पंचकूला। रुचिका के पिता एससी गिरहोत्रा और भाई आशु गिरहोत्रा की लड़ाई अब आनंद प्रकाश लड़ेंगे। वह रुचिका छेड़छाड़ मामले की अहम गवाह आराधना के पिता हैं। उन्होंने शनिवार को यहां कहा कि वह रुचिका के परिवार की तरफ से सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को हाईकोर्ट में चैलेंज करेंगे।
आनंद के मुताबिक इस मामले में रुचिका का परिवार उनके साथ है और उनसे आगे की लड़ाई के लिए बातचीत भी हो चुकी है। सिस्टम की कारगुजारी के वजह से एससी गिरहोत्रा और आशु गिरहोत्रा पूरी तरह से टूट चुके हैं। वह कहते हैं, ‘ 22 साल तक लड़ाई लड़ने के बाद अचानक हाथ पीछे खींच लेना इस बात की तस्दीक करता है कि उनका जांच एजेंसी पर भरोसा नहीं रहा, इसलिए वे अपनी अपत्ति दर्ज नहीं करा सके।’ शुक्रवार को एससी गिरहोत्रा को रुचिका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर उनके हस्ताक्षर की जालसाजी और आशु को हिरासत में यातनाएं देने के मामले सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट अदालत ने स्वीकार कर ली है। अदालत में गिरहोत्रा परिवार ने क्लोजर रिपोर्ट पर कोई आपत्ति नहीं की। पंचकूला सेक्टर छह निवासी आनंद प्रकाश ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि उन्होंने इस सिलसिले में एक वकील से बात भी की। उन्होंने वह रुचिका के केस में जुड़े भी रहे हैं और वह जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हाईकोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट को चैलेंज करेंगे।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2010 में पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर फर्जी हस्ताक्षर और आशु गिरहोत्रा पर झूठे केस के मामले में अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। आशु गिरहोत्रा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि हरियाणा के तत्कालीन डीजीपी एसपीएस राठौर के इशारे पर उस पर वाहन चोरी के एक झूठे मामले दर्ज किए गए। हिरासत के दौरान उसका शोषण किया गया। एससी गिरहोत्रा का आरोप था कि रुचिका की मौत के बाद खाली कागजात पर उनसे हस्ताक्षर करवाकर उनकी बेटी की पोस्टमार्टम की औपचारिकताओं को पूरा कर दिया गया। आरोप है कि रुचिका ने 28 दिसंबर, 1993 को पूर्व डीजीपी द्वारा कथित छेड़छाड़ करने के तीन साल बाद आत्महत्या कर ली थी। आरोप है कि जांच के दौरान उनकी बेटी के नाम को जानबूझकर रूबी और एससी गिरहोत्रा के नाम को सुभाष चंद में बदल दिया गया। सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में इन सभी आरोपों को गलत ठहराते हुए कहा है कि इस बारे में कोई सबूत नहीं मिले। सीबीआई ने दोनों मामलों में राठौर का पालीग्राफ टेस्ट भी करवाया था।