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Union Budget 2023: कौन हैं सप्तऋषि, बजट में वित्त मंत्री सीतारमण ने क्यों लिया नाम? जानें इनके बारे में

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: आशिकी पटेल Updated Wed, 01 Feb 2023 12:33 PM IST
सार

Union Budget 2023, Saptarishi: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने समावेशी विकास, वंचितों को वरीयता, बुनियादी ढांचे और निवेश, क्षमता विस्तार, हरित विकास, युवा शक्ति, और वित्तीय क्षेत्र को इस बजट का सप्तर्षि बताया है। इस खबर में जानिए कौन हैं सप्तऋषि?
 

कौन हैं सप्तऋषि, बजट में वित्त मंत्री सीतारमण ने क्यों लिया नाम
कौन हैं सप्तऋषि, बजट में वित्त मंत्री सीतारमण ने क्यों लिया नाम - फोटो : संसद टीवी

विस्तार

Union Budget 2023, Saptarishi: 01 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का केंद्रीय बजट 2023-24 पेश कर दिया है। आम चुनाव से पहले ये सरकार का आखिरी पूर्ण बजट है। ये बजट वित्त मंत्री द्वारा सभी वर्गों को ध्यान में रखते हुए पेश किया गया है। इस बार के बजट में गरीब तबकों, आदिवासी समुदाय, मछलीपालकों, किसानों पर खास फोकस रखा गया है। इसके अलावा इस बजट के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सप्तऋषि यानी सप्तर्षि का भी जिक्र किया। उन्होंने समावेशी विकास, वंचितों को वरीयता, बुनियादी ढांचे और निवेश, क्षमता विस्तार, हरित विकास, युवा शक्ति, और वित्तीय क्षेत्र को इस बजट का सप्तर्षि बताया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सनातन धर्म में भी सप्तर्षियों का विशेष स्थान है? चलिए जानते हैं सप्तर्षि कौन थे और इनका जन्म कैसे हुआ... 



कौन थे सप्तऋषि ?

कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥
दहंतु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥


इस श्लोक में ऋषि कश्यप, अत्रि ऋषि, भारद्वाज ऋषि, विश्वामित्र ऋषि, गौतम ऋषि, जमदग्नि ऋषि और वशिष्ठ ऋषि के नाम का वर्णन किया गया है। 

ऋषि कश्यप
ऋषि कश्यप पहला स्थान माना गया है। पौराणिक कथाओं अनुसार जब गणेश जी ने अगलासुर का अंत करने के लिए उसे निगल लिया था, तब पेट की जलन को शांत करने के लिए ऋषि कश्यप ने ही दूर्वा की गांठे बनाकर दी थी, जिससे गणेश जी के पेट की जलन शांत हुई थी। 


अत्रि ऋषि
दूसरे स्थान पर ऋषि अत्रि हैं। कहा जाता है कि इनकी पत्नी अनुसूया थीं। वहीं इनके पुत्र का नाम दत्तात्रेय है। कथाओं के अनुसार, त्रेतायुग में जब प्रभु श्रीराम को वनवास मिला था, तब वे सीता जी और लक्ष्मण के साथ अत्रि ऋषि के आश्रम में आकर रूके थे।

भारद्वाज ऋषि
कहा जाता है कि ऋषि भारद्वाज ने महान ग्रंथों की रचना की थी। आयुर्वेद के ग्रंथ की रचना भी इन्होंने ही की थी। कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य भारद्वाज ऋषि के ही पुत्र थे।

ऋषि विश्वामित्र
ऋषि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की रचना की थी। ये भगवान श्रीराम और लक्ष्मण के गुरु थे। विश्वामित्र ही श्रीराम और लक्ष्मण को सीता के स्वयंवर में ले गए थे। 

ऋषि गौतम
ऋषि गौतम ये पांचवे ऋषि हैं। इनकी पत्नी अहिल्या थीं। गौतम ऋषि ने ही शाप देकर अहिल्या को पत्थर बना दिया था। वहीं भगवान राम के चरण स्पर्श से अहिल्या पुनः सही हो गई थीं।
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जमदग्नि ऋषि 
जमदग्नि को छठे ऋषि का स्थान दिया जाता है। परशुराम इन्हीं के पुत्र थे। कहा जाता है कि ऋषि जमदग्नि के कहने पर ही परशुराम ने अपनी माता रेणुका का सिर काट दिया था।

वशिष्ठ ऋषि
वशिष्ठ ऋषि को सातवां स्थान दिया जाता है। कहा जाता है कि राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के त्रेतायुग में ये गुरू थे।  

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