लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स
31 March 20238 mins 13 secs
क्या नाम कि मैं जहाँ जाता हूँ, वहीं कुछ-न-कुछ लोग मेरे पीछे पड़ जाते हैं, और आ-आकर मुझे दिक करते हैं। बम्बई में भी भले आदमियों से गला न छूटा। यह तो होता नहीं कि आकर एक मोहर मेरे चरणों पर रखें और तब अपनी कथा सुनायें। बस आकर लगते हैं अपनी कथा सुनाने और चाहते हैं कि मैं सेंत-मेंत में उन्हें अनुष्ठान बता दूँ। तो यहाँ ऐसे उल्लू नहीं हैं।
30 March 202310 mins 30 secs
क्या नाम कि जब मैंने देखा कि अब तो मुझसे भूल हो ही गयी और बहुत खींचतान करने पर भी दो से बेशी न मिलेंगे, तो मैंने सोचा, लाओ और कुछ न सही तो इसके सौ पचास रुपये भोजनों में ही बिगाड़ दो। यह भी क्या समझेगा कि किसी से पाला पड़ा था। बस, मैंने शंकर भगवान् का सुमिरन किया और विनती की-हे उमापति, अब तुम्हीं मेरी रक्षा करो, मैं तो अब प्राणों से हाथ धोकर भोजन पर जुटता हूँ।
29 March 202311 mins 53 secs
क्या नाम है कि मैं पण्डित मोटेराम वल्द पण्डित छोटेराम स्वर्गवासी, साकिन विश्वनाथपुरी जो शंकर भगवान के तिरसूल पर बसी है, आज बम्बई में दनदना रहा हूँ। एक यजमान सेठजी ने तार भेजा, हम बड़े संकट में हैं, तुरन्त आओ। तार के साथ डबल तीसरे दरजे का किराया भी। इसलिए हमने चटपट बम्बई को प्रस्थान कर दिया! अपने यजमान पर संकट पड़े, तो हम कैसे रुक सकते थे।
28 March 202310 mins 13 secs
क्या नाम कि कुछ समझ में नहीं आता कि डेरी और डेरी फार्म में क्या सम्बन्ध! डेरी तो कहते हैं उस छोटी-सी सादी सजिल्द पोथी को, जिस पर रोज-रोज का वृत्तान्त लिखा जाता है और जो प्राय: सभी महान् पुरुष लिखा करते हैं और डेरी फार्म उस स्थान को कहते हैं जहाँ गायें-भैंसें पाली जाती हैं और उनका दूध, मक्खन, घी तैयार किया जाता है।
26 March 202310 mins 47 secs
यूनानी स्त्री-पुरूषों के झुंड-के-झुंड उमड़ पड़े और पासोनियस के द्वार पर खड़े होकर चिल्लाने लगे-यही देशद्राही है!
पासोनियस के कमरे की रोशनी ठंडी हो गयी, संगीत भी बंद था; लेकिन द्वार पर प्रतिक्षण नगरवासियों का समूह बढ़ता जाता था और रह-रह कर सहस्त्रों कंठो से ध्वनि निकलती थी—यही देशद्रोही है!
लोगों ने मशालें जलायी और अपने लाठी-डंडे संभाल कर मकान में घुस पड़े। कोई कहता था—सिर उतार लो। कोई कहता था—देवी के चरणों पर बलिदान कर दो। कुछ लोग उसे कोठे से नीचे गिरा देने पर आग्रह कर रहे थे।
24 March 20237 mins 56 secs
ईरान और यूनान में घोर संग्राम हो रहा था। ईरानी दिन-दिन बढ़ते जाते थे और यूनान के लिए संकट का सामना था। देश के सारे व्यवसाय बंद हो गये थे, हल की मुठिया पर हाथ रखने वाले किसान तलवार की मुठिया पकड़ने के लिए मजबूर हो गये, डंडी तौलने वाले भाले तौलते थे। सारा देश आत्म-रक्षा के लिए तैयार हो गया था। फिर भी शत्रु के कदम दिन-दिन आगे ही बढ़ते आते थे। जिस ईरान को यूनान कई बार कूचल चुका था, वही ईरान आज क्रोध के आवेग की भांति सिर पर चढ़ आता था।
23 March 202315 mins 0 secs
गाँव भर में रुक्मिन के शील-स्वभाव का बखान होता था, पर सत्संगी घाघ पयाग सब कुछ समझता था और अपनी नीति की सफलता पर प्रसन्न होता था। एक दिन बहू ने कहा —दीदी, अब तो घर में बैठे-बैठे जी ऊबता है। मुझे भी कोई काम दिला दो। रुक्मिन ने स्नेह सिंचित स्वर में कहा —क्या मेरे मुख में कालिख पुतवाने पर लगी हुई है ? भीतर का काम किये जा, बाहर के लिए मैं हूँ ही।
21 March 202312 mins 0 secs
प्रातःकाल का सुहावना समय था। नेपाल के महाराज सुरेंद्रविक्रमसिंह का दरबार सजा हुआ। राज्य के प्रतिष्ठित मंत्री अपने-अपने स्थान पर बैठे हुए थे। नेपाल ने एक बड़ी लड़ाई के पश्चात् तिब्बत पर विजय पायी थी। इस समय संधि की शर्तों पर विवाद छिड़ा था। कोई युद्ध-व्यय का इच्छुक था कोई राज्य-विस्तार का। कोई-कोई महाशय वार्षिक कर पर जोर दे रहे थे।
20 March 20238 mins 11 secs
साधु-संतों के सत्संग से बुरे भी अच्छे हो जाते हैं, किन्तु पयाग का दुर्भाग्य था, कि उस पर सत्संग का उल्टा ही असर हुआ। उसे गाँजे, चरस और भंग का चस्का पड़ गया, जिसका फल यह हुआ कि एक मेहनती, उद्यमशील युवक आलस्य का उपासक बन बैठा।
18 March 20237 mins 43 secs
प्रातःकाल चुनार के दुर्ग में प्रत्येक मनुष्य अचम्भित और व्याकुल था। संतरी चौकीदार और लौंडियाँ सब सिर नीचे किये दुर्ग के स्वामी के सामने उपस्थित थे। अन्वेषण हो रहा था परन्तु कुछ पता न चलता था।
उधर रानी बनारस पहुँची। परन्तु वहाँ पहले से ही पुलिस और सेना का जाल बिछा हुआ था। नगर के नाके बन्द थे। रानी का पता लगानेवाले के लिए एक बहुमूल्य पारितोषिक की सूचना दी गयी थी।
Followed