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लुधियाना। डालर के मुकाबले रुपये में आ रही कमजोरी के चलते खिलौनों के दाम भी आसमान पर पहुंच गए हैं। हालत यह है सौ रुपये वाले खिलौने की कीमत उछल कर 150 रुपये पर पहुंच गई है। महंगाई के कारण एक तरफ घरेलू बाजार में खिलौनों की बिक्री में तीस फीसदी तक की गिरावट देखी जा रही है। वहीं आयातकों ने उसी अनुपात में चीन से खिलौनों का आयात कम कर दिया है।
कारोबारियों का मानना है कि देश में कुल मांग का सत्तर फीसदी खिलौना चीन से आयात किया जा रहा है। अब मुसीबत यह है कि इनका कोई विकल्प नहीं है। घरेलू बाजार में चीन के मुकाबले खिलौने नहीं बन पा रहे हैं। नतीजतन इस स्थिति को मैनेज करना कारोबारियों के लिए मुश्किल हो रहा है। चीन से तमाम बैटरी आपरेटेड, गेम्स, स्पोर्ट्स समेत कई तरह के खिलौनों का आयात किया जा रहा है। खिलौनों के होलसेल कारोबारी खन्ना सेल्स एजेंसीज के संचालक एके खन्ना का कहना है कि चीन की करेंसी युआन मजबूत हो रहा है, जबकि भारतीय करेंसी कमजोर हो रही है। ऐसे में दोहरी मार पड़ रही है। मसलन पहले एक डालर में नौ युआन आ रहे थे। लेकिन चीन की करेंसी मजबूत होने से अब केवल छह युआन आ रहे हैं।
उधर भारतीय करेंसी कमजोर होने के कारण पहले पिछले साल 52-53 रुपये में नौ युआन मिलते थे और अब 61.21 रुपये में केवल छह युआन मिल रहे हैं। डालर के मुकाबले यदि युआन की मजबूती और रुपये की कमजोरी का आंकलन किया जाए तो इसमें साठ फीसदी से अधिक का अंतर आ गया है।
अब भारतीय खिलौना मार्केट पर पूरी तरह से चीन का दबदबा है। इसका विकल्प न होने के कारण कारोबारी चीन से ही आयात करने को मजबूर हैं। लेकिन कीमतों में एकाएक आए उछाल केे कारण बाजार में तीस फीसदी की गिरावट आ गई है। इसलिए आयात से भी हाथ खींचे जा रहे हैं। इसके अलावा रिटेलरों से भी आर्डर आना कम हो गया है। खन्ना के अनुसार चीन की तर्ज पर भारत सरकार को भी रुपये की मजबूती के लिए कदम उठाने होंगे। अन्यथा भारतीय बाजार की साख को धक्का लगेगा।
लुधियाना। डालर के मुकाबले रुपये में आ रही कमजोरी के चलते खिलौनों के दाम भी आसमान पर पहुंच गए हैं। हालत यह है सौ रुपये वाले खिलौने की कीमत उछल कर 150 रुपये पर पहुंच गई है। महंगाई के कारण एक तरफ घरेलू बाजार में खिलौनों की बिक्री में तीस फीसदी तक की गिरावट देखी जा रही है। वहीं आयातकों ने उसी अनुपात में चीन से खिलौनों का आयात कम कर दिया है।
कारोबारियों का मानना है कि देश में कुल मांग का सत्तर फीसदी खिलौना चीन से आयात किया जा रहा है। अब मुसीबत यह है कि इनका कोई विकल्प नहीं है। घरेलू बाजार में चीन के मुकाबले खिलौने नहीं बन पा रहे हैं। नतीजतन इस स्थिति को मैनेज करना कारोबारियों के लिए मुश्किल हो रहा है। चीन से तमाम बैटरी आपरेटेड, गेम्स, स्पोर्ट्स समेत कई तरह के खिलौनों का आयात किया जा रहा है। खिलौनों के होलसेल कारोबारी खन्ना सेल्स एजेंसीज के संचालक एके खन्ना का कहना है कि चीन की करेंसी युआन मजबूत हो रहा है, जबकि भारतीय करेंसी कमजोर हो रही है। ऐसे में दोहरी मार पड़ रही है। मसलन पहले एक डालर में नौ युआन आ रहे थे। लेकिन चीन की करेंसी मजबूत होने से अब केवल छह युआन आ रहे हैं।
उधर भारतीय करेंसी कमजोर होने के कारण पहले पिछले साल 52-53 रुपये में नौ युआन मिलते थे और अब 61.21 रुपये में केवल छह युआन मिल रहे हैं। डालर के मुकाबले यदि युआन की मजबूती और रुपये की कमजोरी का आंकलन किया जाए तो इसमें साठ फीसदी से अधिक का अंतर आ गया है।
अब भारतीय खिलौना मार्केट पर पूरी तरह से चीन का दबदबा है। इसका विकल्प न होने के कारण कारोबारी चीन से ही आयात करने को मजबूर हैं। लेकिन कीमतों में एकाएक आए उछाल केे कारण बाजार में तीस फीसदी की गिरावट आ गई है। इसलिए आयात से भी हाथ खींचे जा रहे हैं। इसके अलावा रिटेलरों से भी आर्डर आना कम हो गया है। खन्ना के अनुसार चीन की तर्ज पर भारत सरकार को भी रुपये की मजबूती के लिए कदम उठाने होंगे। अन्यथा भारतीय बाजार की साख को धक्का लगेगा।