राजस्थान सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव के ध्वनिमत से पारित होने के बाद कांग्रेस की सरकार बच गई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधायक सचिन पायलट ने हाथ भी मिला लिया। अब कांग्रेस की योजना प्लान सचिन के आत्म सम्मान की रक्षा करके दोनों का दिल मिलाने की कोशिशों पर टिक गया है। इसमें अशोक गहलोत को काफी कुछ अखर रहा है, लेकिन उन्हें थोड़ा सिकुड़ना होगा।
सूत्र बताते हैं सचिन पायलट से अब सब कुछ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, महासचिव केसी वेणुगोपाल और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर छोड़ दिया है। इसी को केंद्र में रखकर तीन सदस्यों की समिति बनाई गई है।
अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल, अजय माकन
कांग्रेस अध्यक्ष ने तीन वरिष्ठ नेताओं की समिति बनाकर उन्हें राजस्थान में सब कुछ ठीक करने का जिम्मा सौंपा है। इस समिति की सिफारिशों पर गौर करके कांग्रेस अध्यक्ष अब अगला कदम उठाएंगी। पहले कदम के तौर उन्होंने राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे को बदलकर, अजय माकन को जिम्मेदारी सौंप दी है। अविनाश पांडे के कामकाज के तरीकों को लेकर सचिन पायलट को भी शिकायत थी।
अशोक गहलोत के सामने अविनाश पांडे भी बहुत निष्पक्ष नहीं हो पाते थे। इसके समानांतर अजय माकन युवा हैं। राहुल गांधी के भरोसेमंद हैं। केसी वेणुगोपाल पार्टी के संगठन महासचिव हैं। उन्हें भी राहुल गांधी और सोनिया गांधी का भरोसा हासिल है।
अहमद पटेल कभी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार हुआ करते थे। पार्टी में उनकी एक अलग धाक है और राजनीतिक प्रबंधन कला में निपुण हैं। पटेल का सचिन पायलट से जहां स्नेह भरा रिश्ता है, वहीं अशोक गहलोत के साथ भी समीकरण ठीक हैं। कांग्रेस मानकर चल रही है कि आने वाले समय में सब ठीक हो जाएगा।
गहलोत को सिकुड़ना होगा, पायलट को मिलेगा आत्म सम्मान
कांग्रेस पार्टी को जितनी जरूरत अशोक गहलोत और उनके तजुर्बे की है, उतनी ही बड़ी जरूरत युवा, सक्षम पायलट की भी है। पायलट को कांग्रेस भविष्य का नेता मानती है। कांग्रेस पार्टी के सूत्र बताते हैं कि सचिन पायलट का खेमा उप मुख्यमंत्री पद समेत मंत्रिपरिषद में छह पद चाहता है। इनमें तीन कैबिनेट मंत्री रैंक का और तीन राज्यमंत्री।
संगठन में भी उसकी मांग है। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि जो भी उचित होगा, निर्णय लिया जाएगा। एक बड़े नेता का कहना है कि बिना अशोक गहलोत के सचिन पायलट अकेले राजस्थान की सत्ता का संचालन कितना कर पाएंगे, इसमें संशय है। इस बारीकी को सचिन पायलट भी बखूबी समझते हैं।
पार्टी कभी भी किसी एक नेता के निजी हित को साधने के आधार पर नहीं चला करती। सूत्र का कहना है कि अनुभवी अशोक गहलोत को इसकी समझ है। इसलिए यहां कनिष्ठ को वरिष्ठ का आदर करना होगा और वरिष्ठ को कनिष्ठ का सम्मान करना होगा। इसी में कांग्रेस पार्टी का हित भी निहित है।
गहलोत और पायलट दोनों के राजनीतिक हितों, मान-सम्मान समेत सभी आयामों को ध्यान में रखकर उसकी रक्षा करना पार्टी का दायित्व है और यह प्रयास हो रहा है।
पांच साल पूरा करेगी राजस्थान सरकार
कांग्रेस पार्टी के राजस्थान के एक बड़े नेता ने फोन पर नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि जहां बर्तन होते हैं, कभी-कभी खनकते भी हैं। यह भी कुछ ऐसा ही था। सूत्र का कहना है कि यह दौर खत्म हो चुका है। राजस्थान की सरकार पर कोई खतरा नहीं है।
सचिन पायलट के अजमेर के युवा साथी का कहना है कि उनके नेता (पायलट) ने विधानसभा से लेकर सड़क तक स्थिति स्पष्ट कर दी है। राजस्थान की सरकार मजबूती के साथ अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
