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Chanakya Niti: इस तरह कमाए हुए धन से व्यक्ति हो जाता है कंगाल, दरिद्रता नहीं छोड़ती कभी पीछा

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: आशिकी पटेल Updated Tue, 06 Jun 2023 11:53 AM IST
सार

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में धन कमाने के तरीके को लेकर भी कुछ बातें बताई हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार गलत तरीके से कमाया हुआ धन इंसान के पास ज्यादा दिन नहीं टिकता है।

Chanakya Niti Poverty Comes From This Type Of Earned Money Know These Things Of Acharya Chanakya in Hindi
इस तरह कमाए हुए धन से व्यक्ति हो जाता है कंगाल - फोटो : amar ujala

विस्तार
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Chanakya Niti: महान अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य ने एक नीति शास्त्र की रचना की है। इस नीति शास्त्र में उन्होंने जीवन के हर पहलू के बारे में विस्तार से बताया है। अपनी नीतियों का द्वारा चाणक्य ने जरूरी और कड़े संदेश भी दिए हैं, जिसमें उन्होंने धन, संपत्ति, स्त्री, दोस्त, करियर और दांपत्य जीवन से जुड़ी तमाम बातों का जिक्र किया है। आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में धन कमाने के तरीके को लेकर भी कुछ बातें बताई हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार गलत तरीके से कमाया हुआ धन इंसान के पास ज्यादा दिन नहीं टिकता है। चाणक्य कहते हैं कि ऐसी संपत्ति का विनाश होना तय है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में श्लोक का जिक्र किया है, जिसमे गलत तरीके से कमाए गए धन के बारे में बताता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में... 



अन्यायोपार्जितं वित्तं दशवर्षाणि तिष्ठति 
प्राप्ते चैकादशे वर्षे समूलं तद् विनश्यति ।।

चाणक्य कहते हैं कि लक्ष्मी चंचल होती हैं। ऐसे में यदि व्यक्ति चोरी, जुआ, अन्याय या किसी को धोखा देकर धन कमाता है तो वह धन शीघ्र नष्ट हो जाता है। इसलिए व्यक्ति को कभी भी गलत तरीके से धन अर्जित नहीं करना चाहिए। 


आत्मापराधवृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम् ।
दारिद्रयरोग दुःखानि बन्धनव्यसनानि च ।।

इस श्लोक के माध्यम से चाणक्य कहते हैं कि निर्धनता, रोग, दुख, बंधन और बुरी आदतें ये सभी मनुष्य के कर्मों का ही फल होती हैं। जो जैसा बीज बोता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। इसलिए व्यक्ति को सदैव अच्छे ही कर्म करने चाहिए। 

धनहीनो न च हीनश्च धनिक स सुनिश्चयः ।
विद्या रत्नेन हीनो यः स हीनः सर्ववस्तुषु ।।

इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को कभी धनहीन नहीं समझना चाहिए। व्यक्ति अज्ञान से हीन होता है न कि धन से, जो व्यक्ति विद्या के रत्न से हीन होता है वास्तव में वही सभी प्रकार के सुख-सुविधाओं से हीन हो जाता है। इसलिए व्यक्ति को कभी भी विद्या अर्जित करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।

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