पठानकोट। पंजाब सरकार की ओर से पठानकोट को नगर निगम बनाकर खूब वाहवाही लूट ली गई, लेकिन फंड की व्यवस्था करना सरकार भूल गई है। लिहाजा निगम के सेवामुक्त मुलाजिमों की पेंशन का संकट खड़ा हो गया है। पिछले पांच माह से निगम के 257 मुलाजिमों को पेंशन की अदायगी नहीं हो सकी है जोकि अब तक सवा एक करोड़ से पार जा चुका है। इसके चलते मुलाजिमों को घर का चूल्हा जलाना मुश्किल हो गया है। जबकि सरकार ने अभी तक निगम के लिए कोई फंड की व्यवस्था तक नहीं की है।
उल्लेखनीय है कि जुलाई 2011 को पूर्व में अकाली-भाजपा सरकार ने पठानकोट नगर काउंसिल को निगम का दर्जा दिया था, लेकिन सितंबर 2011 में कुछ पार्षद नियमों के विपरीत पठानकोट को निगम का दर्जा दिए जाने को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चले गए थे। पंजाब सरकार ने अपने नियमों में संशोधन कर निगम की सभी शर्तों को खत्म कर दिया। इसके बाद पंजाब में विधानसभा चुनाव शुरू हो गए थे। सूबे में अकाली-भाजपा गठबंधन ने दोबारा सत्ता में वापसी की और हाईकोर्ट ने अप्रैल 2012 में निगम का दर्जा बहाल कर दिया। इसके बाद से निगम के 257 मुलाजिमों की पेंशन के भुगतान का संकट खड़ा हो गया है। काउंसिल के दर्जा रहने तक सरकार उन्हें पेंशन दे रही थी और अब पेंशन भुगतान का बोझ निगम पर लाद दिया गया है। जबकि निगम अधिकारी सरकार की ओर देख रहे हैं कि कब उन्हें फंड मिलता है और उनका भुगतान किया जाए।
जानकारी के मुताबिक सेवानिवृत्त 257 मुलाजिमों की मासिक पेंशन लगभग 28 लाख रुपये बनती है जोकि पांच माह में बढ़कर 1.40 करोड़ से पार जा चुकी है। जबकि सरकार की ओर से केवल वैट का 60 लाख रुपये मासिक (चुंगी के बदले) दिया जा रहा है। इससे मुलाजिमों का वेतन भुगतान ही बमुश्किल हो पाता है। लिहाजा निगम के लिए मुलाजिमों को पेंशन का भुगतान करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। दूसरी तरफ सेवानिवृत्त मुलाजिमों का कहना है कि पेंशन लेने के लिए हर माह निगम दफ्तर आते हैं, लेकिन उन्हें मायूस ही लौटना पड़ रहा है। इससे उन्हें अपना परिवार उधार लेकर चलाना पड़ रहा है।
इस बारे में निगम के कमिश्नर जेपी सिंह ने कहा कि सरकार की ओर से अभी तक कोई फंड जारी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि निकाय विभाग के उच्चाधिकारियों से बात हुई है और अब फंड आने पर ही पेंशन का भुगतान हो सकेगा।
क्या है नियम
नगर निगम एक्ट के मुताबिक निगम के मुलाजिमों के साथ साथ सेवामुक्त मुलाजिमों के वेतन, भत्तों और पेंशन का खर्च भी निगम की ओर से वहन किया जाता है। जबकि नगर काउंसिल के समय सेवामुक्त मुलाजिमों की पेंशन सरकार की ओर से दी जाती है।
पठानकोट। पंजाब सरकार की ओर से पठानकोट को नगर निगम बनाकर खूब वाहवाही लूट ली गई, लेकिन फंड की व्यवस्था करना सरकार भूल गई है। लिहाजा निगम के सेवामुक्त मुलाजिमों की पेंशन का संकट खड़ा हो गया है। पिछले पांच माह से निगम के 257 मुलाजिमों को पेंशन की अदायगी नहीं हो सकी है जोकि अब तक सवा एक करोड़ से पार जा चुका है। इसके चलते मुलाजिमों को घर का चूल्हा जलाना मुश्किल हो गया है। जबकि सरकार ने अभी तक निगम के लिए कोई फंड की व्यवस्था तक नहीं की है।
उल्लेखनीय है कि जुलाई 2011 को पूर्व में अकाली-भाजपा सरकार ने पठानकोट नगर काउंसिल को निगम का दर्जा दिया था, लेकिन सितंबर 2011 में कुछ पार्षद नियमों के विपरीत पठानकोट को निगम का दर्जा दिए जाने को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चले गए थे। पंजाब सरकार ने अपने नियमों में संशोधन कर निगम की सभी शर्तों को खत्म कर दिया। इसके बाद पंजाब में विधानसभा चुनाव शुरू हो गए थे। सूबे में अकाली-भाजपा गठबंधन ने दोबारा सत्ता में वापसी की और हाईकोर्ट ने अप्रैल 2012 में निगम का दर्जा बहाल कर दिया। इसके बाद से निगम के 257 मुलाजिमों की पेंशन के भुगतान का संकट खड़ा हो गया है। काउंसिल के दर्जा रहने तक सरकार उन्हें पेंशन दे रही थी और अब पेंशन भुगतान का बोझ निगम पर लाद दिया गया है। जबकि निगम अधिकारी सरकार की ओर देख रहे हैं कि कब उन्हें फंड मिलता है और उनका भुगतान किया जाए।
जानकारी के मुताबिक सेवानिवृत्त 257 मुलाजिमों की मासिक पेंशन लगभग 28 लाख रुपये बनती है जोकि पांच माह में बढ़कर 1.40 करोड़ से पार जा चुकी है। जबकि सरकार की ओर से केवल वैट का 60 लाख रुपये मासिक (चुंगी के बदले) दिया जा रहा है। इससे मुलाजिमों का वेतन भुगतान ही बमुश्किल हो पाता है। लिहाजा निगम के लिए मुलाजिमों को पेंशन का भुगतान करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। दूसरी तरफ सेवानिवृत्त मुलाजिमों का कहना है कि पेंशन लेने के लिए हर माह निगम दफ्तर आते हैं, लेकिन उन्हें मायूस ही लौटना पड़ रहा है। इससे उन्हें अपना परिवार उधार लेकर चलाना पड़ रहा है।
इस बारे में निगम के कमिश्नर जेपी सिंह ने कहा कि सरकार की ओर से अभी तक कोई फंड जारी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि निकाय विभाग के उच्चाधिकारियों से बात हुई है और अब फंड आने पर ही पेंशन का भुगतान हो सकेगा।
क्या है नियम
नगर निगम एक्ट के मुताबिक निगम के मुलाजिमों के साथ साथ सेवामुक्त मुलाजिमों के वेतन, भत्तों और पेंशन का खर्च भी निगम की ओर से वहन किया जाता है। जबकि नगर काउंसिल के समय सेवामुक्त मुलाजिमों की पेंशन सरकार की ओर से दी जाती है।