जालंधर। डेरा बल्लां के संत सुरिंदर दास बावा को जैसे ही पुणे डेरे में भेजने का फैसला हुआ, उसी के साथ उनका ब्लड प्रेशर बढ़ गया। डेरा प्रबंधकों ने उनको जालंधर के एक निजी अस्पताल में दाखिल करवाया है। सूत्रों के मुताबिक संत सुरिंदर दास बावा को पुणे भेजने के फैसले से उनके श्रद्धालु खुश नहीं है। वह इस फैसले को बदलने के लिए रणनीति बना रहे हैं। इसी के साथ विदेशों से भी एनआरआई अनुयायी विवाद के चलते देश लौट आए हैं। गद्दीशीन संत निरंजनदास जी ने ऐसा कठोर फैसला पहली बार लिया है। रविवार को भारी तादाद में संगत डेरा बल्लां पहुंची थी लेकिन संत निरंजनदास जी ने सत्संग भी नहीं किया।
पहले भी विवादों में घिरा रहा है डेरा बल्लां
जालंधर। आतंकी हमले में शहादत पाने वाले संत रामानंद जी के बाद डेरा बल्लां विवादों से घिरा रहा है। पहले कठार के संत सुरिंदर दास डेरे के किनारा कर चुके हैं वहीं अब डेरे के छोटे संत सुरिंदर दास बावा को भी पुणे भेजा जा रहा है। डेरे के भीतर पिछले एक माह से राजनीति गर्माई हुई थी लेकिन अब एक सहमति बनने से ट्रस्टी व डेरे के प्रबंधकों ने सुख की सांस ली है।
डेरा सचखंड बल्लां उस समय सुर्खियों में आया था, जब 2009 में ऑस्ट्रिया के विएना में आतंकी हमले के दौरान संत रामानंद जी शहीद हो गए थे जबकि संत निरंजन दास जी को गोलियां लगी थी। पंजाब में इस मामले में जमकर आगजनी और रोष व्यक्त किया गया और ट्रेन तक जला दी गई थी। इसके बाद डेरे की तरफ से कांशी स्थित सीर गोवर्धन में अमृतवाणी का प्रकाश किया गया। डेरा सच्चखंड बल्लां की तरफ से अपने ग्रंथ अमृतवाणी का प्रकाश किया गया तो सिख कट्टरपंथी संगठनों ने इसका डटकर विरोध किया। इसी विरोध के बीच डेरा बल्लां के संत सुरिंदर दास कठार वालों ने किनारा कर लिया और उन्होंने कठार स्थित संत सरवण दास अस्पताल व डेरा संभाल लिया। डेरा बल्लां में गद्दीशीन संत निरंजन दास जी के अलावा डिप्टी सुरिंदर दास भी सेवा करते थे, उनके व मुख्य संत निरंजन दास के बीच मतभेद हो गए। खटास तब बढ़ गई जब संत सुरिंदर दास के समर्थकों ने संत निरंजन दास जी महाराज के भाई संत राम के साथ हाथापाई की। इस पर संत निरंजन दास ने डिप्टी सुरिंदर दास को डेरे से निकल जाने का हुक्म दिया साथ ही में पुलिस को लिखित शिकायत भी भेज दी। डिप्टी संत सुरिंदर दास के समर्थन में डेरा बल्लां के कई ट्रस्टियों ने अपना इस्तीफा दे दिया। इसके बाद डेरे में संत निरंजनदास जी ने पुरानी सभी बातों के लिए संत सुरिंदर दास को माफ कर दिया है, साथ ही में उनको महाराष्ट्र स्थित पुणे में डेरा संचालक नियुक्त कर दिया है। डेरे में एकजुटता बनाने के लिए रविदासिया संप्रदाय के कई प्रमुख हस्तियां डेरे में मौजूद हैं क्योंकि 11 जुलाई को संत रामानंद जी की बरसी है।
