लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स
20 March 20238 mins 11 secs
साधु-संतों के सत्संग से बुरे भी अच्छे हो जाते हैं, किन्तु पयाग का दुर्भाग्य था, कि उस पर सत्संग का उल्टा ही असर हुआ। उसे गाँजे, चरस और भंग का चस्का पड़ गया, जिसका फल यह हुआ कि एक मेहनती, उद्यमशील युवक आलस्य का उपासक बन बैठा।
18 March 20237 mins 43 secs
प्रातःकाल चुनार के दुर्ग में प्रत्येक मनुष्य अचम्भित और व्याकुल था। संतरी चौकीदार और लौंडियाँ सब सिर नीचे किये दुर्ग के स्वामी के सामने उपस्थित थे। अन्वेषण हो रहा था परन्तु कुछ पता न चलता था।
उधर रानी बनारस पहुँची। परन्तु वहाँ पहले से ही पुलिस और सेना का जाल बिछा हुआ था। नगर के नाके बन्द थे। रानी का पता लगानेवाले के लिए एक बहुमूल्य पारितोषिक की सूचना दी गयी थी।
15 March 20232 mins 20 secs
सरस्वती पाठशाला में एक बार फिर सजावट और सफाई के दृश्य दिखाई दे रहे हैं। आज रोहिणी की शादी का शुभ दिन। शाम का वक्त, बसन्त का सुहाना मौसम। पाठशाला के दारो-दीवार मुस्करा रहे हैं और हरा-भरा बगीचा फूला नहीं समाता।
14 March 20237 mins 43 secs
सेठ जी के बड़े बेटे नरोत्तमदास कई साल तक अमेरिका और जर्मनी की युनिवर्सिटियों की खाक छानने के बाद इंजीनियरिंग विभाग में कमाल हासिल करके वापस आए थे। अमेरिका के सबसे प्रतिष्ठित कालेज में उन्होंने सम्मान का पद प्राप्त किया था। अमेरिका के अखबार एक हिन्दोस्तानी नौजवान की इस शानदार कामयाबी पर चकित थे। उन्हीं का स्वागत करने के लिए बम्बई में एक बड़ा जलसा किया गया था।
13 March 20238 mins 51 secs
सेठ पुरुषोत्तमदास पूना की सरस्वती पाठशाला का मुआयना करने के बाद बाहर निकले तो एक लड़की ने दौड़कर उनका दामन पकड़ लिया। सेठ जी रुक गये और मुहब्बत से उसकी तरफ देखकर पूछा—क्या नाम है?
लड़की ने जवाब दिया—रोहिणी।
सेठ जी ने उसे गोद में उठा लिया और बोले—तुम्हें कुछ इनाम मिला?
लड़की ने उनकी तरफ बच्चों जैसी गंभीरता से देखकर कहा—तुम चले जाते हो, मुझे रोना आता है, मुझे भी साथ लेते चलो।
12 March 20235 mins 51 secs
एक दिन चैनसिंह को किसी काम से कचहरी जाना था. पांच मील का सफ़र था. यों तो वह बराबर अपने घोड़े पर जाया करता था; पर आज धूप बड़ी तेज़ हो रही थी, सोचा एक्के पर चला चलूं. महावीर को कहला भेजा मुझे लेते जाना.
11 March 20235 mins 26 secs
जवानी जोश है, बल है, दया है, साहस है, आत्म-विश्वास है, गौरव है और सब कुछ जो जीवन को पवित्र, उज्ज्वल और पूर्ण बना देता है. जवानी का नशा घमंड है, निर्दयता है, स्वार्थ है, शेखी है, विषय-वासना है, कटुता है और वह सब कुछ जो जीवन को पशुता, विकार और पतन की ओर ले जाता है. चैनसिंह पर जवानी का नशा था.
10 March 202311 mins 52 secs
मुलिया हरी-हरी घास का गट्ठा लेकर आई, तो उसका गेहुआं रंग कुछ तमतमाया हुआ था और बड़ी-बड़ी मद-भरी आंखों में शंका समाई हुई थी. महावीर ने उसका तमतमाया हुआ चेहरा देखकर पूछा-क्या है मुलिया, आज कैसा जी है? मुलिया ने कुछ जवाब न दिया-उसकी आंखें डबडबा गईं!
7 March 20233 mins 19 secs
वही अमावस्या की रात्रि थी। किंतु दीपमालिका अपनी अल्प जीवनी समाप्त कर चुकी थी। चारों ओर जुआरियों के लिए यह शकुन की रात्रि थी क्योंकि आज की हार साल भर की हार होती है। लक्ष्मी के आगमन की धूम थी।
7 March 202313 mins 34 secs
हकीम जी उस समय अपने रामबाण बिदु का विज्ञापन लिखने में व्यस्त थे। उस विज्ञापन की भावप्रद भाषा तथा आकर्षण-शक्ति देख कर कह नहीं सकते कि वे वैद्य-शिरोमणि थे या सुलेखक विद्यावारिधि।