जीवन और मृत्यु के बारे में सबसे बड़ा ज्ञान गीता में मौजूद है जिसे भगवान श्री कृष्ण की वाणी माना जाता है। इसलिए हिन्दू धर्म में जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म को एक चक्र माना जाता है।
इसका कारण यह है कि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन का मोह भंग करने के लिए गीता का उपदेश देते हुए कहा है कि 'हे अर्जुन ऐसा कोई काल नहीं है जिसमें तुम नहीं थे या मैं नहीं था और आगे भी ऐसा कोई समय नहीं होगा जब तुम और मैं नहीं रहेंगे।
मेरे और तुम्हारे कई जन्म हो चुके हैं। मुझे अपने बीते हुए सभी जन्मों का ज्ञान है और तुम्हें नहीं क्योंकि तुम नर हो और मैं नारायण। इसलिए हे अर्जुन जीवन और मृत्यु के मोह में मत उलझो।
जैसे मनुष्य वस्त्र बदलता है वैसे ही आत्मा एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाती है यानी नया शरीर धारण कर लेती है।