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गुड़िया मामले में अब एक और मुसीबत में फंसेंगे पुलिस अफसर, एसपी से भी मांगा जवाब

देवेंद्र ठाकुर/अमर उजाला, शिमला Updated Sun, 03 Sep 2017 02:38 PM IST
CBI Investigation on Himachal Police in Kotkhai Gangrape and murder case.

लॉकअप में हुए सूरज हत्याकांड मामले में फंसी एसआईटी के लिए आने वाले दिनों में प्रदेश हाईकोर्ट में दिए गए शपथपत्र भी गले की फांस बन सकते हैं। इसकी वजह यह है कि सीबीआई की जांच में एसआईटी की इस मामले में की गई छानबीन कहीं न कहीं गलत साबित हो रही है।



प्रदेश हाईकोर्ट ने पहले ही अपने आदेशों में सख्त लहजे में एसआईटी के सभी सदस्यों को निर्देश दिए थे कि वह गुड़िया से दरिंदगी के बाद हत्या और लॉकअप में हुई सूरज की हत्या के मामले का विस्तृत ब्योरा दें। वहीं हाईकोर्ट ने एक अन्य शपथपत्र में यह भी घोषित करने को कहा था कि यह जानकारी सत्य पर आधारित होनी चाहिए।


यही वजह है कि सीबीआई ने भी इन शपथ पत्रों को जांच से संबंधित बताते हुए प्रदेश उच्च न्यायालय से उपलब्ध करवाने की गुहार लगाई है। मगर सीबीआई जांच में सामने आ रहे तथ्यों के आधार पर यह प्रतीत होता नजर आ रहा है कि कहीं न कहीं एसआईटी ने प्रदेश हाईकोर्ट में भी गलत जानकारी दी थी।

ऐसे में हाईकोर्ट चाहे तो वह इस मामले में शपथपत्र दायर करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई भी कर सकता है। हालांकि हाईकोर्ट में सीबीआई की तरफ से मामले की पैरवी कर रहे अंशुल भारद्वाज ने कहा कि इस मामले में उच्च न्यायालय अपने स्तर पर ही कार्रवाई करने का विशेषाधिकार है। 

एसआईटी के इन सदस्यों ने दिए थे शपथपत्र

CBI Investigation on Himachal Police in Kotkhai Gangrape and murder case.
प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद एसआईटी प्रमुख जहूर एच जैदी, एएसपी भजन देव नेगी, डीएसपी रतन सिंह नेगी, डीएसपी ठियोग मनोज, सब इंस्पेक्टर धर्म सेन नेगी, एएसआई राजीव कुमार, कोटखाई थाने के एसएचओ राजिंद्र और एएसआई दीप चंद ने शपथपत्र दायर किए थे। इसके अलावा डीजीपी सामेश गोयल ने भी हाईकोर्ट में शपथपत्र दायर किया था। मगर उनका मामले की जांच से सीधे तौर पर कोई संबंध नहीं था। 

सीबीआई शपथपत्र और जांच में सामने आए तथ्यों का करेगी मिलान
प्रदेश हाईकोर्ट में एसआईटी के शपथपत्रों को जांच से संबंधित बताते हुए सीबीआई ने प्रदेश उच्च न्यायालय से उपलब्ध करवाने की मांग की है। केंद्रीय जांच एजेंसी का कहना है कि यह शपथपत्र उनकी जांच में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

सीबीआई शपथ पत्रों की जांच से पता लगाना चाह रही है कि एसआईटी सदस्यों ने हाईकोर्ट में जानकारी मुहैया करवाई है और उन्हें जो जांच में बताया है कि वह आपस में कितना सही है और कितना गलत।

इसकी वजह यह है कि जहां एसआईटी पहले लॉकअप हत्याकांड मामले में राजू को हत्या का आरोपी बता रही थी वहीं सीबीआई की जांच में पुलिस कर्मचारियों को ही उसकी हत्या का आरोपी बनाया गया है।

