मोहाली। नगर निगम की दो गाड़ियां स्थानीय निकाय विभाग में चल रही हैं। इनमें एक गाड़ी को तो निगम का एक बेलदार ही चला रहा है, दूसरी गाड़ी पर निकाय विभाग का ड्राइवर है। दिलचस्प बात यह है कि निगम ने बगैर कोई प्रस्ताव पास किए ही निकाय विभाग को गाड़ियां भेज दीं। हालांकि, सरकार ने लिखित रूप से इनका रिक्वीजिशन किया हुआ है। पूर्व पार्षद कुलजीत बेदी द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी से यह खुलासा हुआ।
निगम द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, गाड़ी नंबर पीबी 65ए 0104 निकाय विभाग के पास है, जिसका 2010-11 में पेट्रोल का खर्च 1,39,270 रुपये और रिपेयर खर्च 35,565 रुपये आया। यह खर्च भी निगम ने उठाया। इस गाड़ी को निगम का बेलदार प्यारा सिंह चला रहा है। दूसरी गाड़ी नंबर पीबी 65एन 6500 2011 में ही निगम ने खरीदी थी, वह भी निकाय विभाग में चल रही है। इसका पेट्रोल खर्च 1,39,142 रुपये आया।
बिना चले ही हजारों का तेल पी गया वाहन
आरटीआई के तहत दी गई जानकारी में और भी दिलचस्प खुलासे हुए। मसलन, एक डंपर बिना किसी ड्राइवर के और बिना चले ही 35,010 रुपये का तेल पी गया। इसकी रिपेयर पर भी 14,059 रुपये खर्च हो गए। इसी तरह गाड़ी नंबर पीबी 65,7924 के ड्राइवर का पता नहीं, पर 2010-11 में इस पर 75,635 रुपये और 2011-12 में 2,22, 423 रुपये का पेट्रोल खर्च किया गया। वहीं, 3946 रुपये की रिपेयर भी कराई गई। यह गाड़ी फायर ब्रिगेड के पास चलती दिखाई गई है। सेनिटेशन विभाग का एक टिप्पर 2010-11 में 2250 किलोमीटर चला। इस पर 1,61,248 रुपये का पेट्रोल और 2256 रुपये रिपेयर खर्च हुआ। यही टिप्पर 2011-12 में 9455 किलोमीटर चला, पर पेट्रोल खर्च सिर्फ 73,633 रुपये आया, रिपेयर कोई नहीं।
गाड़ियां नहीं लौटीं तो अदालत जाएंगे बेदी
पूर्व पार्षद कुलजीत बेदी ने कहा कि म्यूनिसिपल एक्ट के मुताबिक निगम या काउंसिल का कोई वाहन बेगार पर नहीं जा सकता। क्योंकि ये वाहन निगम विकास कार्यों की देखरेख के लिए खरीदे गए हैं। वहीं, निकाय विभाग द्वारा निगम के प्रस्ताव के बगैर रिक्वीजिशन भी एक्ट का उल्लंघन है। निगम के बेलदार को लगाना, गाड़ियों के पेट्रोल व रिपेयर का खर्च निगम पर डालना गैरकानूनी है। अगर एक महीने में गाड़ियां वापस नहीं हुईं तो वह अदालत जाएंगे। इस बारे में अधिकारियों को पत्र लिखा जा चुका है।