आषाढ़ के कृष्णपक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। इस बार 9 जुलाई, सोमवार को यह एकादशी है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा-आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है जो भी इस योगिनी एकादशी पर व्रत रखता है उसे 88 हजार ब्राह्राणों को भोजन करवाने के बराबर का पुण्य-लाभ मिलता है। हिन्दू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है। पूरे वर्ष कुल मिलाकर 24 एकादशियां होती हैं लेकिन मलमास का महीना होने पर एकादिशयों की संख्या 26 हो जाती है। एकादशी का व्रत रखने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। जिसमें योगिनी एकादशी का विशेष महत्व होता है।
योगिनी एकादशी की व्रत कथा
योगिनी एकादशी के विषय में पुराणों में एक कथा है। जिसमें हेममाली नाम का एक माली था। जो काम भाव में लीन होकर ऐसी गलती कर बैठा कि उसे राजा कुबेर का श्राप मिला, जिससे उसे कुष्ठ रोग हो गया। तब एक ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा, मुनि के आदेश का पालन करते हुए हेममाली नें योगिनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से वह पूरी तरह से रोगमुक्त हो गया और उसे शाप से मुक्ति मिल गई। तभी से इस एकादशी का इतना महत्व है।
योगिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि
शास्त्रों के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत की शुरुआत दशमी तिथि की रात से हो हो जाता है। फिर अगली सुबह उठकर नित्यक्रम करने के बाद स्नान करके व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की मूर्ति रखकर उन्हें स्नान कराकर भोग लगाएं। फिर इसके बाद फूल, धूप और दीपक से आरती उतारें। इसके बाद योगिनी एकादशी की कथा सुनें। इसके अलावा इस एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से सभी तरह के पाप नष्ट होते हैं।