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पीपीपी की सूचना पर बिफरे रेडिका कर्मचारी
Jalandhar
Updated Sun, 14 Oct 2012 12:00 PM IST
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कहीं भी, कभी भी।
कपूरथला। रेल कोच फैक्टरी कपूरथला को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत चलाने संबंधी प्रस्ताव के विरोध में शुक्रवार को आरसीएफ से जुड़ी मुलाजिम जत्थेबंदियों ने रोष रैली का आयोजन किया। कर्मचारी नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार फैक्टरी को निजी हाथों में सौंपने की कोशिश कर रही है। विरोध स्वरूप रेल कोच फैक्टरी मैन्स यूनियन, रेल कोच फैक्टरी मजदूर यूनियन, आरसीएफ इंप्लाइज यूनियन के पदाधिकारियों के नेतृत्व में आरसीएफ गेट पर भारी रोष प्रदर्शन किए गए। रोष रैली को आरसीएफ मैन्स यूनियन के अध्यक्ष राजबीर शर्मा, जोनल सचिव रजिन्द्र सिंह, महासचिव जसवंत सिंह सैणी, आरसीएफ मजदूर यूनियन की ओर से सुरेश पाल, महासचिव राम रतन, आरसीएफ इंप्लाइज यूनियन की ओर से अध्यक्ष परमजीत सिंह खालसा, महासचिव सर्बजीत सिंह, अतिरिक्त महासचिव अमरीक सिंह ने संबोधित किया। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि रेलवे बोर्ड ने 2008 में भी रेल कोच फैक्टरी कपूरथला को पीपीपी के तहत चलने का प्रयास किया था। तब आरसीएफ के कर्मचारियों और उनके परिजनों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया था। संघर्ष के चलते रेलवे बोर्ड को बैकफुट आना पड़ा।
उन्होंने कहा कि एक दशक पहले राकेश मोहन समिति ने रेलवे उत्पादन इकाइयों व सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों का निजीकरण करने की सिफारिश की थी। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलुवालिया ने आर्थिक सुधारों को अपनाते हुए प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने भी इस लोकविरोधी फैसले को अपना लिया, जिसे रेलवे उत्पादन इकाइयों के कर्मचारी सहन नहीं करेंगे। सभी नेताओं ने रेलवे बोर्ड को चुनौती देते हुए कहा कि आरसीएफ कर्मचारी इस इकाई को निजीकरण से बचाने के लिए आर-पार की लड़ाई ही नहीं लड़ेगें बल्कि जब तक सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती तो एक संयुक्त ठोस नीति बना कर नए संघर्ष की रूप रेखा तैयार की जाएगी।
यूनियनों की ओर से किए गए संघर्ष के बारे में लोक संपर्क अधिकारी वरिन्द्र विज ने कहा कि एक किसी अखबार की खबर को लेकर ही कर्मचारियों ने रोष प्रदर्शन किया है, जबकि वास्तव में आरसीएफ प्रशासन के पास ऐसा कोई पत्र नहीं पहुंचा, जिससे आरसीएफ कपूरथला को संयुक्त उद्यम के तहत चलाने की बात कही गई हो।
कपूरथला। रेल कोच फैक्टरी कपूरथला को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत चलाने संबंधी प्रस्ताव के विरोध में शुक्रवार को आरसीएफ से जुड़ी मुलाजिम जत्थेबंदियों ने रोष रैली का आयोजन किया। कर्मचारी नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार फैक्टरी को निजी हाथों में सौंपने की कोशिश कर रही है। विरोध स्वरूप रेल कोच फैक्टरी मैन्स यूनियन, रेल कोच फैक्टरी मजदूर यूनियन, आरसीएफ इंप्लाइज यूनियन के पदाधिकारियों के नेतृत्व में आरसीएफ गेट पर भारी रोष प्रदर्शन किए गए। रोष रैली को आरसीएफ मैन्स यूनियन के अध्यक्ष राजबीर शर्मा, जोनल सचिव रजिन्द्र सिंह, महासचिव जसवंत सिंह सैणी, आरसीएफ मजदूर यूनियन की ओर से सुरेश पाल, महासचिव राम रतन, आरसीएफ इंप्लाइज यूनियन की ओर से अध्यक्ष परमजीत सिंह खालसा, महासचिव सर्बजीत सिंह, अतिरिक्त महासचिव अमरीक सिंह ने संबोधित किया। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि रेलवे बोर्ड ने 2008 में भी रेल कोच फैक्टरी कपूरथला को पीपीपी के तहत चलने का प्रयास किया था। तब आरसीएफ के कर्मचारियों और उनके परिजनों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया था। संघर्ष के चलते रेलवे बोर्ड को बैकफुट आना पड़ा।
उन्होंने कहा कि एक दशक पहले राकेश मोहन समिति ने रेलवे उत्पादन इकाइयों व सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों का निजीकरण करने की सिफारिश की थी। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलुवालिया ने आर्थिक सुधारों को अपनाते हुए प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने भी इस लोकविरोधी फैसले को अपना लिया, जिसे रेलवे उत्पादन इकाइयों के कर्मचारी सहन नहीं करेंगे। सभी नेताओं ने रेलवे बोर्ड को चुनौती देते हुए कहा कि आरसीएफ कर्मचारी इस इकाई को निजीकरण से बचाने के लिए आर-पार की लड़ाई ही नहीं लड़ेगें बल्कि जब तक सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती तो एक संयुक्त ठोस नीति बना कर नए संघर्ष की रूप रेखा तैयार की जाएगी।
यूनियनों की ओर से किए गए संघर्ष के बारे में लोक संपर्क अधिकारी वरिन्द्र विज ने कहा कि एक किसी अखबार की खबर को लेकर ही कर्मचारियों ने रोष प्रदर्शन किया है, जबकि वास्तव में आरसीएफ प्रशासन के पास ऐसा कोई पत्र नहीं पहुंचा, जिससे आरसीएफ कपूरथला को संयुक्त उद्यम के तहत चलाने की बात कही गई हो।