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Vat Savitri Purnima 2023: वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत कल, जानिए वट वृक्ष की पूजा के लाभ और नियम

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Fri, 02 Jun 2023 11:24 AM IST
सार

साल में दो बार वट सावित्री व्रत रखा जाता है। पहला ज्येष्ठ अमावस्या को और दूसरा ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन। दोनों ही तिथियों के व्रत में पूजा-पाठ करने का विधान, कथा, नियम और महत्व एक जैसे ही होते हैं।

Vat Savitri Purnima 2023 Date Know Shubh Muhurat Puja Vidhi And Importance in Hindi
Vat Savitri Purnima 2023: स्कंद पुराण के अनुसार वट वृक्ष की पूजा यदि सुबह-शाम की जाए तो दांपत्य जीवन सुखद बनता है,सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मनुष्य निरोगी रहता है। - फोटो : iStock

विस्तार
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Vat Savitri Purnima 2023 Date : हिंदू पंचाग के हिसाब से साल में दो बार वट सावित्री व्रत रखा जाता है। पहला ज्येष्ठ अमावस्या को और दूसरा ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन। दोनों ही तिथियों के व्रत में पूजा-पाठ करने का विधान, कथा, नियम और महत्व एक जैसे ही होते हैं। शास्त्रों में मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अनेक वृक्षों की पूजा का विधान बताया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार,वट वृक्ष पांच तरह का होता है । इनमें सबसे चमत्कारी 'अक्षय वट' होता है,जो कभी नष्ट नहीं होता है। मान्यता है कि जो इस वृक्ष की पूजा करता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। शोधों से पता लगा है कि इस वृक्ष की आयु करीब 3,250 ईसा पूर्व की बताई गई है। धार्मिक मान्यता के अनुसार वट वृक्ष के तने में विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में भगवान शिव का वास होता है। इस वृक्ष में तीनों देवों का निवास होने के कारण इसे त्रिमूर्ति का प्रतीक माना गया है।



वट वृक्ष की पूजा के लाभ

  • स्कंद पुराण के अनुसार इस वृक्ष की पूजा यदि सुबह-शाम की जाए तो दांपत्य जीवन सुखद बनता है,सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मनुष्य निरोगी रहता है। मान्यता है कि महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं तो उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। परिवार पर किसी प्रकार का कोई संकट नहीं आता। वट वृक्ष की नियमित पूजा करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन वैदिक ब्राह्मण अथवा असहाय लोगों की सहायता करने से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं। जो व्यक्ति इस दिन वट वृक्ष का रोपण करता है उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। जीवन के सभी क्लेश दूर होते हैं। स्त्रियां इस दिन वट वृक्ष की परिक्रमा कर उसके चारों ओर कलावा बांधती हैं। कहते हैं इससे पति की लंबी आयु और संतान प्राप्ति की कामना पूरी  होती है।   
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वट सावित्री पूर्णिमा व्रत नियम

  • इस दिन सुहागिनें काले या नीले रंग के कपड़े ना पहनें,शास्त्रों में माना गया है कि इन रंगों के कपडे पहनने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।  
  • घर पर पूजा करने के लिए बरगद की टहनी न तोड़ें यदि आप इस दिन इसकी टहनी तोड़ती हैं तो आपके जीवन में समस्याएं आ सकती हैं।अच्छा यही रहेगा कि आप जहां वृक्ष लगा हो वहीं जाकर पूजा करें ।
  • बरगद के पेड़ की क्लॉक वाइज परिक्रमा करें और परिक्रमा करते समय अपना पैर परिक्रमा के समय किसी दूसरे को न लगे।
  • इस दिन जीवनसाथी के साथ लड़ाई-झगड़े से भी बचें और बड़ों का आशीर्वाद लें।
  • इस दिन तामसिक आहार से दूर रहें।
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