मोहाली। शहर में एक बार फिर फैंसी नंबरों के लिए ‘जंग’ छिड़ने वाली है। जिला ट्रांसपोर्ट विभाग द्वारा अब आर-सीरीज के नंबरों की नीलामी की जाएगी। साथ ही क्यू सीरीज के बकाया फैंसी नंबर की भी नीलामी की जाएगी। नीलामी के दौरान नंबर के लिए बोली देने वाले को मौजूद रहना होगा, वरना उक्त व्यक्ति द्वारा दी गई राशि ट्रांसपोर्ट विभाग जब्त कर ली जाएगी। इसके अलावा नीलामी के नियमों और अन्य शर्तों को भी सख्त किया गया है।
क्या है प्रक्रिया
ट्रांसपोर्ट विभाग के मुताबिक, फैंसी नंबरों के लिए 31 मई को बोली होगी, जबकि इसके लिए लोगों को 29 मई तक रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए लोगों को अपनी पसंद का नंबर चुनकर उक्त नंबर की रिजर्व कीमत की आधी कीमत का डिमांड ड्राफ्ट बनाकर जिला ट्रांसपोर्ट दफ्तर में जमा करवाना होगा। इसके बाद ही बोली वाले दिन उक्त व्यक्ति अपने नंबर के लिए बोली लगा पाएगा। यदि इस दौरान संबंधित व्यक्ति बोली जीतने में कामयाब रहा तो उसे सात दिन में अन्य सारी कार्रवाईयां पूरी कर गाड़ी का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। अगर उसने ऐसा नहीं कराया तो ट्रांसपोर्ट विभाग द्वारा दूसरे व्यक्ति को नंबर अलॉट कर दिया जाएगा।
रिजर्व प्राइस
पीबी 65 आर 0001 : 50 हजार
0002 से 0009 : 10 हजार
0010 से 0100 : तीन हजार
0101 से 9999 : एक हजार
पीबी 65 क्यू 0006 से 0099 : तीन हजार
0110 से 9797 : एक हजार
पिछली बार साढ़े नौ लाख का बिका था 0001
अपनी गाड़ियों पर फैंसी नंबर लगाने के शौकीनों की मोहाली में कोई कमी नहीं है। पिछली बार 28 फरवरी को क्यू-सीरीज के फैंसी नंबरों की नीलामी हुई थी, जिसमें 0001 नंबर गांव बड़ी के एक किसान मक्खन सिंह ने रिकॉर्ड साढ़े नौ लाख तक बोली लगाकर खरीदा था। मक्खन सिंह ने यह नंबर 5.48 लाख की पेट्रोल जिप्सी पर लगाने के लिए लिया था। उन्होंने अपनी 3 हजार की पुरानी यामाहा मोटरसाइकिल के लिए भी 0065 नंबर चार लाख में खरीदा था। वहीं, पिछली नीलामी में 0007 नंबर के लिए वरिंदर सिंह ने एक लाख से सीधे सात लाख की बोली लगाई थी। लोगों ने ऐतराज किया था कि सीधे इतनी बोली नहीं बढ़ाई जा सकती, पर वरिंदर सिंह का कहना था कि वह सात लाख में ही 0007 नंबर खरीदेंगे। 0001 का क्रेज क्यू सीरीज में ही बढ़ा था। उससे पहले इसकी डिमांड लगातार घटी थी। एम-सीरीज में 0001 साढ़े छह लाख का बिका था। वहीं, एन-सीरीज में यह गिरकर 2.60 लाख पहुंचा और पी-सीरीज में इसकी बोली एक लाख भी पार नहीं कर पाई थी।