अमेरिका में जा बसे होटल-मालिक विपुल पटेल यहां के भारतीय रेस्टोरेंट तंदूर में खाना खाने गए थे। वहां भीड़ इतनी ज्यादा थी कि थोड़ी देर बाहर टहलने निकल आए। सामने ही खूबसूरत चर्च है और वहीं म्यूजियम भी है। विपुल समय गुजारने की गरज से उसमें चले गए। थोड़ी ही देर हुई थी और बाहर निकलने ही वाले थे कि उनकी आंखों ने जो देखा, वह ख्वाब जैसा ही था, कि ठीक सामने अमिताभ बच्चन खड़े थे।
विपुल ने बताया- मेरी जीवन में तीन महान हस्तियों से मिलने की ख्वाहिश रही है- सचिन तेंदुलकर, अमिताभ बच्चन और ग्रेट पेले। सचिन से तो मिल लिया। अमिताभ बच्चन यूं सरे राह मिल जाएंगे, कभी सोचा ही नहीं था। पहले तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि जिसे देख रहा हूं, वो अमिताभ बच्चन भी हो सकते हैं। उन जैसी हस्ती यूं आसानी से मिल जाए, यह सपना ही हो सकता है।
जब मुझे यह भरोसा हो गया कि ख्वाब नहीं, सच है और सामने अमिताभ ही खड़े हैं तो फौरन उनके सामने जाकर खड़ा हो गया। उनकी तरफ से भी मुस्कराहट आई तो हौसला बढ़ा। उनकी मुस्कान जैसे कह रही थी कि पहचानने वाले यहां भी, लेकिन कोई नाराजी नहीं, कोई गुरूर नहीं। एकदम सीधा-सादा आम आदमी। मुझे वाकई आश्चर्य हो रहा था कि उन्हें यहां सेंट पीटर्स बर्ग में कोई पहचान क्यों नहीं रहा है।
हमारे यहां तो अब तक भीड़ लग जाती। जब उनसे सेल्फी को कहा तो फौरन तैयार हो गए। मैंने भी कांपते हाथों से ना जाने कितनी तस्वीर उतार ली कि कोई तो ठीक आ ही जाएगी। उनकेसाथ शायद श्वेता के बच्चे भी थे, और कोई नजर नहीं आया।
पता चला है कि फुटबॉल का आखरी मुकाबला देखने आए हैं, लेकिन मुझे तो यही लगता रहा कि मेरी मुराद पूरी करने ही आए थे। बचपन में कहानियों में सुना था कि भगवान आए, वरदान दिया और अंतर्ध्यान हो गए। बस, ऐसा ही मेरे साथ हुआ। उनसे मिल कर सीधा होटल आ गया। यह भी याद नहीं आया कि खाना खाने गया था। पेट तो उनसे मिल कर ही भर गया था!
अमेरिका में जा बसे होटल-मालिक विपुल पटेल यहां के भारतीय रेस्टोरेंट तंदूर में खाना खाने गए थे। वहां भीड़ इतनी ज्यादा थी कि थोड़ी देर बाहर टहलने निकल आए। सामने ही खूबसूरत चर्च है और वहीं म्यूजियम भी है। विपुल समय गुजारने की गरज से उसमें चले गए। थोड़ी ही देर हुई थी और बाहर निकलने ही वाले थे कि उनकी आंखों ने जो देखा, वह ख्वाब जैसा ही था, कि ठीक सामने अमिताभ बच्चन खड़े थे।
विपुल ने बताया- मेरी जीवन में तीन महान हस्तियों से मिलने की ख्वाहिश रही है- सचिन तेंदुलकर, अमिताभ बच्चन और ग्रेट पेले। सचिन से तो मिल लिया। अमिताभ बच्चन यूं सरे राह मिल जाएंगे, कभी सोचा ही नहीं था। पहले तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि जिसे देख रहा हूं, वो अमिताभ बच्चन भी हो सकते हैं। उन जैसी हस्ती यूं आसानी से मिल जाए, यह सपना ही हो सकता है।
जब मुझे यह भरोसा हो गया कि ख्वाब नहीं, सच है और सामने अमिताभ ही खड़े हैं तो फौरन उनके सामने जाकर खड़ा हो गया। उनकी तरफ से भी मुस्कराहट आई तो हौसला बढ़ा। उनकी मुस्कान जैसे कह रही थी कि पहचानने वाले यहां भी, लेकिन कोई नाराजी नहीं, कोई गुरूर नहीं। एकदम सीधा-सादा आम आदमी। मुझे वाकई आश्चर्य हो रहा था कि उन्हें यहां सेंट पीटर्स बर्ग में कोई पहचान क्यों नहीं रहा है।
हमारे यहां तो अब तक भीड़ लग जाती। जब उनसे सेल्फी को कहा तो फौरन तैयार हो गए। मैंने भी कांपते हाथों से ना जाने कितनी तस्वीर उतार ली कि कोई तो ठीक आ ही जाएगी। उनकेसाथ शायद श्वेता के बच्चे भी थे, और कोई नजर नहीं आया।
पता चला है कि फुटबॉल का आखरी मुकाबला देखने आए हैं, लेकिन मुझे तो यही लगता रहा कि मेरी मुराद पूरी करने ही आए थे। बचपन में कहानियों में सुना था कि भगवान आए, वरदान दिया और अंतर्ध्यान हो गए। बस, ऐसा ही मेरे साथ हुआ। उनसे मिल कर सीधा होटल आ गया। यह भी याद नहीं आया कि खाना खाने गया था। पेट तो उनसे मिल कर ही भर गया था!