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पठानकोट। नगर निगम पठानकोट (एमसीपी) की माली हालत फंड के अभाव में बिगड़ती जा रही है। निगम की आमदनी से ज्यादा खर्चा हो रहा है और फंड नहीं होने से लगातार देनदारी बढ़ती जा रही है। अब निगम के पास सेवानिवृत्त मुलाजिमों की पेंशन और ग्रेच्युटी जमा कराने के लिए पैसा नहीं है और ठेकेदारों का करोड़ों रुपये का बकाया देने के लिए है। ऐसे में देनदारियों के बोझ तले दबी निगम का कामकाज चलाने के लिए ढाई करोड़ रुपये के फंड की दरकार है। लेकिन, सरकार के कान पर जूं तक नहीं सरक रही है। लिहाजा निगम में कामकाज की स्थिति डामा डोल है।
जानकारी के मुताबिक निगम को वैट और अपने स्रोतों से एक करोड़ 38 लाख 24 हजार की आय है, जबकि खर्चा 2 करोड़ 30 लाख 89 हजार रुपये हो रहा है। इसमें से वेतन व पेंशन का लगभग 90 लाख, 40 लाख मासिक बिजली बिल ही देना पड़ रहा है। लिहाजा निगम की देनदारी बढ़कर 13 करोड़ 76 लाख 36 हजार रुपये है। इसमें स्ट्रीट लाइन व ट्यूबवेल का बिल का बकाया 4 करोड़ 83 लाख 48 हजार रुपये, मुलाजिमों का प्रोवीडेंट फंड, रिटायरल ड्यूज, मेडिकल बिल व अन्य बकाया 6 करोड़ 17 लाख 88 हजार है। जबकि ठेेकेदारों ने ढाई करोड का बकाया होने से निगम का नया काम करने से हाथ पीछे खींच लिए हैं। वहीं 25 लाख की दफ्तर के फटकल खर्चों का बकाया होने से दफ्तरी कामकाज चलो में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इतनी बड़ी बकाया राशि खड़ी होने से निगम का कामकाज चरमरा गया है। सबसे ज्यादा परेशानी मुलाजिमों की अदायगी नहीं होने से पेश आ रही है। पंजाब म्युनिसिपल कारपोरेशन इंप्लाइज पेंशन और जनरल प्रोवीडेंट फंड नियमों के मुताबिक निगम की ओर से पेंशन कंट्रीब्यूशन की बनती राशि 10 लाख, सेवानिवृत्ति मुलाजिमों की पेंशन 30 लाख हर माह के पहले सप्ताह में जमा करानी होती है जोकि फंड की कमी के चलते समय पर जमा नहीं हो पा रही है जोकि पिछले छह माह से जमा नहीं हो सका है। लिहाजा मुलाजिम कोर्ट की शरण में अदायगी को जा रहे हैं। दरअसल, नगर काउंसिल को तोड़कर पठानकोट को निगम का दर्जा दिए जाने से पहले पेंशन की अदायगी स्थानीय निकाय विभाग की ओर से की जाती थी, जोकि निगम बनने के पास मुलाजिमों की पेंशन 30 लाख रुपये का अतिरिक्त बोझ पहले से ही कमजोर हालत एमसीपी पर लद गया है। इस बारे में निगम के कमिश्नर व डीसी सिबन सी ने कहा कि सरकार की ओर से वैट की राशि कम मिल रही है इसलिए समस्या खड़ी हो रही है।
निगम को 28.71 करोड़ का वित्तीय नुक्सान
पठानकोट। पूर्वोत्तर में कैप्टन सरकार की ओर से अप्रैल 2006 से 5 मरले तक पानी-सीवरेज बिल माफ किए जाने से निगम को अब तक 28 करोड़ 71 लाख का नुकसान हो चुका है। हर माह 37.73 लाख वित्तीय और मई 2012 से तेल पर चुंगी माफ किए जाने से निगम को पठानकोट को हर माह 12 लाख का वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है, जबकि सरकार की ओर से इसके बदले में कई ग्रांट व सहायता निगम को मुहैया नहीं कराई गई है।