विस्तार
राजस्थान सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव के ध्वनिमत से पारित होने के बाद कांग्रेस की सरकार बच गई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधायक सचिन पायलट ने हाथ भी मिला लिया। अब कांग्रेस की योजना प्लान सचिन के आत्म सम्मान की रक्षा करके दोनों का दिल मिलाने की कोशिशों पर टिक गया है। इसमें अशोक गहलोत को काफी कुछ अखर रहा है, लेकिन उन्हें थोड़ा सिकुड़ना होगा।
सूत्र बताते हैं सचिन पायलट से अब सब कुछ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, महासचिव केसी वेणुगोपाल और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर छोड़ दिया है। इसी को केंद्र में रखकर तीन सदस्यों की समिति बनाई गई है।
अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल, अजय माकन
कांग्रेस अध्यक्ष ने तीन वरिष्ठ नेताओं की समिति बनाकर उन्हें राजस्थान में सब कुछ ठीक करने का जिम्मा सौंपा है। इस समिति की सिफारिशों पर गौर करके कांग्रेस अध्यक्ष अब अगला कदम उठाएंगी। पहले कदम के तौर उन्होंने राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे को बदलकर, अजय माकन को जिम्मेदारी सौंप दी है। अविनाश पांडे के कामकाज के तरीकों को लेकर सचिन पायलट को भी शिकायत थी।
अशोक गहलोत के सामने अविनाश पांडे भी बहुत निष्पक्ष नहीं हो पाते थे। इसके समानांतर अजय माकन युवा हैं। राहुल गांधी के भरोसेमंद हैं। केसी वेणुगोपाल पार्टी के संगठन महासचिव हैं। उन्हें भी राहुल गांधी और सोनिया गांधी का भरोसा हासिल है।
अहमद पटेल कभी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार हुआ करते थे। पार्टी में उनकी एक अलग धाक है और राजनीतिक प्रबंधन कला में निपुण हैं। पटेल का सचिन पायलट से जहां स्नेह भरा रिश्ता है, वहीं अशोक गहलोत के साथ भी समीकरण ठीक हैं। कांग्रेस मानकर चल रही है कि आने वाले समय में सब ठीक हो जाएगा।
गहलोत को सिकुड़ना होगा, पायलट को मिलेगा आत्म सम्मान
कांग्रेस पार्टी को जितनी जरूरत अशोक गहलोत और उनके तजुर्बे की है, उतनी ही बड़ी जरूरत युवा, सक्षम पायलट की भी है। पायलट को कांग्रेस भविष्य का नेता मानती है। कांग्रेस पार्टी के सूत्र बताते हैं कि सचिन पायलट का खेमा उप मुख्यमंत्री पद समेत मंत्रिपरिषद में छह पद चाहता है। इनमें तीन कैबिनेट मंत्री रैंक का और तीन राज्यमंत्री।
संगठन में भी उसकी मांग है। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि जो भी उचित होगा, निर्णय लिया जाएगा। एक बड़े नेता का कहना है कि बिना अशोक गहलोत के सचिन पायलट अकेले राजस्थान की सत्ता का संचालन कितना कर पाएंगे, इसमें संशय है। इस बारीकी को सचिन पायलट भी बखूबी समझते हैं।
पार्टी कभी भी किसी एक नेता के निजी हित को साधने के आधार पर नहीं चला करती। सूत्र का कहना है कि अनुभवी अशोक गहलोत को इसकी समझ है। इसलिए यहां कनिष्ठ को वरिष्ठ का आदर करना होगा और वरिष्ठ को कनिष्ठ का सम्मान करना होगा। इसी में कांग्रेस पार्टी का हित भी निहित है।
गहलोत और पायलट दोनों के राजनीतिक हितों, मान-सम्मान समेत सभी आयामों को ध्यान में रखकर उसकी रक्षा करना पार्टी का दायित्व है और यह प्रयास हो रहा है।
पांच साल पूरा करेगी राजस्थान सरकार
कांग्रेस पार्टी के राजस्थान के एक बड़े नेता ने फोन पर नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि जहां बर्तन होते हैं, कभी-कभी खनकते भी हैं। यह भी कुछ ऐसा ही था। सूत्र का कहना है कि यह दौर खत्म हो चुका है। राजस्थान की सरकार पर कोई खतरा नहीं है।
सचिन पायलट के अजमेर के युवा साथी का कहना है कि उनके नेता (पायलट) ने विधानसभा से लेकर सड़क तक स्थिति स्पष्ट कर दी है। राजस्थान की सरकार मजबूती के साथ अपना कार्यकाल पूरा करेगी।