प्रदेश में स्थित निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की जांच के बाद अब फरवरी से विवि में पढ़ाई करवा रहे शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया और शैक्षणिक योग्यता की जांच की जाएगी। निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने सभी विवि से शिक्षकों से संबंधित रिकॉर्ड मंगवा लिया है। जल्द ही इस जांच के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा। उधर, सौ से अधिक निजी कॉलेजों के प्रिंसिपलों की नियुक्ति प्रक्रिया और शैक्षणिक योग्यता की पड़ताल आजकल जारी है। कई कॉलेजों की ओर से अभी रिकॉर्ड भेजा भी जा रहा है।
नौ निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को अयोग्य करार दे चुके आयोग ने अब शिक्षकों की जांच करने का फैसला लिया है। जांचा जाएगा कि निजी विवि में नियुक्त यह शिक्षक क्या यूजीसी की ओर से तय की गई नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करते हैं या नहीं। शिक्षक बनने के लिए तय की गई शैक्षणिक योग्यता पर क्या यह शिक्षक खरे उतरते हैं या नहीं।
इसके लिए इन शिक्षकों ने किन कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से डिग्रियां प्राप्त की हैं। इसकी भी जांच की जाएगी। आयोग की ओर से इस जांच के लिए जल्द ही उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा। उधर, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पूर्व प्रो वीसी प्रो. एनके शारदा की अध्यक्षता में बनाई गई जांच कमेटी ने कॉलेज प्रिंसिपलों के दस्तावेजों को जांचने का काम शुरू कर दिया है। जांच प्रक्रिया के तहत सभी तकनीकी, डिग्री, मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों के प्रिंसिपलों के दस्तावेज जांचे जाएंगे।
हिमाचल में निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग का गठन होने के बाद पहली बार कुलपतियों, प्रिंसिपलों और शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया की जांच की जा रही है। बीते दस वर्षों के दौरान खुले निजी शिक्षण संस्थानों से इस संदर्भ में कभी भी पड़ताल नहीं हुई है। आयोग की इस कार्रवाई से कई निजी संस्थानों में हड़कंप मच गया है। आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने बताया कि निजी शिक्षण संस्थानों में गुणात्मक शिक्षा मिले, इसके लिए प्रिंसिपलों और शिक्षकों का योग्य होना बहुत जरूरी है। इसके चलते ही आयोग ने प्रिंसिपलों की नियुक्ति प्रक्रिया और उनकी शैक्षणिक योग्यता से संबंधित सारा रिकॉर्ड तलब किया है।
12 जनवरी को आयोग कार्यालय बुलाए गए दो चांसलर
आयोग की ओर से अयोग्य ठहराए गए नौ निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों में से सात की छुट्टी हो गई है। तीन कुलपति इस्तीफे दे चुके हैं जबकि चार विवि के चांसलरों ने आयोग को लिखित में जानकारी दी है कि उन्होंने कुलपतियों को पद छोड़ने को कह दिया है। दो निजी विवि की ओर से अभी अयोग्य करार दिए गए कुलपतियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में नियामक आयोग ने स्वयं कार्रवाई करने से पहले इन दोनों विवि के चांसलरों को 12 जनवरी को अपना पक्ष रखने के लिए आयोग के कार्यालय में बुलाया है।
प्रदेश में स्थित निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की जांच के बाद अब फरवरी से विवि में पढ़ाई करवा रहे शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया और शैक्षणिक योग्यता की जांच की जाएगी। निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने सभी विवि से शिक्षकों से संबंधित रिकॉर्ड मंगवा लिया है। जल्द ही इस जांच के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा। उधर, सौ से अधिक निजी कॉलेजों के प्रिंसिपलों की नियुक्ति प्रक्रिया और शैक्षणिक योग्यता की पड़ताल आजकल जारी है। कई कॉलेजों की ओर से अभी रिकॉर्ड भेजा भी जा रहा है।
नौ निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को अयोग्य करार दे चुके आयोग ने अब शिक्षकों की जांच करने का फैसला लिया है। जांचा जाएगा कि निजी विवि में नियुक्त यह शिक्षक क्या यूजीसी की ओर से तय की गई नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करते हैं या नहीं। शिक्षक बनने के लिए तय की गई शैक्षणिक योग्यता पर क्या यह शिक्षक खरे उतरते हैं या नहीं।
इसके लिए इन शिक्षकों ने किन कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से डिग्रियां प्राप्त की हैं। इसकी भी जांच की जाएगी। आयोग की ओर से इस जांच के लिए जल्द ही उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा। उधर, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पूर्व प्रो वीसी प्रो. एनके शारदा की अध्यक्षता में बनाई गई जांच कमेटी ने कॉलेज प्रिंसिपलों के दस्तावेजों को जांचने का काम शुरू कर दिया है। जांच प्रक्रिया के तहत सभी तकनीकी, डिग्री, मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों के प्रिंसिपलों के दस्तावेज जांचे जाएंगे।
हिमाचल में निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग का गठन होने के बाद पहली बार कुलपतियों, प्रिंसिपलों और शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया की जांच की जा रही है। बीते दस वर्षों के दौरान खुले निजी शिक्षण संस्थानों से इस संदर्भ में कभी भी पड़ताल नहीं हुई है। आयोग की इस कार्रवाई से कई निजी संस्थानों में हड़कंप मच गया है। आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने बताया कि निजी शिक्षण संस्थानों में गुणात्मक शिक्षा मिले, इसके लिए प्रिंसिपलों और शिक्षकों का योग्य होना बहुत जरूरी है। इसके चलते ही आयोग ने प्रिंसिपलों की नियुक्ति प्रक्रिया और उनकी शैक्षणिक योग्यता से संबंधित सारा रिकॉर्ड तलब किया है।
12 जनवरी को आयोग कार्यालय बुलाए गए दो चांसलर
आयोग की ओर से अयोग्य ठहराए गए नौ निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों में से सात की छुट्टी हो गई है। तीन कुलपति इस्तीफे दे चुके हैं जबकि चार विवि के चांसलरों ने आयोग को लिखित में जानकारी दी है कि उन्होंने कुलपतियों को पद छोड़ने को कह दिया है। दो निजी विवि की ओर से अभी अयोग्य करार दिए गए कुलपतियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में नियामक आयोग ने स्वयं कार्रवाई करने से पहले इन दोनों विवि के चांसलरों को 12 जनवरी को अपना पक्ष रखने के लिए आयोग के कार्यालय में बुलाया है।