पठानकोट। नगर निगम पठानकोट (एमसीपी) की माली हालत फंड के अभाव में बिगड़ती जा रही है। निगम की आमदनी से ज्यादा खर्चा हो रहा है और फंड नहीं होने से लगातार देनदारी बढ़ती जा रही है। अब निगम के पास सेवानिवृत्त मुलाजिमों की पेंशन और ग्रेच्युटी जमा कराने के लिए पैसा नहीं है और ठेकेदारों का करोड़ों रुपये का बकाया देने के लिए है। ऐसे में देनदारियों के बोझ तले दबी निगम का कामकाज चलाने के लिए ढाई करोड़ रुपये के फंड की दरकार है। लेकिन, सरकार के कान पर जूं तक नहीं सरक रही है। लिहाजा निगम में कामकाज की स्थिति डामा डोल है।
जानकारी के मुताबिक निगम को वैट और अपने स्रोतों से एक करोड़ 38 लाख 24 हजार की आय है, जबकि खर्चा 2 करोड़ 30 लाख 89 हजार रुपये हो रहा है। इसमें से वेतन व पेंशन का लगभग 90 लाख, 40 लाख मासिक बिजली बिल ही देना पड़ रहा है। लिहाजा निगम की देनदारी बढ़कर 13 करोड़ 76 लाख 36 हजार रुपये है। इसमें स्ट्रीट लाइन व ट्यूबवेल का बिल का बकाया 4 करोड़ 83 लाख 48 हजार रुपये, मुलाजिमों का प्रोवीडेंट फंड, रिटायरल ड्यूज, मेडिकल बिल व अन्य बकाया 6 करोड़ 17 लाख 88 हजार है। जबकि ठेेकेदारों ने ढाई करोड का बकाया होने से निगम का नया काम करने से हाथ पीछे खींच लिए हैं। वहीं 25 लाख की दफ्तर के फटकल खर्चों का बकाया होने से दफ्तरी कामकाज चलो में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इतनी बड़ी बकाया राशि खड़ी होने से निगम का कामकाज चरमरा गया है। सबसे ज्यादा परेशानी मुलाजिमों की अदायगी नहीं होने से पेश आ रही है। पंजाब म्युनिसिपल कारपोरेशन इंप्लाइज पेंशन और जनरल प्रोवीडेंट फंड नियमों के मुताबिक निगम की ओर से पेंशन कंट्रीब्यूशन की बनती राशि 10 लाख, सेवानिवृत्ति मुलाजिमों की पेंशन 30 लाख हर माह के पहले सप्ताह में जमा करानी होती है जोकि फंड की कमी के चलते समय पर जमा नहीं हो पा रही है जोकि पिछले छह माह से जमा नहीं हो सका है। लिहाजा मुलाजिम कोर्ट की शरण में अदायगी को जा रहे हैं। दरअसल, नगर काउंसिल को तोड़कर पठानकोट को निगम का दर्जा दिए जाने से पहले पेंशन की अदायगी स्थानीय निकाय विभाग की ओर से की जाती थी, जोकि निगम बनने के पास मुलाजिमों की पेंशन 30 लाख रुपये का अतिरिक्त बोझ पहले से ही कमजोर हालत एमसीपी पर लद गया है। इस बारे में निगम के कमिश्नर व डीसी सिबन सी ने कहा कि सरकार की ओर से वैट की राशि कम मिल रही है इसलिए समस्या खड़ी हो रही है।
निगम को 28.71 करोड़ का वित्तीय नुक्सान
पठानकोट। पूर्वोत्तर में कैप्टन सरकार की ओर से अप्रैल 2006 से 5 मरले तक पानी-सीवरेज बिल माफ किए जाने से निगम को अब तक 28 करोड़ 71 लाख का नुकसान हो चुका है। हर माह 37.73 लाख वित्तीय और मई 2012 से तेल पर चुंगी माफ किए जाने से निगम को पठानकोट को हर माह 12 लाख का वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है, जबकि सरकार की ओर से इसके बदले में कई ग्रांट व सहायता निगम को मुहैया नहीं कराई गई है।