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मुक्तसर में बायोड्रैनेज प्रोजेक्ट शुरू
Ludhiana
Published by:
Updated Wed, 10 Jul 2013 05:32 AM IST
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मुक्तसर। कुदरती ढंग से सेम के खात्मे के लिए मुक्तसर में बायोड्रैनेज प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। इसके तहत सफेदे के पौधों को हथियार के रुप में इस्तेमाल किया जाएगा। सेम प्रभावित खेतों में सरकार द्वारा क्लोनल सफेदे के पौधे लगाए जाएंगे। इस वर्ष जिले में दो लाख पौधे लगाए जाने का लक्ष्य है। यह जानकारी डीसी परमजीत सिंह ने मंगलवार को मिनी सचिवालय में आयोजित एक बैठक के दौरान दी।
उन्होंने बताया कि वन विभाग न सिर्फ किसानों के खेतों में यह पौधे लगाएगा बल्कि किसानों को आगे भी सभी तकनीकी जानकारी मुहैया करवाएगा। सेम के कारण कई गांवों में खेतों में जमीनी पानी का स्तर बहुत ही ऊंचा होने के कारण वह जमीन बंजर हो चुकी है, उस पर फसल का उगना मुनासिब नहीं। इसलिए ऐसे खेतों में सफेदे के पौधे लगाए जाएंगे। जिससे जहां किसानों को आमदनी होगी, वहीं यह पौधे तेजी के साथ धरती के नीचे से सेम का पानी सोख लेंगे। यह पौधे छह वर्ष में तैयार हो जाएंगे और बाद में किसान इनकी लकड़ी की बिक्री कर सकेंगे। छह वर्ष बाद इन्हें ऊपर से काटा जाएगा और इसकी जड़ से और पेड़ तैयार होंगे। इस तरह किसानों को लगातार 18 वर्ष तक आमदन होगी। सफेदे की लकड़ी पांच सौ से सात सौ रुपये क्विंटल बिकती है। इस प्रोजेक्ट के तहत कुल नौ लाख पौधे जिले में लगाए जाएंगे। डीसी ने बताया कि सफेदे में यह गुण होता है कि वह बहुत ही तेजी से धरती में से पानी सोखकर पत्तों के जरिए हवा में छोड़ता है। इस स्कीम का लाभ लेने के लिए किसान वन विभाग से संपर्क कर सकते हैं। बैठक में डिवीजनल वन अधिकारी संजय बंसल, एसडीएम वरिंदरपाल सिंह बाजवा, अमनदीप बंसल, डीएसपी जीएस संघा, सिविल सर्जन डॉ. गुलशन राय, डीईओ दविंदर राजौरिया, तहसीलदार रविंदर बंसल, रेडक्रॉस सचिव हरदेव कौर गिल, एनजीओ कोआर्डिनेटर डॉ. नरेश परुथी और जसप्रीत सिंह छाबड़ा भी उपस्थित थे।
मुक्तसर। कुदरती ढंग से सेम के खात्मे के लिए मुक्तसर में बायोड्रैनेज प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। इसके तहत सफेदे के पौधों को हथियार के रुप में इस्तेमाल किया जाएगा। सेम प्रभावित खेतों में सरकार द्वारा क्लोनल सफेदे के पौधे लगाए जाएंगे। इस वर्ष जिले में दो लाख पौधे लगाए जाने का लक्ष्य है। यह जानकारी डीसी परमजीत सिंह ने मंगलवार को मिनी सचिवालय में आयोजित एक बैठक के दौरान दी।
उन्होंने बताया कि वन विभाग न सिर्फ किसानों के खेतों में यह पौधे लगाएगा बल्कि किसानों को आगे भी सभी तकनीकी जानकारी मुहैया करवाएगा। सेम के कारण कई गांवों में खेतों में जमीनी पानी का स्तर बहुत ही ऊंचा होने के कारण वह जमीन बंजर हो चुकी है, उस पर फसल का उगना मुनासिब नहीं। इसलिए ऐसे खेतों में सफेदे के पौधे लगाए जाएंगे। जिससे जहां किसानों को आमदनी होगी, वहीं यह पौधे तेजी के साथ धरती के नीचे से सेम का पानी सोख लेंगे। यह पौधे छह वर्ष में तैयार हो जाएंगे और बाद में किसान इनकी लकड़ी की बिक्री कर सकेंगे। छह वर्ष बाद इन्हें ऊपर से काटा जाएगा और इसकी जड़ से और पेड़ तैयार होंगे। इस तरह किसानों को लगातार 18 वर्ष तक आमदन होगी। सफेदे की लकड़ी पांच सौ से सात सौ रुपये क्विंटल बिकती है। इस प्रोजेक्ट के तहत कुल नौ लाख पौधे जिले में लगाए जाएंगे। डीसी ने बताया कि सफेदे में यह गुण होता है कि वह बहुत ही तेजी से धरती में से पानी सोखकर पत्तों के जरिए हवा में छोड़ता है। इस स्कीम का लाभ लेने के लिए किसान वन विभाग से संपर्क कर सकते हैं। बैठक में डिवीजनल वन अधिकारी संजय बंसल, एसडीएम वरिंदरपाल सिंह बाजवा, अमनदीप बंसल, डीएसपी जीएस संघा, सिविल सर्जन डॉ. गुलशन राय, डीईओ दविंदर राजौरिया, तहसीलदार रविंदर बंसल, रेडक्रॉस सचिव हरदेव कौर गिल, एनजीओ कोआर्डिनेटर डॉ. नरेश परुथी और जसप्रीत सिंह छाबड़ा भी उपस्थित थे।