रूस में हो रहे विश्व कप में फाइनल में दोनों टीमें यूरोप की हैं। अब तक आठ बार ऐसा हुआ है जब ऑल यूरोपियन फाइनल हुआ है। एक नजर इन मुकाबलों पर
1934: इटली 2-1 चेकोस्लाविया : मेजबान इटली ने अतिरिक्त समय तक चले मुकाबले में इटली यूरोप की पहली चैंपियन बनी थी। चेकोस्लाविया ने एंटोनिन पुक के 71वें मिनट में किए गोल से बढ़त बनाई लेकिन रैमुंडो ओरसी ने स्कोर बराबर कर दिया। एंजेलो शियावियो ने निर्णायक गोल किया।
खास बात : यह पहला विश्व कप फाइनल था जब दोनों टीमों के कप्तान गोलकीपर ही थे। इटली की कमान गियामपिएरो कोम्बी और चेकोस्लाविया की फ्रेंतिस्क प्लानिका ने संभाली थी।
1938: इटली 4-2 हंगरी
गिनो कोलाउसी और सिलवियो पियोला के दो-दो गोलों की मदद से इटली ने पेरिस में अपना खिताब सुरक्षित रखा। कोच विटोरियो पोज्जो ऐसे पहले कोच बने थे जिन्होंने दो खिता444ब जीते।
खास बात : इटली ने 1938 में खिताब जरूर जीता लेकिन एक भी मैच उसका ऐसा नहीं रहा जिसमें वो क्लीन शीट रही हो यानी उस पर गोल नहीं हुआ हो। उसने नार्वे
को 2-1, फ्रांस को 3-1, ब्राजील 2-1 और हंगरी को 4-2 से हराया।
1954 : वेस्ट जर्मनी 3-2 हंगरी
पचास के दशक में गोल्डन टीम के नाम से मशहूर हंगरी का दबदबा था। उसने वेस्ट जर्मनी को टूर्नामेंट में पहले 8-3 से हराया भी था और फाइनल में भी आठ मिनट के अंदर दो गोलों से बढ़त हासिल कर ली थी लेकिन मैक्स मोरलोक और हेल्मुट रहन ने वापसी करा दी।
खास बात : फाइनल में हार के साथ हंगरी का चार वर्षों में तीस मैचों से चला आ रहा न हारने का सिलसिला टूटा। हंगरी का रिकॉर्ड बाद में 1993 में अर्जेंटीना ने तोड़ा था।
1966 : इंग्लैंड 4-2 वेस्ट जर्मनी
इंग्लैंड की टीम ने पहली बार विश्व कप ट्रॉफी अपने नाम की। अतिरिक्त समय तक चले मैच में ज्योफ हर्स्ट ने इस मैच में हैट्रिक लगाई थी।
खास बात : इंग्लैंड के बॉबी और जैक चार्ल्टन ऐसे भाई रहे जो विश्व विजेता टीम का हिस्सा रहे। चार्ल्टन बंधुओं से पहले 1954 में वेस्ट जर्मनी की टीम में फिट्ज और ओटमर वाल्टर बंधु शामिल थे।
1974 : नीदरलैंड 1-2 वेस्ट जर्मनी
जर्मनी की टीम शुरुआत में एक गोल से पिछड़ रही थी लेकिन पॉल ब्रेटिनेर ने पेनाल्टी और गेरार्ड मूलर ने नीदरलैंड का खिताब जीतने का सपना तोड़ दिया।
खास बात : मूलर ने विश्व कप में 14 गोल किए इनमें से एक भी गोल पेनाल्टी बॉक्स के बाहर से नहीं किया गया जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
1982: इटली 3-1 वेस्ट जर्मनी
ग्रुप मैच में बिना एक जीत के नॉकआउट में पहुंची इटली की टीम ने बाद में शानदार प्रदर्शन किया। मैड्रिड में खेले गए फाइनल में पाब्लो रोसी, मार्को टेरडेली और अल्टोबेली स्कोरर रहे। यह इटली का तीसरा खिताब था।
खास बात : इटली की टीम में 40 साल के डिनो जोफ और 18 साल के गियुसेपे बरगोमी शामिल थे जोकि क्त्रस्मश: विश्व कप के सबसे उम्रदराज और दूसरे सबसे युवा खिलाड़ी थे।
2006 : इटली 1-1 फ्रांस (शूटआउट 5-3)
फ्रांस के जिनेदिन जिदान ने खाता खोला लेकिन इटली के मैटराजी ने हेडर से गोल कर दिया। बाद में जिदान की मैटराजी से भिड़ंत (हेड बट) हुई। उन्हें बाहर कर दिया गया और इटली पेनाल्टी में चौथा खिताब जीतने में सफल रहा।
खास बात : मैटराजी दो गोलों के सा?थ इटली के संयुक्त रूप से शीर्ष स्कोरर बने। लुका टोनी ने भी दो गोल किए थे। इससे पहले जिस भी टीम ने खिताब जीता। उसके कम से कम एक खिलाड़ी ने तीन या उससे ज्यादा गोल किए थे।
2010: नीदरलैंड 0-1 स्पेन
इस फाइनल में बड़ा रफ-टफ खेल हुआ जिसमें 14 पीले कार्ड दिखाए गए। ?अतिरिक्त समय में आंद्रियास इनिस्ता के गोल से स्पेन पहली बार खिताब जीतने में सफल रहा।
खास बात : स्पेन विश्व कप इतिहास में ऐसी पहली टीम बनी जिसने अपना पहला मैच गंवाया और बाद में खिताब जीतने में सफल रही।
