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कपूरथला। रेल कोच फैक्टरी (आरसीएफ) ने एसी डबल डेकर के दो और रैक तैयार कर दिए हैं। इन्हें जल्द ही आरसीएफ से रवाना कर दिया जाएगा।
आरसीएफ के महाप्रबंधक बीएन राजशेखर ने बताया कि हमारे बनाए एसी डबल डेकर रैक धनबाद-हावड़ा, दिल्ली-जयपुर और मुंबई-अहमदाबाद रूट पर चल रहे हैं। अब दो और रैक तैयार हैं। विश्वस्तरीय एलएचबी डिजाइन के कोच का निर्माण किया जा रहा है। इस रेल डिब्बा कारखाने ने अपने 25 साल के सफर में 26 हजार से ज्यादा कोच का निर्माण किया है। इस साल 1634 कोच बनाने का टारगेट पूरा किया जाएगा। हमारी कोच निर्माण क्षमता एक हजार कोच प्रति वर्ष से बढ़ कर डेढ़ हजार कोच प्रति वर्ष हो चुकी है। 1988 में आरसीएफ में पहला कोच तैयार किया गया था।
क्या है एलएचबी तकनीक
यह रेल कोच बनाने की एक जर्मन तकनीक है जो लिंक हाल्फमैन बुश (एलएचबी) नाम से जानी जाती है। इस तकनीक के कोच की डिजाइन ऐसी होती है कि ये डीरेल होने पर एक-दूसरे पर चढ़ते नहीं हैं और इससे जानी नुकसान कम होता है। साधारण कोच की लागत जहां 1.5 करोड़ रुपये के करीब आती है, वहीं एलएचबी कोच ढाई से तीन करोड़ रुपये में तैयार होता है।
1200 ट्रेनों में बायो शौचालय
महाप्रबंधक ने बताया कि ट्रेनों में स्वच्छ शौचालय के लिए डीआरडीओ की तकनीक पर आधारित बायो टॉयलेट 1200 ट्रेनों में इस वर्ष लगाने का लक्ष्य है और इसे भी पूरा किया जाएगा। इससे स्टेशनों को स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी।
कपूरथला। रेल कोच फैक्टरी (आरसीएफ) ने एसी डबल डेकर के दो और रैक तैयार कर दिए हैं। इन्हें जल्द ही आरसीएफ से रवाना कर दिया जाएगा।
आरसीएफ के महाप्रबंधक बीएन राजशेखर ने बताया कि हमारे बनाए एसी डबल डेकर रैक धनबाद-हावड़ा, दिल्ली-जयपुर और मुंबई-अहमदाबाद रूट पर चल रहे हैं। अब दो और रैक तैयार हैं। विश्वस्तरीय एलएचबी डिजाइन के कोच का निर्माण किया जा रहा है। इस रेल डिब्बा कारखाने ने अपने 25 साल के सफर में 26 हजार से ज्यादा कोच का निर्माण किया है। इस साल 1634 कोच बनाने का टारगेट पूरा किया जाएगा। हमारी कोच निर्माण क्षमता एक हजार कोच प्रति वर्ष से बढ़ कर डेढ़ हजार कोच प्रति वर्ष हो चुकी है। 1988 में आरसीएफ में पहला कोच तैयार किया गया था।
क्या है एलएचबी तकनीक
यह रेल कोच बनाने की एक जर्मन तकनीक है जो लिंक हाल्फमैन बुश (एलएचबी) नाम से जानी जाती है। इस तकनीक के कोच की डिजाइन ऐसी होती है कि ये डीरेल होने पर एक-दूसरे पर चढ़ते नहीं हैं और इससे जानी नुकसान कम होता है। साधारण कोच की लागत जहां 1.5 करोड़ रुपये के करीब आती है, वहीं एलएचबी कोच ढाई से तीन करोड़ रुपये में तैयार होता है।
1200 ट्रेनों में बायो शौचालय
महाप्रबंधक ने बताया कि ट्रेनों में स्वच्छ शौचालय के लिए डीआरडीओ की तकनीक पर आधारित बायो टॉयलेट 1200 ट्रेनों में इस वर्ष लगाने का लक्ष्य है और इसे भी पूरा किया जाएगा। इससे स्टेशनों को स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी।