतापता नहीं था। 

किक लगाने पर धूल उड़ा करती थी। और यही वह जगह थी जहां सबसे कठिनाई से फुटबॉल खेली जा सकती थी। यहीं से खेलकर मबापे पहले मोनाको उसके बाद पेरिस सेंट जर्मेन और अब फ्रांस की टीम में पहुंचे हैं। बोंडी के इस मैदान पर आज भी बड़ी तादाद में युवा फुटबॉलर पहुंच रहे हैं।

बचपन के कोच ने कभी ड्रिबल करने से नहीं रोका

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म्बाप्पे
बोंडी में एंटोनियो रिकार्डो ऐसे कोच हैं जो लंबे समय से यहां के बच्चों को फुटबॉल सिखा रहे हैं। मबापे भी सबसे पहले रिकार्डो के पास आए थे। वह बताते हैं कि बचपन से ही वह काफी तेज दौड़ता था। उसे ड्रिब्लिंग करने की आदत थी। हालांकि फुटबॉल में ड्रिब्लिंग को इतना अच्छा नहीं माना जाता है, लेकिन उन्होंने उसे कभी यह करने से नहीं रोका। 

रिकार्डो का मानना था कि मबापे के खेल का सबसे अच्छा पहलू ही लोगों को छकाते हुए ड्रिब्लिंग करना था। फिर वह उसे ऐसा करने से कैसे रोक सकते थे। आज उनका यही पक्ष उनकी बड़ी उपलब्धि बनता दिखाई दे रहा है।
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