मोहाली। फेज-2 में रेबीज संक्रमित लावारिस कुत्ता मिला है। सूचना मिलने के बाद पशु प्रेमी ने लक्षण देखकर एक खुली लेकिन ऐसी जगह पर रखा है जहां पर वह किसी को नुकसान न पहुंचा सके। अभी उसकी हालत नाजुक बनी है। वहीं, जिस कुत्ते से इसे रेबीज हुआ वह अभी तक नहीं मिल पाया है।
पशु प्रेमी नाहर सिंह ने बताया कि यह कुत्ता किसी रेबीज संक्रमित कुत्ते के संपर्क में आया होगा। इसके बाद से उसकी हालत नाजुक हो गई है। उसका मुंह खुल गया है। उसने खाना-पीना बंद कर दिया है लेकिन वह किसी को काट नहीं रहा है। इससे लगता है कि उसे साइलेंट रेबीज है।
कैसे होता है रेबीज
रेबीज मुख्य रूप से लिसा वायरस के कारण होता है। यह कुत्तों, भेड़ियों, लोमड़ियों, गीदड़ों, बिल्लियों, शेरों, नेवले, चमगादड़, बंदरों और मनुष्यों सहित स्थल और हवा में पाए जाने वाले स्तनधारियों की बीमारी है। यह वायरस अत्यंत सूक्ष्म होता है। इसे सिर्फ माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है। किसी संक्रमित जानवर के काटने पर उसकी लार में मौजूद वायरस दूसरे जीव में चले जाते हैं। संक्रमित जानवरों के पंजे की खरोंच से भी यह वायरस फैल सकता है। संक्रमित होने के बाद दो सप्ताह से चार महीने के बीच लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
इंसानों को भी हो सकता है रेबीज
इंसानों में रेबीज के मामले सबसे ज्यादा भारत में हैं। यह बीमारी ज्यादातर कुत्तों से प्रसारित होती है। इसे कैनाइन रेबीज भी कहा जाता है। ऐसे में जो लोग कुत्ता या अन्य कोई पालतू जानवर रखते है उन्हें अपने जानवर का उचित टीकाकरण करवा लेना चाहिए।
कुत्तों में रेबीज के लक्षण
1. गर्दन की मांसपेशियों में अकड़न
2. चलना-फिरना कम करना
3. भोजन न खाना या सुस्ती
4. कुत्ता अचानक से घूमने जाने से कतराने लगे
5. मुंह खुल जाना और लार टपकना
रेबीज से बचाव के उपाय
टीकाकरण ही इर रोग का एकमात्र बचाव है। जिस कुत्ते का टीकाकरण नहीं हुआ है और उसे अगर रेबीज हो जाए तो उसे बचाना नामुमकिन हो जाता है। वहीं, अगर किसी इंसान को रेबीज वाला कुत्ता काट ले तो वक्त पर इलाज मिलने से उसका बचाव हो सकता है।
सरकार और प्रशासन का नहीं कोई सहयोग
पशु प्रेमी नाहर सिंह ने बताया कि रेबीज के नाम से लोग डरते हैं। रेबीज ग्रस्त कुत्तों को ढूंढना भी आसान नहीं होता। किसी भी तरीके की जानवर की मदद हम अकेले करते हैं। हमें प्रशासन और प्राइवेट एनजीओ का कोई सहारा नहीं है।