यूरोपीय सभ्यता के वर्चस्व के कारण 1 जनवरी को नववर्ष मनाया जाता है। ऐसे में भारत में कई लोग अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार नव वर्ष 01 जनवरी को ही मनाते हैं, लेकिन हमारे देश में एक बड़ा वर्ग चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नववर्ष का उत्सव मनाता है। यह दिवस हिन्दू समाज के लिए अत्यंत विशिष्ट है, क्योंकि इस तिथि से ही नए पंचांग प्रारंभ होते हैं और वर्ष भर के पर्व, उत्सव और अनुष्ठानों के शुभ मुहूर्त निश्चित होते हैं।
हिंदू धर्म के अनुयायी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नव संवत्सर यानि नववर्ष मनाते हैं। सनातन धर्म के अनुसार इसी दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था। ऐसे में इस बार हिंदुओं का नव वर्ष 2078 नवसंवत्सर, 13 अप्रैल 2021 से शुरू होगा। वहीं जानकारों के अनुसार योजनाओं की स्थिति को देखते हुए इस बार करीब 90 साल बाद एक बार फिर एक खास संयोग बन रहा है, वहीं संवत 2078 के ‘राक्षस’नाम से जाना जाएगा।
13 अप्रैल मंगलवार से शुरू हो रहे नवसंवत्सर के दिन 2 बजकर 32 मिनट में सूर्य का मेष राशि में प्रवेश हो रहा है। संवत्सर प्रतिपदा और विषुवत संक्रांति दोनों एक ही दिन 31 गते चैत्र, 13 अप्रैल को हो रही है। यह विचित्र स्थिति 90 वर्षों से अधिक समय के बाद हो रही है।
इसके अलावा भारतवर्ष में ऋतु परिवर्तन के साथ ही हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है। चैत्र माह में शीत ऋतु को विदा करते हुए और वसंत ऋतु के सुहावने परिवेश के साथ नववर्ष आता है। यह दिवस भारतीय इतिहास में कई कारणों से महत्वपूर्ण है। पुराण-ग्रन्थों के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को ही त्रिदेवों में से एक ब्रह्मदेव ने सृष्टि की रचना की थी, इसीलिए हिन्दू-समाज भारतीय नववर्ष का पहला दिन अत्यंत हर्षोल्लास मनाते हैं।
राजा व मंत्री दोनों मंगल
वर्ष का राजा व मंत्री का पदभार स्वयं भौम देव संभाले हुए है। भौम देव की उग्रतापूर्ण दशा में और राक्षस नाम संवत्सर होने से जनमानस उग्रता के साथ दानव सी प्रवृत्ति का आचरण दिखाई देगा। इस संवत्सर वर्ष में विद्वता, भय, उग्रता, राक्षसी प्रवृत्ति लोगों में पाई जाएगी। संक्रामक रोगों से संपूर्ण देश प्रभावित रहेगा।
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यूरोपीय सभ्यता के वर्चस्व के कारण 1 जनवरी को नववर्ष मनाया जाता है। ऐसे में भारत में कई लोग अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार नव वर्ष 01 जनवरी को ही मनाते हैं, लेकिन हमारे देश में एक बड़ा वर्ग चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नववर्ष का उत्सव मनाता है। यह दिवस हिन्दू समाज के लिए अत्यंत विशिष्ट है, क्योंकि इस तिथि से ही नए पंचांग प्रारंभ होते हैं और वर्ष भर के पर्व, उत्सव और अनुष्ठानों के शुभ मुहूर्त निश्चित होते हैं।
हिंदू धर्म के अनुयायी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नव संवत्सर यानि नववर्ष मनाते हैं। सनातन धर्म के अनुसार इसी दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था। ऐसे में इस बार हिंदुओं का नव वर्ष 2078 नवसंवत्सर, 13 अप्रैल 2021 से शुरू होगा। वहीं जानकारों के अनुसार योजनाओं की स्थिति को देखते हुए इस बार करीब 90 साल बाद एक बार फिर एक खास संयोग बन रहा है, वहीं संवत 2078 के ‘राक्षस’नाम से जाना जाएगा।
13 अप्रैल मंगलवार से शुरू हो रहे नवसंवत्सर के दिन 2 बजकर 32 मिनट में सूर्य का मेष राशि में प्रवेश हो रहा है। संवत्सर प्रतिपदा और विषुवत संक्रांति दोनों एक ही दिन 31 गते चैत्र, 13 अप्रैल को हो रही है। यह विचित्र स्थिति 90 वर्षों से अधिक समय के बाद हो रही है।
इसके अलावा भारतवर्ष में ऋतु परिवर्तन के साथ ही हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है। चैत्र माह में शीत ऋतु को विदा करते हुए और वसंत ऋतु के सुहावने परिवेश के साथ नववर्ष आता है। यह दिवस भारतीय इतिहास में कई कारणों से महत्वपूर्ण है। पुराण-ग्रन्थों के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को ही त्रिदेवों में से एक ब्रह्मदेव ने सृष्टि की रचना की थी, इसीलिए हिन्दू-समाज भारतीय नववर्ष का पहला दिन अत्यंत हर्षोल्लास मनाते हैं।
राजा व मंत्री दोनों मंगल
वर्ष का राजा व मंत्री का पदभार स्वयं भौम देव संभाले हुए है। भौम देव की उग्रतापूर्ण दशा में और राक्षस नाम संवत्सर होने से जनमानस उग्रता के साथ दानव सी प्रवृत्ति का आचरण दिखाई देगा। इस संवत्सर वर्ष में विद्वता, भय, उग्रता, राक्षसी प्रवृत्ति लोगों में पाई जाएगी। संक्रामक रोगों से संपूर्ण देश प्रभावित रहेगा।