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Bhadli Navami 2023: कब है भड़ली नवमी? जानें सही तिथि ,मुहूर्त और महत्व

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Mon, 05 Jun 2023 12:26 AM IST
सार

भड़ली नवमी भगवान विष्णु के सम्मान में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जब श्री हरि विष्णु शयनावस्था में हैं तब विवाह नहीं किया जा सकता है। भगवान विष्णु सोने जाने से पहले भड़ली नवमी का दिन भक्तों को देते हैं ताकि वह अपने बचे हुए शुभ कार्य इस दिन कर लें।

Bhadli Navami 2023 know date Muhurat significance in Hindi
bhadli navami 2023 muhurat - फोटो : iStock

विस्तार
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Bhadli Navami 2023:उत्तर भारत में हिंदू समुदाय भड़ली नवमी को अत्यधिक धार्मिक उत्साह के साथ मनाते हैं। भड़ली नवमी को भटली नवमी, अशरा शुक्ल पक्ष नवमी, कन्दर्प नवमी के नाम से भी जाना जाता है और आमतौर पर आषाढ़ मास के दौरान मनाया जाता है। यह पर्व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। भड़ली नवमी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि हिंदू समुदाय में विवाह करने के लिए आमतौर पर इस दिन को साल का आखिरी दिन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भड़ली नवमी के बाद आमतौर पर देवता सो जाते हैं, इसलिए इस अवधि के दौरान ही सभी शुभ कार्य किए जाते हैं। धर्म शास्त्र के अनुसार विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, सगाई, जनेऊ संस्कार आदि शुभ काम के लिए भड़ली नवमी का दिन विशेष माना गया है। भड़ली नवमी को अबूझ मुहूर्त माना गया है। आइए जानते हैं इस साल भड़ली नवमी की तिथि,मुहूर्त और महत्व।


भड़ली नवमी 2023 तिथि 
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि आरम्भ: 27 जून 2023, मंगलवार, पूर्वाह्न 02:05 से 
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि समाप्त: 28 जून 2023, बुधवार, पूर्वाह्न 03:05 तक 
यह एक ऐसा अबूझ मुहूर्त है जिसमें बिना विचार किए कोई भी मांगलिक कार्य किया जा सकता है। भड़ली नवमी के बाद एकादशी से शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है, ऐसे में भगवान श्री लक्ष्मीनारायण के योग निंद्रा में होने से कोइ शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

भड़ली नवमी का महत्व 
भड़ली नवमी भगवान विष्णु के सम्मान में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जब श्री हरि विष्णु शयनावस्था में हैं तब विवाह नहीं किया जा सकता है। भगवान विष्णु सोने जाने से पहले भड़ली नवमी का दिन भक्तों को देते हैं ताकि वह अपने बचे हुए शुभ कार्य इस दिन कर लें। इस दिन पूजा पाठ करने से भगवान सब मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। भड़ली नवमी किसी भी धार्मिक गतिविधि के लिए आखिरी दिन होता है इसके बाद कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसके बाद एक दिन बाद देवशयनी एकादशी से चतुर्मास लग जाते हैं। इन 4 माह में देवों का शयनकाल रहता है इसलिए चतुर्मास में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। यही वजह है कि भड़ली नवमी के दिन बिना मुहूर्त देखे निसंकोच शादी कर सकते हैं। इस दिन खरीदारी करना और नए कारोबार की शुरुआत करने से मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है और घर में समृद्धि आती है।

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