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Amritpal: नशामुक्ति की आड़ में युवाओं को मानव बम के रूप में तैयार कर रहा था अमृतपाल, किया जा रहा था ब्रेन वॉश
पंकज शर्मा, संवाद न्यूज एजेंसी, अमृतसर (पंजाब)
Published by: भूपेंद्र सिंह
Updated Tue, 21 Mar 2023 04:54 AM IST
सार
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प्रशिक्षण दिया जा रहा था कि जरूरत पड़ने पर वह जान देने को भी तैयार हो जाएं। उन पर भावनात्मक प्रभाव डाला जा रहा था। इन्हीं के सहारे वह आनंदपुर खालसा फौज (एकेएफ) खड़ी कर रहा था।
वारिस पंजाब दे का प्रमुख अमृतपाल सिंह नशामुक्ति की आड़ में युवाओं को मानव बम के रूप में तैयार कर रहा था। यह सनसनीखेज खुलासा पंजाब पुलिस और खुफिया एजेंसियों की जांच में हुआ है। अमृतपाल नशा छुड़ाने के अभियान, धर्मप्रचार और अमृतपान के नाम पर युवाओं को इकट्ठा कर रहा था। नशा छुड़ाओ केंद्रों में युवाओं का ब्रेन वॉश किया जा रहा था। उन्हें इस तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा था कि जरूरत पड़ने पर वह जान देने को भी तैयार हो जाएं। उन पर भावनात्मक प्रभाव डाला जा रहा था। इन्हीं के सहारे वह आनंदपुर खालसा फौज (एकेएफ) खड़ी कर रहा था।
अमृतपाल के गांव जल्लूपुर खेड़ा में भी स्थित गुरुद्वारा में चल रहे नशा छुड़ाओ केंद्र में 36 युवाओं को भर्ती किया गया था। अमृतपाल की ''''खालसा वहीर'''' (एक प्रकार का धार्मिक जुलूस) के सदस्य ही युवाओं की काउंसलिंग करते थे। इस दौरान युवाओं को पाठ करवाया जाता था। नशा न मिलने के कारण युवाओं को कोई शारीरिक समस्या या दर्द आदि की मुश्किल आती थी, तो अमृतपाल के युवा साथी ही उसकी मालिश भी करते थे। युवाओं को ड्राई फ्रूट व दूध आदि दिया जाता था।
जिन युवाओं की तबीयत ज्यादा खराब होने लगती थी तो निशुल्क सेवाएं देने वाले एक नजदीक के डाॅक्टर को बुलाया जाता था। युवाओं को पेन किलर व अन्य ताकत की दवाएं दी जाती थीं। एक युवक चार-पांच दिन तक गहन निगरानी में रखा जाता था। उन्हें अमृतपान करवाया जाता था और भविष्य में नशा न करने की सख्त हिदायतें भी दी जाती थी।
कौम व पंथ के लिए कुर्बानी की बात
नशा छोड़ने के लिए आने वाले युवाओं को भावनात्मक रूप से प्रभावित कर एकेएफ से साथ जोड़ा जाता था। उनको कौम व पंथ के लिए कुर्बानी के लिए तैयार किया जाता था, ताकि आने वाले समय में इन युवाओं को मानव बम के रूप में उपयोग किया जा सके। बताया जा रहा है कि करीब 22 युवाओं को इसके लिए मानिसक रूप में तैयार किया जा रहा था। एकेएफ के साथ 220 युवाओं को जोड़ा जा चुका था। इसमें उन्हीं युवाओं को साथ मिलाया जाता था, जो अमृतधारी हों और उनके पास अपना लाइसेंंसी हथियार हो।
विदेश से वॉट्सएप कॉल पर लंबी बात करता था अमृतपाल
जांच में सामने आया है अमृतपाल को जब भी विदेश से फोन आता था, तो वह वाट्सएप काॅल पर लंबी बातचीत करता रहता था। यह काल कहां से आती थी, इसकी जानकारी उसके आसपास के लोगों को भी नहीं दी जाती थी। अमृतपाल के ''''खालसा वहीर'''' का हिस्सा रहे एक युवक ने बताया कि वहीर में 35 के करीब क्वालीफाइड डाक्टर भी शामिल थे। ये पंजाब के अलग-अलग इलाकों से नशा सेवन करने वाले युवाओं का नशा छुड़ाने का काम करते थे। इमरजेंसी में इलाज करने भी पहुंच जाते थे। कई बार फोन पर ही दवाएं बता दिया करते थे।
युवाओं से लंबे समय तक धार्मिक बातें करता था
नशा छोड़ने के लिए आने वाले युवाओं पर अमृतपाल विशेष ध्यान देता था। उनसे लंबे समय तक धार्मिक बातें करता था। धीरे-धीरे वह युवाओं को अपने प्रभाव में ले लेता था। वारिस पंजाब दे के राज्य में करीब छह नशा छुड़ाओ केंद्र हैं, जो अलग-अलग गांवों के गुरुद्वारों में चल रहे हैं।
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