फाल्गुन मास की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तिथि यानि होलिका दहन तक के समय को होलाष्टक माना जाता है। इस साल होलाष्टक 21 मार्च से प्रारंभ होंगे जो कि 28 मार्च तक यानि पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन तक रहेंगे। होलाष्टक होलिका दहन से पहले के 8 दिन पहले लग जाते हैं। इस दौरान कोई भी शुभ मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। जिस तरह से हर परंपरा के पीछे कोई न कोई धार्मिक आधार होता है, उसी तरह से होलाष्टक के समय में शुभ कार्यों को वर्जित होने के लिए भी पौराणिक आधार बताया गया है। इससे जुड़ी हुई दो प्रचलित कथाएं हैं। एक कथा हरि भक्त प्रहलाद की है तो दूसरी कथा कामदेव से जुड़ी हुई है। तो चलिए जानते हैं कथा, होलिका दहन मुहूर्त और कौन से कार्य होते हैं वर्जित।
होली 2021 की तारीख और होलिका दहन शुभ मुहूर्त
होलिका दहन- 28 मार्च 2021 दिन रविवार
रंग वाली होली- 29 मार्च 2021 दिन सोमवार
संध्या काल में- 06 बजकर 37 मिनट से 8 बजकर 56 मिनट तक
भद्रा पूंछ- सुबह 10 बजकर 13 मिनट से लेकर 11 बजकर 16 मिनट तक
भद्रा मुख - सुबह 11 बजकर 16 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजे तक
भक्त प्रहलाद की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान श्रीहरि के बहुत बड़े भक्त थे। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए आठ दिनों तक कठिन यातनाएं दी और उन्हें मारने का प्रयास किया। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था। आठवें दिन वह भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, परंतु होलिका अग्नि में भस्म हो गई और भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ।
कामदेव की कथा
एक कथा को अनुसार देवताओं के कहने पर कामदेव ने शिव की तपस्या भंग करने के लिए कई दिनों में कई तरह के प्रयास किए थे। जब भगवान शिव की तपस्या भंग हुआ तो क्रोध में उन्होंने कामदेव को भस्म कर दिया। कथा के अनुसार यह फाल्गुन शुक्ल अष्टमी का दिन था। इसके बाद कामदेव की पत्नी रति ने उनके अपराध के लिए शिवजी से क्षमा याचना कर कामदेव को पुनर्जीवन देने की प्रार्थनी की। तब भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवन देने का आश्वासन दिया।
होलाष्टक के दौरान कौन से कार्य रहते हैं वर्जित
- होलाष्टक के 8 दिनों के दौरान शादी, भूमि पूजन, गृह प्रवेश, कोई भी नया व्यवसाय या नया काम शुरू करना सही नहीं माना जाता है।
- शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक शुरू होने के साथ ही 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्यों का करना भी वर्जित माना गया है।
- होलाष्टक के आठ दिनों के दौरान हवन, यज्ञ कर्म आदि धार्मिक अनुष्ठान भी नहीं करने चाहिए।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस समय नवविवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहना चाहिए।
फाल्गुन मास की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तिथि यानि होलिका दहन तक के समय को होलाष्टक माना जाता है। इस साल होलाष्टक 21 मार्च से प्रारंभ होंगे जो कि 28 मार्च तक यानि पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन तक रहेंगे। होलाष्टक होलिका दहन से पहले के 8 दिन पहले लग जाते हैं। इस दौरान कोई भी शुभ मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। जिस तरह से हर परंपरा के पीछे कोई न कोई धार्मिक आधार होता है, उसी तरह से होलाष्टक के समय में शुभ कार्यों को वर्जित होने के लिए भी पौराणिक आधार बताया गया है। इससे जुड़ी हुई दो प्रचलित कथाएं हैं। एक कथा हरि भक्त प्रहलाद की है तो दूसरी कथा कामदेव से जुड़ी हुई है। तो चलिए जानते हैं कथा, होलिका दहन मुहूर्त और कौन से कार्य होते हैं वर्जित।
होली 2021 की तारीख और होलिका दहन शुभ मुहूर्त
होलिका दहन- 28 मार्च 2021 दिन रविवार
रंग वाली होली- 29 मार्च 2021 दिन सोमवार
संध्या काल में- 06 बजकर 37 मिनट से 8 बजकर 56 मिनट तक
भद्रा पूंछ- सुबह 10 बजकर 13 मिनट से लेकर 11 बजकर 16 मिनट तक
भद्रा मुख - सुबह 11 बजकर 16 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजे तक
भक्त प्रहलाद की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान श्रीहरि के बहुत बड़े भक्त थे। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए आठ दिनों तक कठिन यातनाएं दी और उन्हें मारने का प्रयास किया। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था। आठवें दिन वह भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, परंतु होलिका अग्नि में भस्म हो गई और भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ।
कामदेव की कथा
एक कथा को अनुसार देवताओं के कहने पर कामदेव ने शिव की तपस्या भंग करने के लिए कई दिनों में कई तरह के प्रयास किए थे। जब भगवान शिव की तपस्या भंग हुआ तो क्रोध में उन्होंने कामदेव को भस्म कर दिया। कथा के अनुसार यह फाल्गुन शुक्ल अष्टमी का दिन था। इसके बाद कामदेव की पत्नी रति ने उनके अपराध के लिए शिवजी से क्षमा याचना कर कामदेव को पुनर्जीवन देने की प्रार्थनी की। तब भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवन देने का आश्वासन दिया।
होलाष्टक के दौरान कौन से कार्य रहते हैं वर्जित
- होलाष्टक के 8 दिनों के दौरान शादी, भूमि पूजन, गृह प्रवेश, कोई भी नया व्यवसाय या नया काम शुरू करना सही नहीं माना जाता है।
- शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक शुरू होने के साथ ही 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्यों का करना भी वर्जित माना गया है।
- होलाष्टक के आठ दिनों के दौरान हवन, यज्ञ कर्म आदि धार्मिक अनुष्ठान भी नहीं करने चाहिए।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस समय नवविवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहना चाहिए।