राजस्थान विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट लेकर जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए छह विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। विधायकों ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह उस याचिका पर सुनवाई करे जो पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने को लेकर उनके खिलाफ राजस्थान उच्च न्यायालय में दाखिल की गई है।
उन्होंने दलील दी है कि संविधान की 10 वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता पर सवाल उठाने वाली इसी तरह की याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। इसलिए, राजस्थान उच्च न्यायालय में उनके खिलाफ दायर याचिका शीर्ष न्यायालय में स्थानांतरित की जानी चाहिए।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के इन विधायकों ने अपनी याचिका में कहा कि यह न्याय के हित में होगा कि यह विषय शीर्ष न्यायालय में स्थानांतरित किया जाए और वहां दायर इसी तरह की याचिकाओं के साथ उसकी भी सुनवाई की जाए।
राजस्थान उच्च न्यायलय में दो याचिकाएं दायर की गई हैं, एक याचिका भाजपा विधायक मदन दिलावर ने दायर की है, जबकि दूसरी याचिका बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने दायर की है।
दिलावर ने बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय को चुनौती देते हुए विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी के उस आदेश पर सवाल उठाया है जिसके तहत उन्होंने उनका (दिलावर का) पक्ष सुने बगैर उनकी शिकायत खारिज कर दी।
मिश्रा ने विधायकों के दल बदल को चुनौती दी है लेकिन उन्होंने इस याचिका को उच्चतम न्यायालय स्थानांतरित किये जाने की मांग नहीं की है।
विधायकों ने शीर्ष न्यायालय से कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले से नाखुश दिलावर ने इस आधार पर रिट याचिका दायर की है कि बसपा का कांग्रेस में विलय नहीं हुआ है और इस तरह 10 वीं अनुसूची के तहत यह अपवाद का विषय नहीं हो सकता।
बसपा विधायकों ने शीर्ष न्यायालय में अपनी याचिका में कहा है कि दिलावर और अन्य प्रतिवादियों ने यह सवाल उठाया है कि इस तरह की याचिकाएं पहले से उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं।
याचिका में कहा गया है, इस बात का जिक्र करना भी महत्वपूर्ण है कि 10 वीं अनुसूची के चौथे पैराग्राफ का दायरा और अभिप्राय के संबंध में कानून को स्पष्ट करने की जरूरत है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि संविधान की व्याख्या के संबंध में विरोधाभासी फैसले नहीं हैं।
इसमें कहा गया है कि मौजूदा मामले में (राज्य में) बसपा का समूचा विधायक दल कांग्रेस विधायक दल में विलय कर गया और इसलिए 10 वीं अनुसूची के चौथे पैराग्राफ में निर्धारित प्रावधान अयोग्यता का मार्ग प्रशस्त नहीं करता है।
उच्च न्यायालय ने बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने को चुनौती दने वाली याचिकाओं पर 30 जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष और इसके सचिव का जवाब मांगा था।
विधानसभा सत्र से पहले छह और भाजपा विधायक गुजरात भेजे गए
राजस्थान में 14 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से पहले भाजपा ने अपने छह विधायकों को गुजरात के पोरबंदर शिफ्ट कर दिया है। शनिवार को निर्मल कुमावत, गोपीचंद मीणा, जब्बार सिंह सांखला, धर्मवीर मोची, गोपाल लाल शर्मा और गुरुदीप सिंह शाहपिनी ने जयपुर एयरपोर्ट से चार्टर्ड फ्लाइट से पोरबंदर पहुंचे।
विधायकों को आलीशान रिसॉर्ट में ठहराया गया है और वे सोमनाथ मंदिर दर्शन करने जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक, इससे पहले शुक्रवार को 12 विधायक फ्लाइट से अहमदाबाद पहुंचे थे। यहां इन्हें रिसॉर्ट में ठहराया गया था। इस बीच, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कांग्रेस की तरह विधायकों की बाड़ाबंदी से इनकार किया है।
हाल ही में विधानसभा सत्र की घोषणा होने के साथ ही कांग्रेस ने खरीद-फरोख्त के डर से अपने विधायकों को जैसलमेर शिफ्ट कर दिया था। पूनिया ने कहा, सभी विधायक एकजुट हैं और किसी तरह का मतभेद नहीं है। कांग्रेस सरकार के लोग विधायकों के बारे में सोशल मीडिया पर अफवाहें फैला रहे हैं। जल्द ही भाजपा विधायकों की बैठक होगी और उसमें सभी विधायक शामिल रहेंगे।
इस बीच, गुजरात पहुंचे भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने कहा, पुलिस और प्रशासन द्वारा कुछ विधायकों को परेशान किया जा रहा था, जिसके बाद हमने स्वेच्छा से तीर्थयात्रा पर आने का फैसला किया। वहीं, उपनेता विपक्ष राजेंद्र राठौर ने कहा कि अगर कुछ भाजपा विधायक घूमने जाते हैं तो इसे बाड़ाबंदी नहीं कहा जा सकता। भाजपा में इस तरह की संस्कृति नहीं है।