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लुधियाना। महाराष्ट्र एवं गुजरात से कमजोर आवक के चलते बाजार में प्याज की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है। हालत यह है कि मंडी में प्याज का होलसेल भाव 17 से बीस रुपये प्रति किलो और रिटेल बाजार में कीमतें 25 से तीस रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई हैं। मौजूदा दौर में जहां आम आदमी महंगाई की चौतरफा मांग से परेशान है, वहीं अब प्याज की कीमतों में उछाल भी दिक्कतें पैदा कर रहा है। उधर कारोबारियों का कहना है कि अगले दो माह तक प्याज की कीमतों में मजबूती बनी रह सकती है। इसके बाद राजस्थान से आवक शुरू होगी, तभी कीमतों में गिरावट का रुख बन सकता है।
बाजार के माहिरों का कहना है कि इस बार महाराष्ट्र एवं गुजरात में प्याज की पैदावार में कमी आई है। वर्र्ष 2012-13 के दौरान 164 लाख टन प्याज की पैदावार होने का अनुमान है। यह आंकड़ा 2011-12 के मुकाबले कम बताई जा रही है। नतीजतन बाजार में प्याज की कीमतों में उछाल का दौर शुरू हो गया है। इसके अलावा प्याज की फसल बाजार में अक्तूबर नवंबर के मुकाबले एक माह की देरी से आई। इसका असर भी बाजार पर साफ देखा जा रहा है।
उधर, माहिरों का यह भी कहना है कि प्याज के रकबे में भी दस फीसदी की गिरावट आंकी जा रही है। प्याज के कम उत्पादन को देखते हुए बाजार में स्टोरिए भी सक्रिय हो गए हैं।
प्याज कारोबारी सुंदर सिंह गजिंदर सिंह एंड संस के संचालक गुरप्रीत सिंह कहते हैं कि महाराष्ट्र एवं गुजरात में कमजोर फसल की वजह से प्याज की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है। लुधियाना मंडी में रोजाना दस से बारह ट्रक ही प्याज पहुंच पा रहा है। उनका तर्क है कि विवाह शादी सीजन होने के कारण प्याज की मांग मजबूत बनी हुई है। राजस्थान से प्याज की आमद शुरू होने से पहले तक प्याज की कीमतों में मजबूती बरकरार रहेगी।
लुधियाना। महाराष्ट्र एवं गुजरात से कमजोर आवक के चलते बाजार में प्याज की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है। हालत यह है कि मंडी में प्याज का होलसेल भाव 17 से बीस रुपये प्रति किलो और रिटेल बाजार में कीमतें 25 से तीस रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई हैं। मौजूदा दौर में जहां आम आदमी महंगाई की चौतरफा मांग से परेशान है, वहीं अब प्याज की कीमतों में उछाल भी दिक्कतें पैदा कर रहा है। उधर कारोबारियों का कहना है कि अगले दो माह तक प्याज की कीमतों में मजबूती बनी रह सकती है। इसके बाद राजस्थान से आवक शुरू होगी, तभी कीमतों में गिरावट का रुख बन सकता है।
बाजार के माहिरों का कहना है कि इस बार महाराष्ट्र एवं गुजरात में प्याज की पैदावार में कमी आई है। वर्र्ष 2012-13 के दौरान 164 लाख टन प्याज की पैदावार होने का अनुमान है। यह आंकड़ा 2011-12 के मुकाबले कम बताई जा रही है। नतीजतन बाजार में प्याज की कीमतों में उछाल का दौर शुरू हो गया है। इसके अलावा प्याज की फसल बाजार में अक्तूबर नवंबर के मुकाबले एक माह की देरी से आई। इसका असर भी बाजार पर साफ देखा जा रहा है।
उधर, माहिरों का यह भी कहना है कि प्याज के रकबे में भी दस फीसदी की गिरावट आंकी जा रही है। प्याज के कम उत्पादन को देखते हुए बाजार में स्टोरिए भी सक्रिय हो गए हैं।
प्याज कारोबारी सुंदर सिंह गजिंदर सिंह एंड संस के संचालक गुरप्रीत सिंह कहते हैं कि महाराष्ट्र एवं गुजरात में कमजोर फसल की वजह से प्याज की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है। लुधियाना मंडी में रोजाना दस से बारह ट्रक ही प्याज पहुंच पा रहा है। उनका तर्क है कि विवाह शादी सीजन होने के कारण प्याज की मांग मजबूत बनी हुई है। राजस्थान से प्याज की आमद शुरू होने से पहले तक प्याज की कीमतों में मजबूती बरकरार रहेगी।