रामायण और महाभारत काल में एक से बढ़कर एक योद्धा और शूरवीर हुए। रामायण में जहां भगवान राम और रावण के बीच युद्ध हुआ था, वहीं महाभारत काल में पांडवों और कौरवों की बीच कुरुक्षेत्र के मैदान में 18 दिनों तक भंयकर युद्ध लड़ा गया। रामायण और महाभारत में कुछ ऐसे योद्धा थे जिसमें दोनों नें अपनी भूमिका निभाई। आइए जानते हैं ऐसे ही पांच पौराणिक पात्रों के बारे में....
परशुराम
परशुराम भगवान शिव के अवतार थे। परशुराम का जन्म ब्राह्राण कुल में हुआ था। ब्राह्राण कुल में पैदा होने के बाद भी उनके अंदर क्षत्रियों जैसा गुण था। भगवान परशुराम रामायण और महाभारत काल दोनों में उपस्थित थे। परशुराम ने रामायण काल में सीता स्वयंवर में धनुष टूटने के बाद भगवान राम को चुनौती दी थी। वहीं महाभारत काल में परशुराम जी ने कर्ण और पितामह भीष्म को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा भी दी थी।
भगवान हनुमान
हनुमानजी को कलयुग में जीवित देवता माना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि वह आज भी इस धरती पर विचरण करते हैं। हनुमानजी रामायण में प्रभु राम की वानर सेना का नेतृत्व किया था। महाभारत काल में भीम को हनुमान जी ऐसे समय में मिले जब महाभारत युद्ध की संभावना बनने लगी थी। उस समय हनुमान जी ने भीम को वचन दिया था कि युद्ध के समय वह अर्जुन की रथ पर रहेंगे और पाण्डवों को विजयी बनाने में सहयोग करेंगे।
मयासुर
रावण का ससुर और मंदोदरी का पिता राक्षस मयासुर था। वह रामायण और महाभारत के समय दोनों समय मौजूद था। महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण ने जब इसके प्राण लेने चाहे तब अर्जुन ने मायासुर को जीवनदान दिलाया था। इससे प्रसन्न होकर मायासुर ने खंडवप्रस्थ को इंद्रप्रस्थ बनाने में सहयोग किया और माया भवन बनाया। इसी भवन में दुर्योधन मायाजाल में उलझकर पानी में गिर पड़ा था और द्रौपदी ने दुर्योधन का उपहास किया था।
जामवंत
जामवंत की इच्छा थी भगवान राम से मल्लयुद्ध करें। राम जी ने इन्हें वचन दिया कि अगले अवतार में वह इस इच्छा को पूर्ण करेंगे। एक बार श्री कृष्ण एक गुफा में गए। इस गुफा में जामवंत रहता था। जामवंत के साथ 8 दिनों तक श्री कृष्ण युद्ध करते रहे। इसके बाद जामवंत को एहसास हुआ कि श्रीकृष्ण वास्तव में उनके प्रभु राम हैं। इसके बाद जामवंत ने अपनी पुत्री जामवंती का विवाह श्रीकृष्ण से कर दिया।
महर्षि दुर्वासा
महर्षि दुर्वासा भी एक ऐसे महापुरुष हैं जिन्होंने रामायण भी देखा और महाभारत भी। एक कथा के अनुसार दुर्वासा के शाप के कारण लक्ष्मण जी को राम जी को दिया वचन भंग करना पड़ा था। महाभारत काल में इन्होंने कुंती को संतान प्राप्ति का मंत्र दिया था। इन्होंने दुर्योधन का आतिथ्य स्वीकार किया था।
रामायण और महाभारत काल में एक से बढ़कर एक योद्धा और शूरवीर हुए। रामायण में जहां भगवान राम और रावण के बीच युद्ध हुआ था, वहीं महाभारत काल में पांडवों और कौरवों की बीच कुरुक्षेत्र के मैदान में 18 दिनों तक भंयकर युद्ध लड़ा गया। रामायण और महाभारत में कुछ ऐसे योद्धा थे जिसमें दोनों नें अपनी भूमिका निभाई। आइए जानते हैं ऐसे ही पांच पौराणिक पात्रों के बारे में....
परशुराम
परशुराम भगवान शिव के अवतार थे। परशुराम का जन्म ब्राह्राण कुल में हुआ था। ब्राह्राण कुल में पैदा होने के बाद भी उनके अंदर क्षत्रियों जैसा गुण था। भगवान परशुराम रामायण और महाभारत काल दोनों में उपस्थित थे। परशुराम ने रामायण काल में सीता स्वयंवर में धनुष टूटने के बाद भगवान राम को चुनौती दी थी। वहीं महाभारत काल में परशुराम जी ने कर्ण और पितामह भीष्म को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा भी दी थी।
भगवान हनुमान
हनुमानजी को कलयुग में जीवित देवता माना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि वह आज भी इस धरती पर विचरण करते हैं। हनुमानजी रामायण में प्रभु राम की वानर सेना का नेतृत्व किया था। महाभारत काल में भीम को हनुमान जी ऐसे समय में मिले जब महाभारत युद्ध की संभावना बनने लगी थी। उस समय हनुमान जी ने भीम को वचन दिया था कि युद्ध के समय वह अर्जुन की रथ पर रहेंगे और पाण्डवों को विजयी बनाने में सहयोग करेंगे।
मयासुर
रावण का ससुर और मंदोदरी का पिता राक्षस मयासुर था। वह रामायण और महाभारत के समय दोनों समय मौजूद था। महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण ने जब इसके प्राण लेने चाहे तब अर्जुन ने मायासुर को जीवनदान दिलाया था। इससे प्रसन्न होकर मायासुर ने खंडवप्रस्थ को इंद्रप्रस्थ बनाने में सहयोग किया और माया भवन बनाया। इसी भवन में दुर्योधन मायाजाल में उलझकर पानी में गिर पड़ा था और द्रौपदी ने दुर्योधन का उपहास किया था।
जामवंत
जामवंत की इच्छा थी भगवान राम से मल्लयुद्ध करें। राम जी ने इन्हें वचन दिया कि अगले अवतार में वह इस इच्छा को पूर्ण करेंगे। एक बार श्री कृष्ण एक गुफा में गए। इस गुफा में जामवंत रहता था। जामवंत के साथ 8 दिनों तक श्री कृष्ण युद्ध करते रहे। इसके बाद जामवंत को एहसास हुआ कि श्रीकृष्ण वास्तव में उनके प्रभु राम हैं। इसके बाद जामवंत ने अपनी पुत्री जामवंती का विवाह श्रीकृष्ण से कर दिया।
महर्षि दुर्वासा
महर्षि दुर्वासा भी एक ऐसे महापुरुष हैं जिन्होंने रामायण भी देखा और महाभारत भी। एक कथा के अनुसार दुर्वासा के शाप के कारण लक्ष्मण जी को राम जी को दिया वचन भंग करना पड़ा था। महाभारत काल में इन्होंने कुंती को संतान प्राप्ति का मंत्र दिया था। इन्होंने दुर्योधन का आतिथ्य स्वीकार किया था।