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Punjab: अमृतपाल व उसके साथी देते रहे हैं दीप सिद्धू के समर्थकों को धमकियां, बात नहीं बनी तो किया ये काम

संवाद न्यूज एजेंसी, अमृतसर (पंजाब) Published by: नवीन दलाल Updated Wed, 29 Mar 2023 02:35 PM IST
सार

अमृतपाल ने वारिस पंजाब दे जत्थेबंदी के नाम मिलते जुलते नाम वारिस पंज आब दे जत्थेबंदी की नई रजिस्ट्रेशन सोसायटी एक्ट के तहत करवा दी और वारिस पंजाब दे का नया फेसबुक पेज बना कर दीप सिद्धू के सभी समर्थकों को अपने साथ पेज पेज पर जोड़ लिया।

Amritpal and his associates have been threatening to Deep Sidhu supporters
अमृतपाल सिंह। - फोटो : फाइल फोटो

विस्तार

वारिस पंजाब दे संगठन के मुखी भगोड़े अमृतपाल सिंह, जत्थेबंदी का मुखी बनने से पहले भी उग्र मानसिकता का व्यक्ति था। जत्थेबंदी पर कब्जा करने के लिए उसने व उसके साथियों ने कई बार धमकियां भी दी थीं। यहां तक के जत्थेबंदी के पदाधिकारियों और दीप सिद्धू के भाई से भी उसने कई बार जत्थेबंदी के दस्तावेज मांगे थे।



मिलते जुलते नाम वाला संगठन वारिस पंज आब दे करवा लिया नया रजिस्टर्ड
जब उसे दीप सिद्धू के नजदीकियों ने जत्थेबंदी के दस्तावेत नहीं दिए तो अपने समर्थकों के साथ मिल कर अमृतपाल ने वारिस पंजाब दे जत्थेबंदी के नाम मिलते जुलते नाम वारिस पंज आब दे जत्थेबंदी की नई रजिस्ट्रेशन सोसायटी एक्ट के तहत करवा दी और वारिस पंजाब दे का नया फेसबुक पेज बना कर दीप सिद्धू के सभी समर्थकों को अपने साथ पेज पेज पर जोड़ लिया। खालिस्तानी समर्थकों की मदद से जत्थेबंदी का मुखी बन गया। जबकि दीप सिद्धू के संगठन वारिस पंजाब दे का मुखी इस वक्त भी हरनेक सिंह है। इस बात का खुलासा दीप सिद्धू के साथी व वारिस पंजाब दे जत्थेबंदी के सलाहकार बीर दविंदर सिंह संधू ने किया है।


दीप सिद्धू ने कभी भी खालिस्तान के एजेंडे को अमृतपाल के कहने पर नहीं होने दिया जत्थेबंदी में लागू
संधू का कहना है कि वारिस पंजाब दे जत्थेबंदी एक एनजीओ के रूप में काम करती थी। इस जत्थेबंदी का एक सेकुलर एजेंंडा था। पंजाब में युवाओं के सुनहरे भविष्य, पंजाब में वातावरण की रक्षा, बच्चों को अधिक से अधिक शिक्षित करने और पंजाब के विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों को उठा कर सरकार से उसे हल करवाना मुख्य एजेंडा था। जिस में किसी धर्म आधारित राज की स्थापना करने का कोई भी राजनीतिक एजेंडा नहीं था।

अमृतपाल किसान आंदाेलन के माध्यम से खालिस्तान का एजेंडा बनाने का बनाया दबाव
परंतु जब जत्थेबंदी की कमांड दीप सिद्धू के पास थी और दीप सिद्धू इस पर काम कर रहा था और साथ में किसान आंदोलन में किसानों का साथ दे रहा था तब भी अमृतपाल किसान आंदाेलन के माध्यम से खालिस्तान का एजेंडा जत्थेबंदी के माध्यम से उठाने के लिए हमेशा दबाव बनाता था, यहां तक के खालिस्तानी एजेंडा उठाने के लिए दीप सिद्धू के साथ तर्क वितर्क भी करता रहता था। जिस से दीप सिद्धू अमृतपाल से नाराज था। अमृतपाल असल में दीप सिद्धू के साथ कभी भी मिला नहीं था।

दीप सिद्धू सिर्फ सामाजिक मुद्दों को पहल देता था
सिर्फ आनलाइन मीटिंग में अमृतपाल दीप सिद्धू से मिलता था या फिर फोन व आनलाइन बात करता था। अमृतपाल जो बातें खालिस्तान की करता था उससे दीप सिद्धू उसे पसंद नहीं करता था इसीलिए दीप सिद्धू ने अपने फोन पर अमृतपाल का नंबर ब्लाक कर दिया था। संधू के अनुसार इस बात का दीप सिद्धू ने उसके साथ साझा भी किया था। संधू का कहना है कि दीप सिद्धू की वारिस पंजाब दे जत्थेबंदी ने जिला व गांव स्तर की इकाइयों में हिंदू और कुछ स्थानों पर मुस्लिम समुदाय के युवाओं को भी पदाधिकारी बनाया गया था। दीप सिद्धू सिर्फ सामाजिक मुद्दों को पहल देता था।

दीप सिद्धू के समर्थकों का गुमराह करके अपने साथ जोड़ लिया
परंतु अमृतपाल जैसे कुछ और भी वारिस पंजाब दे जत्थेबंदी के बढ़ रहे प्रभाव से खालिस्तानी एजेंडा लागू करना चाहते थे। यही कारण थाकि दीप सिद्धू की वारिस पंजाब दे जत्थेबंदी के लोगों ने न तो अमृतपाल को संगठन का मुखी स्वीकार किया और न ही उसे कभी जत्थेबंदी का दस्तावेज दिया। जिस पर अमृतपाल और उसके खालिस्तानी समर्थक संगठन के लोगों के धमकियां देने लग गए। जब इस के बावजूद वह कामयाब नहीं हुए तो उन्होंने नई जत्थेबंदी मिलते जुलते नाम वाली खड़ी कर के दीप सिद्धू के समर्थकों का गुमराह करके अपने साथ जोड़ लिया।

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