पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
जालंधर। एनआरआई सभा के चुनावों में खाड़ी देशों व इटली से आए लोगों के वोट डालने पर आपत्ति को लेकर काफी गर्मागर्मी व बहसबाजी का माहौल बन गया। खाड़ी देशों से आए लोगों ने कहा कि वह भी एनआरआई हैं। उनके मतदान पर ब्रिटिश व कनाडा सिटीजन के अलावा मौजूदा प्रधान कमलजीत हेयर ने भी कड़ी आपत्ति जताई। इसे लेकर काफी हंगामा हुआ।
अभी तक एनआरआई सभा में यूके, कनाडा व अमेरिका में रहने वाले लोग ही अपनी वोट डालकर प्रधान चुन लेते थे। एनआरआई सभा का संविधान कहता है कि जो व्यक्ति छह माह तक लगातार भारत से बाहर रहा है, वह सभा में अपनी वोट बनवा सकता है और चुनावी प्रकिया में हिस्सा ले सकता है। इस बार एक गुट की तरफ से वोट बनाने के आखिरी दिन 31 दिसंबर को 800 वोट एक साथ बनवा दिए गए।, इसमें अधिकतर लोग खाड़ी देशों के निवासी थे। वोट बनाने के बाद इस पर आठ दिन में आपत्ति मांगी गई थी। आपत्ति नहीं आन पर वोटर सूची फाइनल हो गई। इस गुट को उम्मीदवार जसबीर सिंह शेरगिल का समर्थन हासिल था।
रविवार को जब वोटिंग प्रकिया शुरू हुई तो खाड़ी व इटली से आए लोगों के मतदान पर शोर शराबा हो गया। यूके के सांसद वरिंदर शर्मा ने इस पर आपत्ति जाहिर की । उनका कहना था कि ऐसे लोगों को सदस्य नहीं बनाया जाना चाहिए। यहां पर सुनने में आ रहा है कि एक-एक हजार रुपये लेकर वोट डाले जा रहे हैं। वहीं, यूरोप से आए सर्बजीत सिंह व हॉलैंड से आए सुरिंदर सिंह राणा ने भी जोरदार बहस की और कहा खाड़ी देशों में काम करने वाले लोग वर्क परमिट पर गए होते हैं। ऐसे लोग एनआरआई सभा का भविष्य तय नहीं कर सकते। पर ऐसे लोगों के वोट सहायक रिटर्निग अधिकारी ने खुलकर डलवाए हैं।
बाक्स------------
एनआरआई सभा ने ही किया रजिस्टर
सहायक रिटर्निंग अधिकारी इकबाल संधू ने कहा कि जो लोग वोट डालने के लिए आए हैं, उनकी वोटों को एनआरआई सभा ने ही रजिस्टर किया है, सरकार तो सिर्फ प्रबंध कर रही है कि वोट ठीक ढंग से पारदर्शी तरीके से डाले जाएं।
बाक्स-----------
ये है नियम
जो भारतीय किसी अन्य देश में 180 दिन रहता है, उसको एनआरआई सभा के लिए वोट डालने का अधिकार है।
जालंधर। एनआरआई सभा के चुनावों में खाड़ी देशों व इटली से आए लोगों के वोट डालने पर आपत्ति को लेकर काफी गर्मागर्मी व बहसबाजी का माहौल बन गया। खाड़ी देशों से आए लोगों ने कहा कि वह भी एनआरआई हैं। उनके मतदान पर ब्रिटिश व कनाडा सिटीजन के अलावा मौजूदा प्रधान कमलजीत हेयर ने भी कड़ी आपत्ति जताई। इसे लेकर काफी हंगामा हुआ।
अभी तक एनआरआई सभा में यूके, कनाडा व अमेरिका में रहने वाले लोग ही अपनी वोट डालकर प्रधान चुन लेते थे। एनआरआई सभा का संविधान कहता है कि जो व्यक्ति छह माह तक लगातार भारत से बाहर रहा है, वह सभा में अपनी वोट बनवा सकता है और चुनावी प्रकिया में हिस्सा ले सकता है। इस बार एक गुट की तरफ से वोट बनाने के आखिरी दिन 31 दिसंबर को 800 वोट एक साथ बनवा दिए गए।, इसमें अधिकतर लोग खाड़ी देशों के निवासी थे। वोट बनाने के बाद इस पर आठ दिन में आपत्ति मांगी गई थी। आपत्ति नहीं आन पर वोटर सूची फाइनल हो गई। इस गुट को उम्मीदवार जसबीर सिंह शेरगिल का समर्थन हासिल था।
रविवार को जब वोटिंग प्रकिया शुरू हुई तो खाड़ी व इटली से आए लोगों के मतदान पर शोर शराबा हो गया। यूके के सांसद वरिंदर शर्मा ने इस पर आपत्ति जाहिर की । उनका कहना था कि ऐसे लोगों को सदस्य नहीं बनाया जाना चाहिए। यहां पर सुनने में आ रहा है कि एक-एक हजार रुपये लेकर वोट डाले जा रहे हैं। वहीं, यूरोप से आए सर्बजीत सिंह व हॉलैंड से आए सुरिंदर सिंह राणा ने भी जोरदार बहस की और कहा खाड़ी देशों में काम करने वाले लोग वर्क परमिट पर गए होते हैं। ऐसे लोग एनआरआई सभा का भविष्य तय नहीं कर सकते। पर ऐसे लोगों के वोट सहायक रिटर्निग अधिकारी ने खुलकर डलवाए हैं।
बाक्स------------
एनआरआई सभा ने ही किया रजिस्टर
सहायक रिटर्निंग अधिकारी इकबाल संधू ने कहा कि जो लोग वोट डालने के लिए आए हैं, उनकी वोटों को एनआरआई सभा ने ही रजिस्टर किया है, सरकार तो सिर्फ प्रबंध कर रही है कि वोट ठीक ढंग से पारदर्शी तरीके से डाले जाएं।
बाक्स-----------
ये है नियम
जो भारतीय किसी अन्य देश में 180 दिन रहता है, उसको एनआरआई सभा के लिए वोट डालने का अधिकार है।