जालंधर। डेरा बल्लां के संत सुरिंदर दास बावा को जैसे ही पुणे डेरे में भेजने का फैसला हुआ, उसी के साथ उनका ब्लड प्रेशर बढ़ गया। डेरा प्रबंधकों ने उनको जालंधर के एक निजी अस्पताल में दाखिल करवाया है। सूत्रों के मुताबिक संत सुरिंदर दास बावा को पुणे भेजने के फैसले से उनके श्रद्धालु खुश नहीं है। वह इस फैसले को बदलने के लिए रणनीति बना रहे हैं। इसी के साथ विदेशों से भी एनआरआई अनुयायी विवाद के चलते देश लौट आए हैं। गद्दीशीन संत निरंजनदास जी ने ऐसा कठोर फैसला पहली बार लिया है। रविवार को भारी तादाद में संगत डेरा बल्लां पहुंची थी लेकिन संत निरंजनदास जी ने सत्संग भी नहीं किया।
पहले भी विवादों में घिरा रहा है डेरा बल्लां
जालंधर। आतंकी हमले में शहादत पाने वाले संत रामानंद जी के बाद डेरा बल्लां विवादों से घिरा रहा है। पहले कठार के संत सुरिंदर दास डेरे के किनारा कर चुके हैं वहीं अब डेरे के छोटे संत सुरिंदर दास बावा को भी पुणे भेजा जा रहा है। डेरे के भीतर पिछले एक माह से राजनीति गर्माई हुई थी लेकिन अब एक सहमति बनने से ट्रस्टी व डेरे के प्रबंधकों ने सुख की सांस ली है।
डेरा सचखंड बल्लां उस समय सुर्खियों में आया था, जब 2009 में ऑस्ट्रिया के विएना में आतंकी हमले के दौरान संत रामानंद जी शहीद हो गए थे जबकि संत निरंजन दास जी को गोलियां लगी थी। पंजाब में इस मामले में जमकर आगजनी और रोष व्यक्त किया गया और ट्रेन तक जला दी गई थी। इसके बाद डेरे की तरफ से कांशी स्थित सीर गोवर्धन में अमृतवाणी का प्रकाश किया गया। डेरा सच्चखंड बल्लां की तरफ से अपने ग्रंथ अमृतवाणी का प्रकाश किया गया तो सिख कट्टरपंथी संगठनों ने इसका डटकर विरोध किया। इसी विरोध के बीच डेरा बल्लां के संत सुरिंदर दास कठार वालों ने किनारा कर लिया और उन्होंने कठार स्थित संत सरवण दास अस्पताल व डेरा संभाल लिया। डेरा बल्लां में गद्दीशीन संत निरंजन दास जी के अलावा डिप्टी सुरिंदर दास भी सेवा करते थे, उनके व मुख्य संत निरंजन दास के बीच मतभेद हो गए। खटास तब बढ़ गई जब संत सुरिंदर दास के समर्थकों ने संत निरंजन दास जी महाराज के भाई संत राम के साथ हाथापाई की। इस पर संत निरंजन दास ने डिप्टी सुरिंदर दास को डेरे से निकल जाने का हुक्म दिया साथ ही में पुलिस को लिखित शिकायत भी भेज दी। डिप्टी संत सुरिंदर दास के समर्थन में डेरा बल्लां के कई ट्रस्टियों ने अपना इस्तीफा दे दिया। इसके बाद डेरे में संत निरंजनदास जी ने पुरानी सभी बातों के लिए संत सुरिंदर दास को माफ कर दिया है, साथ ही में उनको महाराष्ट्र स्थित पुणे में डेरा संचालक नियुक्त कर दिया है। डेरे में एकजुटता बनाने के लिए रविदासिया संप्रदाय के कई प्रमुख हस्तियां डेरे में मौजूद हैं क्योंकि 11 जुलाई को संत रामानंद जी की बरसी है।