रूस में हो रहे विश्व कप में फाइनल में दोनों टीमें यूरोप की हैं। अब तक आठ बार ऐसा हुआ है जब ऑल यूरोपियन फाइनल हुआ है। एक नजर इन मुकाबलों पर
1934: इटली 2-1 चेकोस्लाविया : मेजबान इटली ने अतिरिक्त समय तक चले मुकाबले में इटली यूरोप की पहली चैंपियन बनी थी। चेकोस्लाविया ने एंटोनिन पुक के 71वें मिनट में किए गोल से बढ़त बनाई लेकिन रैमुंडो ओरसी ने स्कोर बराबर कर दिया। एंजेलो शियावियो ने निर्णायक गोल किया।
खास बात : यह पहला विश्व कप फाइनल था जब दोनों टीमों के कप्तान गोलकीपर ही थे। इटली की कमान गियामपिएरो कोम्बी और चेकोस्लाविया की फ्रेंतिस्क प्लानिका ने संभाली थी।
1938: इटली 4-2 हंगरी
गिनो कोलाउसी और सिलवियो पियोला के दो-दो गोलों की मदद से इटली ने पेरिस में अपना खिताब सुरक्षित रखा। कोच विटोरियो पोज्जो ऐसे पहले कोच बने थे जिन्होंने दो खिता444ब जीते।
खास बात : इटली ने 1938 में खिताब जरूर जीता लेकिन एक भी मैच उसका ऐसा नहीं रहा जिसमें वो क्लीन शीट रही हो यानी उस पर गोल नहीं हुआ हो। उसने नार्वे
को 2-1, फ्रांस को 3-1, ब्राजील 2-1 और हंगरी को 4-2 से हराया।
1954 : वेस्ट जर्मनी 3-2 हंगरी
पचास के दशक में गोल्डन टीम के नाम से मशहूर हंगरी का दबदबा था। उसने वेस्ट जर्मनी को टूर्नामेंट में पहले 8-3 से हराया भी था और फाइनल में भी आठ मिनट के अंदर दो गोलों से बढ़त हासिल कर ली थी लेकिन मैक्स मोरलोक और हेल्मुट रहन ने वापसी करा दी।
खास बात : फाइनल में हार के साथ हंगरी का चार वर्षों में तीस मैचों से चला आ रहा न हारने का सिलसिला टूटा। हंगरी का रिकॉर्ड बाद में 1993 में अर्जेंटीना ने तोड़ा था।
1966 : इंग्लैंड 4-2 वेस्ट जर्मनी
इंग्लैंड की टीम ने पहली बार विश्व कप ट्रॉफी अपने नाम की। अतिरिक्त समय तक चले मैच में ज्योफ हर्स्ट ने इस मैच में हैट्रिक लगाई थी।
खास बात : इंग्लैंड के बॉबी और जैक चार्ल्टन ऐसे भाई रहे जो विश्व विजेता टीम का हिस्सा रहे। चार्ल्टन बंधुओं से पहले 1954 में वेस्ट जर्मनी की टीम में फिट्ज और ओटमर वाल्टर बंधु शामिल थे।
1974 : नीदरलैंड 1-2 वेस्ट जर्मनी
जर्मनी की टीम शुरुआत में एक गोल से पिछड़ रही थी लेकिन पॉल ब्रेटिनेर ने पेनाल्टी और गेरार्ड मूलर ने नीदरलैंड का खिताब जीतने का सपना तोड़ दिया।
खास बात : मूलर ने विश्व कप में 14 गोल किए इनमें से एक भी गोल पेनाल्टी बॉक्स के बाहर से नहीं किया गया जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
1982: इटली 3-1 वेस्ट जर्मनी
ग्रुप मैच में बिना एक जीत के नॉकआउट में पहुंची इटली की टीम ने बाद में शानदार प्रदर्शन किया। मैड्रिड में खेले गए फाइनल में पाब्लो रोसी, मार्को टेरडेली और अल्टोबेली स्कोरर रहे। यह इटली का तीसरा खिताब था।
खास बात : इटली की टीम में 40 साल के डिनो जोफ और 18 साल के गियुसेपे बरगोमी शामिल थे जोकि क्त्रस्मश: विश्व कप के सबसे उम्रदराज और दूसरे सबसे युवा खिलाड़ी थे।
2006 : इटली 1-1 फ्रांस (शूटआउट 5-3)
फ्रांस के जिनेदिन जिदान ने खाता खोला लेकिन इटली के मैटराजी ने हेडर से गोल कर दिया। बाद में जिदान की मैटराजी से भिड़ंत (हेड बट) हुई। उन्हें बाहर कर दिया गया और इटली पेनाल्टी में चौथा खिताब जीतने में सफल रहा।
खास बात : मैटराजी दो गोलों के सा?थ इटली के संयुक्त रूप से शीर्ष स्कोरर बने। लुका टोनी ने भी दो गोल किए थे। इससे पहले जिस भी टीम ने खिताब जीता। उसके कम से कम एक खिलाड़ी ने तीन या उससे ज्यादा गोल किए थे।
2010: नीदरलैंड 0-1 स्पेन
इस फाइनल में बड़ा रफ-टफ खेल हुआ जिसमें 14 पीले कार्ड दिखाए गए। ?अतिरिक्त समय में आंद्रियास इनिस्ता के गोल से स्पेन पहली बार खिताब जीतने में सफल रहा।
खास बात : स्पेन विश्व कप इतिहास में ऐसी पहली टीम बनी जिसने अपना पहला मैच गंवाया और बाद में खिताब जीतने में सफल रही।