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Earthquake in Himachal: साल 1905 में भी मंगलवार और अमावस्या को आया था भूकंप

संवाद न्यूज एजेंसी, धर्मशाला Published by: अरविन्द ठाकुर Updated Wed, 22 Mar 2023 01:34 PM IST
सार

1905 में 4 अप्रैल की सुबह भूकंप ने ऐसी तबाही बरपाई थी कि चारों ओर सिर्फ तबाही के निशान दिख रहे थे। कांगड़ा से लेकर लाहौर तक आई इस त्रासदी में 28 हजार लोगों की जान चली गई थी।

Story of Earthquake in Kangra Himachal pradesh in 4 April 1905
1905 में कांगड़ा में आया भूकंप। - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

जिला कांगड़ा में मंगलवार की रात जैसे ही भूकंप के झटके लगे तो डरे सहमे अपने घरों से बाहर आकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए। 6.6 तीव्रता का भूकंप महसूस कर लोगों के मन में 1905 की तबाही का मंजर सामने आ गया। 4 अप्रैल 1905 में जब कांगड़ा की धरती पर यह भयावह दृश्य हुआ था तो उस दिन मंगलवार के साथ अमावस्या का योग था। वही 21 मार्च 2023 को भी मंगलवार होने के साथ अमावस्या का ही योग बना है।



दोनों दिनों में मंगलवार के योग के साथ भूकंप के झटके होना भी एक विचित्र संयोग को दिखाता है। लोगों में भूकंप को लेकर इस प्रकार का भय था कि लोग कमरों के अंदर जाने से भी डर रहे थे। वही बाहर आने के बाद लोगों ने अपने सगे संबंधियों को फोन कर उनका कुशलक्षेम जानने लगे। 1905 में 4 अप्रैल की सुबह भूकंप ने ऐसी तबाही बरपाई थी कि चारों ओर सिर्फ तबाही के निशान दिख रहे थे।


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कांगड़ा से लेकर लाहौर तक आई इस त्रासदी में 28 हजार लोगों की जान चली गई थी। सुबह छह बजकर 19 मिनट पर दो मिनट के लिए ऐसी हलचल हुई की लाखों परिवार बेघर हो गए और हजारों लोग इमारतों के नीचे दफन। रिएक्टर पैमाने पर इस भूकंप की तीव्रता 7.8 मापी गई थी।



भूकंप के बाद कांगड़ा का ये भयावह दृश्य आज भी जिला कांगड़ा के लोगों के मन में भय बनाए हुए है। 1905 में आए भूकंप से कांगड़ा के ज्यादातर ऐतिहासिक भवन नष्ट हो गए थे। सभी बाजार पूरी तरह से तबाह हो चुके थे। कांगड़ा किला, कांगड़ा मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर पूरी तरह से नष्ट हो गए थे।  बैजनाथ मंदिर को आंशिक नुकसान पहुंचा था।
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आंखों के सामने घूमने लगा 1905 का मंजर
अपने परिवार के सदस्यों के साथ बातें कर रहा था। जैसे ही भूकंप के तेज झटके हुए सब बाहर की ओर भागे। पुराने बुजुर्गों से हमेशा 1905 भूकंप के बारे में सुना है। आंखों के सामने ऐसा मंजर घूमने लगा कि  कहीं ये भूकंप 1905 की तरह तबाही ना मचाए। पुराने  का शुक्र है सब सुरक्षित रहा। -नितिन, निवासी, दाड़ी

ऐसे प्रतीत हुआ जैसे कोई बेड को हिला रहा है
घर पर सोई हुई थी ऐसा लगा जैसे कोई बेड को हिला रहा है। पर उठकर देखा तो झटके महसूस हुए और बाहर जाने पर आसपास पक्षी तरह तरह की आवाजें निकाल रहे थे। जिससे यह पूरी तरह से पता चला कि यह भूकंप के झटके थे। -रजनी रानी, निवासी लंज

चक्कर की तरह हुआ महसूस हिलने लगे पंखे
घर पर टीवी देखने के दौरान चक्कर आने की भांति महसूस हुआ। गौर से देखा तो हर चीज हिल रही थी। पंखे व और सामान हिलते देख भूकंप महसूस होने पर वह परिवार सहित घर से बाहर आ गए। उन्होने कहा कि भगवान का शुक्र है कि सब सलामत है। -जन्म सिंह, निवासी, लंज

खिड़कियों के शीशे चटकते देख घबरा गया
नगरोटा सूरियां की पंचायत मसरूर के गांव सापरी (पीर बिंदली) निवासी स्किन्दर सिंह ने बताया कि वह अपने कमरे में आराम बैड पर लेटे थे कि अचानक उन्हें झटके लगने लगे और खिड़कियों के शीशे भी चटकने की आवाज आई तो बाहर की ओर भागे। - सिकंदर सिंह, निवासी सापरी

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