हिमाचल प्रदेश के पर्यटन नगरी डलहौजी से आजादी के महा नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस का गहरा नाता है। वर्ष 1937 में सुभाष चंद्र बोस ने डलहौजी में लगभग सात महीने बिताए थे और स्वास्थ्य लाभ लिया था। आज भी उनकी याद में डलहौजी के एक चौक का नाम सुभाष चौक है। उनकी आदमकद प्रतिमा भी स्थापित है। गांधी चौक के नजदीक सुभाष बावली नामक पर्यटन केंद्र स्थल है, जहां रोजाना सुभाष चंद्र बोस बावड़ी का पानी पीते थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1937 में जब ब्रिटिश हुकूमत के अधीन आजादी की लड़ाई के चलते जेल में बंद थे तो उनका स्वास्थ्य लगातार गिर रहा था। उनके स्वास्थ्य को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें पैरोल पर रिहा किया था।
उस समय वह स्वास्थ्य लाभ के लिए डलहौजी आए थे। उनके डलहौजी आने की खबर उनके दोस्त डॉ. धर्मवीर को पता चली तो डॉ. धर्मवीर ने उनसे अपने बंगले ‘कायनांस’ में ठहरने का आग्रह किया। डलहौजी के खुशनुमा मौसम में स्वास्थ्य लाभ लेकर सुभाष चंद्र बोस लौटे और फिर आजादी की जंग में कूद पड़े। आज भी गांधी चौक के पास पंजपुला रोड पर कायनांस बंगला मौजूद है। डलहौजी के सरकारी स्कूल का नाम भी नेता जी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखा गया है। पश्चिम बंगाल से डलहौजी में काफी पर्यटक आते हैं और नेता जी की यादों से जुड़े सभी पर्यटन केंद्र स्थलों का अवलोकन करते हैं।
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हिमाचल प्रदेश के पर्यटन नगरी डलहौजी से आजादी के महा नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस का गहरा नाता है। वर्ष 1937 में सुभाष चंद्र बोस ने डलहौजी में लगभग सात महीने बिताए थे और स्वास्थ्य लाभ लिया था। आज भी उनकी याद में डलहौजी के एक चौक का नाम सुभाष चौक है। उनकी आदमकद प्रतिमा भी स्थापित है। गांधी चौक के नजदीक सुभाष बावली नामक पर्यटन केंद्र स्थल है, जहां रोजाना सुभाष चंद्र बोस बावड़ी का पानी पीते थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1937 में जब ब्रिटिश हुकूमत के अधीन आजादी की लड़ाई के चलते जेल में बंद थे तो उनका स्वास्थ्य लगातार गिर रहा था। उनके स्वास्थ्य को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें पैरोल पर रिहा किया था।
उस समय वह स्वास्थ्य लाभ के लिए डलहौजी आए थे। उनके डलहौजी आने की खबर उनके दोस्त डॉ. धर्मवीर को पता चली तो डॉ. धर्मवीर ने उनसे अपने बंगले ‘कायनांस’ में ठहरने का आग्रह किया। डलहौजी के खुशनुमा मौसम में स्वास्थ्य लाभ लेकर सुभाष चंद्र बोस लौटे और फिर आजादी की जंग में कूद पड़े। आज भी गांधी चौक के पास पंजपुला रोड पर कायनांस बंगला मौजूद है। डलहौजी के सरकारी स्कूल का नाम भी नेता जी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखा गया है। पश्चिम बंगाल से डलहौजी में काफी पर्यटक आते हैं और नेता जी की यादों से जुड़े सभी पर्यटन केंद्र स्थलों का अवलोकन करते हैं।