इसके साथ ही एसआईटी प्रमुख आईजी जहूर एच जैदी पर सबूत मिटाने और साजिश रचने की धाराएं लगाई हैं। इससे साफ है कि मामले को लेकर एसआईटी ने तथ्यों को छिपाने की कोशिश की है। 

सीबीआई ने डीडब्ल्यू नेगी से मांगा तीन दिन की तफ्तीश का जवाब

CBI Investigation on Himachal Police in Kotkhai Gangrape and murder case.
गुड़िया हत्याकांड की जांच में जुटी सीबीआई के निशाने पर अब तत्कालीन एसपी शिमला डीडब्ल्यू नेगी हैं। नेगी पहले अफसर थे, जो गुड़िया की लाश मिलने के बाद प्रारंभिक जांच के लिए तीन दिन तक हलाइला में कैंप किए रहे। चूंकि, किसी भी मामले की प्रारंभिक जांच ही सबसे महत्वपूर्ण होती है लेकिन नेगी की जांच के दौरान लगभग कोई भी साक्ष्य नहीं मिला था।

ऐसे में सीबीआई यह जानने का प्रयास करेगी कि आखिर तीन दिन नेगी ने वहां किया क्या। सीबीआई से जुड़े सूत्रों की मानें तो शुरुआती तीन दिनों की जांच ही नेगी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। दरअसल, लाश मिलने के बाद तीन दिन एसपी नेगी ने घटनास्थल पर कैंप किया लेकिन न तो उनकी कार्यशैली से स्थानीय लोग व पीड़ित परिवार संतुष्ट था और न ही आला अधिकारी सहज थे।

यही कारण था कि एसपी के तीन दिन तक हाथ पांव मारने के बाद पुलिस को आईजी दक्षिण रेंज जहूर हैदर जैदी की अध्यक्षता में विशेष जांच टीम (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) गठित करनी पड़ी थी। 

खास बात यह है कि टीम ने इन्हीं तीन दिन की पड़ताल में छह आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा करने का दावा किया था। ऐसे में यह सवाल सबके मन में था कि शुरुआती तीन दिन की जांच के दौरान डीडब्ल्यू नेगी ने किया क्या था। मामले में ठियोग के निलंबित डीएसपी मनोज जोशी के गनमैन कांस्टेबल अनिल कुमार से भी पूछताछ की जा रही है। 

साक्ष्य मिटाने के लगे थे आरोप

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सूत्र बताते हैं कि शुरुआती जांच के दौरान ही एसपी नेगी पर साक्ष्य मिटाने जैसे गंभीर आरोप लगे थे। शव से सैंपल लेने, क्राइम सीन सील करने के अलावा कथित संदिग्ध आरोपियों के घर दबिश और वहां से मिले सामान को सील करने में गड़बड़ी की आशंका थी।

इसके अलावा अब तक गुड़िया के दाएं पैर का एक जुराब भी गायब थी। कहा जाता रहा कि एक आरोपी के घर से वह जुराब मिली थी लेकिन उसे गायब कर दिया गया। नेगी को भी ऐसे ही आरोपों और सवालों का सामना करते हुए सीबीआई को संतोषजनक जवाब देना है।

भजन और रतन से जाना जा रहा जांच का राज

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बड़ी घटना के बावजूद आखिर क्यों ग्रामीण क्षेत्र के एडिशनल एसपी मौके पर नहीं गए, सीबीआई यह बात भजन देव नेगी से समझने का प्रयास कर रही है। सूत्र बताते हैं कि एसआईटी बनने तक भजन ने एक बार भी घटना स्थल का निरीक्षण नहीं किया। यही नहीं, एसपी ने भी एक बार भी नेगी को बुलाने की जहमत नहीं उठाई।

वहीं जांच के दौरान भी टीम और भजन की सोच व जांच का एंगल अलग होने की बात सामने आई थी। सीबीआई उनसे उनकी जांच और घटनास्थल न जाने के कारण जानने का प्रयास कर रही है। डीएसपी ट्रैफिक रतन नेगी घटना स्थल व उसके बाद जांच में एक्टिव क्यों रहे, यह जानने के लिए रतन से भी सीबीआई पूछताछ कर रही है।
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