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CPRI Shimla: देश के पहाड़ी राज्यों में खत्म होगा आलू बीज का संकट, सीपीआरआई ने निकाला कृमि सूत्र का तोड़

विपिन काला, शिमला Published by: Krishan Singh Updated Tue, 24 Jan 2023 11:31 AM IST
सार

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) शिमला के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा रसायन खोजा है, जिससे आलू बीज का उपचार करके कृमि सूत्र को नष्ट करने का दावा किया जा रहा है। 

सीपीआरआई शिमला।
सीपीआरआई शिमला। - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) शिमला ने शोध के बाद निमेटोड (कृमि सूत्र) का तोड़ निकाल लिया है। अब हिमाचल प्रदेश समेत पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में  हिमालिनी, गिरधारी, ज्योति और हिमसोना जैसी किस्मों के आलू बीज का संकट नहीं होगा। संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा रसायन खोजा है, जिससे आलू बीज का उपचार करके कृमि सूत्र को नष्ट करने का दावा किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने निमोटेड के चलते सीपीआरआई के कुफरी और फागू आलू बीज फार्म में चार साल से पैदावार पर रोक लगाई हुई है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने अब एक ऐसा रसायन तैयार किया है, जिससे कृमि सूत्र और उसके अंडों को पूरी तरह से नष्ट किया जा सकता है। केंद्र सरकार अब प्रतिबंध को हटाती है तो कुफरी और फागू फार्म में पुन: आलू बीज का उत्पादन शुरू हो सकेगा। प्रतिबंध हटने के बाद दोनों फार्मों में सीपीआरआई हर साल करीब 600 क्विंटल आलू का ब्रीडर बीज तैयार करेगा।  



ब्रीडर बीज से तीन बार करते हैं उत्पादन
वैज्ञानिकों के अनुसार कृमि सूत्र से आलू के उत्पादन में दस फीसदी तक कमी आती है। कृमि सूत्र और अंडे मिट्टी से चिपके रहते हैं। ब्रीडर बीज के बाद राज्य सरकारें तीन बार उत्पादन करके किसानों की जरूरत का बीज उपलब्ध कराती हैं। यानी 600 क्विंटल से करीब 1,29,600 क्विंटल बीज तैयार किया जाता है।


देश में होता है 54,00,000 टन आलू
देश भर में किसान हर साल करीब 54,00,000 टन आलू की पैदावार करते हैं। इनमें भोज्य आलू, टेबल पोटेटो और विधायन (प्रोसेसिंग) किस्म का आलू शामिल है। प्रोसेसिंग आलू का इस्तेमाल चिप्स और फ्रेंच फ्राई में ज्यादा होता है। 

प्रतिबंध हटाने के लिए केंद्र के समक्ष मामला उठाया जाएगा। पहाड़ी राज्यों के किसानों को चार साल से बीज नहीं मिल रहा है। वैज्ञानिकों ने अब ऐसा रसायन विकसित किया है, जिससे आलूू बीज का उपचार करके कृमि सूत्र और अंडों को नष्ट किया जा सकता है। - डॉ. बृजेश सिंह, सीपीआरआई के निदेशक 

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