ये प्रदेश का ऐसा पहला सरकारी स्कूल है, जिसमें जापान की तकनीक को अपनाया गया है। इसका नाम ब्रेन बुक दिया है। डर्मेटोग्लिफिक्स यानी डीएमआईटी साफ्टवेयर से स्कूल में अब तक तीन बच्चों और दो शिक्षकों के टेस्ट लिए गए हैं।
नौरंगाबाद स्कूल में फिंगर प्रिंट टेस्ट देती छात्रा।
- फोटो : संवाद
अब फिंगर प्रिंट से बच्चे के व्यवहार, व्यक्तित्व, कार्यकुशलता के साथ बौद्धिक क्षमता का विश्लेषण होगा। रिपोर्ट बताएगी कि बच्चे का आईक्यू लेवल कैसा है। किस फील्ड में वह अपना भविष्य बना सकता है। उसके सीखने की क्षमता कैसी है। किस क्षेत्र में वह अच्छा कर सकता है। इससे बच्चों में अपने अभिभावकों प्राप्त हुई बुद्धि लब्धि (आईक्यू) की प्रतिशतता का भी आसानी से पता चल पाएगा। ये सारी रिपोर्ट चंद मिनटों में हाथ में होगी।
दरअसल, सिरमौर के हाई स्कूल नौरंगाबाद में इस तकनीक का सफल इस्तेमाल हुआ है। ये प्रदेश का ऐसा पहला सरकारी स्कूल है, जिसमें जापान की तकनीक को अपनाया गया है। इसका नाम ब्रेन बुक दिया है। डर्मेटोग्लिफिक्स यानी डीएमआईटी साफ्टवेयर से स्कूल में अब तक तीन बच्चों और दो शिक्षकों के टेस्ट लिए गए हैं। इनकी रिपोर्ट के आधार पर बच्चों के अभिभावकों से भी बातचीत की गई, जिसमें ये टेस्ट खरा उतरा।
अब तक किसी भी सरकारी स्कूल में इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इस तकनीक को जापान के स्कूलों में अपनाया गया है। इस स्कूल के मुख्याध्यापक संजीव अत्री को भी एक बार जापान जाने का मौका मिला, जहां उन्होंने इस तकनीक के बारे में जाना। अब उन्होंने इस तकनीक का अपने स्कूल में सफल प्रयोग किया है। मुख्याध्यापक संजीव अत्री ने बताया कि इस विधि से विद्यार्थी के फिंगर प्रिंट लिए जाते हैं, जिनको एक साफ्टवेयर के माध्यम से विश्लेषण कर डर्मेटॉग्लिफिक्स रिपोर्ट प्राप्त की जा रही है।
31 से 51 पृष्ठ की इस रिपोर्ट से पता चलता है कि बच्चे को अभिभावकों से कितनी बुद्धि लब्धि (आईक्यू) प्राप्त हुई। उसकी अपनी कितनी है। व्यक्तित्व के चार मुख्य प्रकारों में से बच्चे का प्राथमिक और द्वितीयक कौन सा है। इस रिपोर्ट में ये भी पता चलता है कि बच्चा किस व्यवसाय में कितना सफल हो सकता है। उसकी सफलता और असफलता की प्रतिशतता कितनी हो सकती है।
39 गुणों की मिलेगी जानकारी
मुख्याध्यापक संजीव अत्री ने बताया कि इस तकनीक विद्यार्थी के 39 विभिन्न गुणों की जानकारी प्रदान करती है। इस तकनीक का उन्होंने अहमदाबाद में विदेशी कंपनी से प्रशिक्षण लिया है। परीक्षण से यह भी पता लगाया जा सकता है कि विद्यार्थी किस तकनीक से सुगमता से सीख सकता है। तकनीक स्पष्ट बताती है कि बच्चे का दायां या बायां कौन सा दिमाग अधिक क्रियाशील है और इसका उसके व्यक्तित्व और क्रियाशीलता पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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