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Horticulture: Opposing the condition of packing 24 kg apples in a box, 10 days ultimatum to implement universa
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बागवानी: एक बॉक्स में 24 किलो सेब पैकिंग की शर्त का विरोध, यूनिवर्सल कार्टन लागू करने को 10 दिन का अल्टीमेटम
अमर उजाला ब्यूरो, शिमला
Published by: Krishan Singh
Updated Tue, 23 May 2023 02:29 PM IST
प्रदेश ने सरकार की सेब पैकिंग के लिए लगाई 24 किलो की शर्त को खारिज कर दिया है। संघ ने आरोप लगाया है कि आढ़तियों और व्यापारियों के दबाव में सरकार ने यह शर्त लगाई है।
सेब उत्पादक संघ हिमाचल प्रदेश ने सरकार की सेब पैकिंग के लिए लगाई 24 किलो की शर्त को खारिज कर दिया है। संघ ने आरोप लगाया है कि आढ़तियों और व्यापारियों के दबाव में सरकार ने यह शर्त लगाई है। सेब उत्पादक संघ ने 10 दिन के भीतर सेब पैकिंग के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित यूनिवर्सल कार्टन लागू करने की अधिसूचना जारी करने की मांग की है। ऐसा न होने पर आंदोलन शुरू करने का एलान किया है। 3 जून को सेब उत्पादक संघ की राज्य स्तरीय बैठक में आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।
संघ का दावा है कि 24 किलो पैकिंग से एक ग्रेड ऊपर पैकिंग होगी, जिससे बागवानों को नुकसान जबकि खरीदार को फायदा होगा। वजन के हिसाब से सेब बिक्री के लिए यूनिवर्सल कार्टन ही विकल्प है। इस कार्टन को अलग से तौलने की जरूरत नहीं रहेगी। टेलिस्कोपिक कार्टन पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए। किसानों-बागवानों के हित में एपीएमसी एक्ट कड़ाई से लागू होना चाहिए। आरोप लगाया है कि सड़क किनारे सेब खरीद करने वाली कंपनियों से एक फीसदी मार्केट फीस वसूलने में हर साल करोड़ों का घोटाला हो रहा है।
अदाणी सहित अन्य कंपनियों से भी एपीएमसी पूरी मार्केट फीस नहीं वसूल रही। एपीएमसी चेयरमैन बनने के लिए चल रही जोर आजमाइश इसका सबूत है। वजन के हिसाब से फलों की ढुलाई का दावा भी फेल हो गया है। गुठलीदार फलों की ढुलाई की एवज में ट्रांसपोर्टर मनमानी कर लूट रहे हैं। 24 किलो की सेब पैकिंग की शर्त को सेब उत्पादक संघ खारिज करता है। आढ़तियों-व्यापारियों के दबाव में यह फैसला लिया है। 10 दिन के भीतर यूनिवर्सल कार्टन लागू करने की अधिसूचना जारी की जाए, ऐसा न होने पर आंदोलन छेड़ा जाएगा। 3 जून को राज्य स्तरीय बैठक में आंदोलन की रूपरेखा तय होगी।- सोहन ठाकुर, प्रदेशाध्यक्ष, सेब उत्पादक संघ, हिमाचल प्रदेश
ग्राम, पंचायत और उपमंडल स्तर पर बैठकें शुरू
किसानों-बागवानों को आंदोलन के लिए लामबंद करने के लिए सेब उत्पादक संघ ने ग्राम, पंचायत और उपमंडल स्तर पर बैठकें शुरू कर दी हैं। शिमला जिले के ठियोग और कोटखाई, मंडी के करसोग और जंजैहली कुल्लू के निरमंड और आनी में पहले चरण की बैठकें हो गई हैं। 25, 26 और 27 मई को इन उपमंडलों में दूसरे चरण की बैठकें होंगी।
बागवानों को वर्ष 2022 के बकाया के लिए अभी करना होगा इंतजार
एचपीएमसी ने एमआईएस के तहत वर्ष 2021 तक खरीदे गए सेब की बकाया राशि का नगद भुगतान करना आरंभ कर दिया है। बागवानों को अभी वर्ष 2022 की बकाया राशि के लिए इंतजार करना पड़ेगा। एचपीएमसी ने अपने सभी केंद्रों पर वर्ष 2021 तक की बकाया राशि का भुगतान करना आरंभ कर दिया है।
हालांकि बहुत से बागवान बकाया राशि के रूप में एचपीएमसी केंद्रों से बागवानी उपकरण, खाद और दवाइयां ले जा चुके हैं। मगर एचपीएमसी के पास अभी भी बागवानों को लाखों रुपये की बकाया हैं। एचपीएमसी हर वर्ष सेब सीजन में एमआईएस के तहत बागवानों से सी-ग्रेड सेब 9.50 रुपये प्रति किलो खरीदता है। बीते वर्ष 2022 में भी एचपीएमसी ने लाखों रुपये का सेब खरीदा था, जिसकी राशि के लिए बागवानों को अभी इंतजार करना पड़ेगा।
एचपीएमसी गुम्मा शाखा के प्रबंधक संजीव कुमार ने बताया कि वर्ष 2021 तक खरीदे गए सेब की बकाया राशि का भुगतान करना आरंभ कर दिया है। एचपीएमसी के सभी केंद्रों पर बागवानों को नगद भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 में खरीदे गए सेब की राशि का भुगतान अभी नहीं किया जाएगा।
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