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मंटो के अफसाने

सुनिए मंटो का अफसाना : साढ़े तीन आने

25 March 2023

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15:19
इस कहानी में सत्ता पर तंज़ किया गया है। कत्ल के इल्जाम में जेल गए एक शख्स की कहानी को मंटो ने बखूबी लिखा है. ये शख्स जेल से बाहर आने के बाद एक कैफे़ में बैठ कर सामाजिक अन्याय की बात करता है कि किस तरह ये समाज एक-एक ईमानदार इंसान को चोर और क़ातिल बना देता है...

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सभी 154 एपिसोड

रात-रात में ये ख़बर शहर के इस कोने से उस कोने तक फैल गई कि अतातुर्क कमाल मर गया है। रेडियो की थरथराती हुई ज़बान से ये सनसनी फैलाने वाली ख़बर ईरानी होटलों में सट्टेबाज़ों ने सुनी जो चाय की प्यालियां सामने रखे आने वाले नंबर के बारे में क़ियास दौड़ा रहे थे और वो सब कुछ भूल कर कमाल अतातुर्क की बड़ाई में गुम हो गए...

एक मद्रासी डॉक्टर के दूसरे प्रेम-विवाह की त्रासदी पर आधारित कहानी। वह डॉक्टर बेहद बेतकल्लुफ़ था। अपने दोस्तों पर बेहिसाब ख़र्च किया करता था। तभी उसकी एक औरत से दोस्ती हो गई जो उस से पहले अपने तीन शौहरों को तलाक़़ दे चुकी थी...

ये कहानी है विभाजन के दौरान फसादात में फंसी एक तवायफ और उसकी मां की. जब दंगे ज्यादा बढ़ गए तो तवायफ ने मां से पाकिस्तान चले चलने की इच्छी जाहिर की लेकिन उसकी मां नहीं मानी. तवायफ अकेले ही पाकिस्तान चली जाती है लेकिन फिर...

ये कहानी है बंगाल के अकाल की. सकीना नाम की एक लड़की जो भूख के मारे एक प्रोफेसर के घर में घुस जाती है. बीमार प्रोफेसर उसे अपने घर में पनाह दे देता है लेकिन मरते वक्त वो अपनी आखिरी इच्छा सकीना के सामने रखता है...

सग़ीर ने इम्तियाज़ को एक शादी की तक़रीब में देखा। उसकी सिर्फ़ एक झलक उसे दिखाई दी थी। मगर वो उस पर सौ जान से फ़रेफ़्ता हो गया और उसने दिल में अह्द कर लिया कि वो उसके इलावा और किसी को अपनी रफीक़ा-ए-हयात नहीं बनाएगा...

बड़े ने मुड़ कर देखा। एक लड़की थी जो सर्दी में ठिठुरती, कांपती, क़दमों से रास्ता टटोलते उनकी जानिब आ रही थी। जब पास पहुंची तो उसने देखा कि अंधी है, आंखें खुली थीं मगर उसको सुझाई नहीं देता था क्योंकि खंबे के साथ वो टकराते टकराते बची थी...
 

ये एक ऐसे शख्स की कहानी है जिसके पास ऐशो आराम की हर चीज मौजूद होती है लेकिन फिर भी वो उदास रहता है. उसे किसी भी काम में अब वो लुत्फ नहीं आता जो उसकी गरीबी के दिनों में आता था....

कुत्ता फिर भोंका। अब उसकी आवाज़ और भी नज़दीक से आई थी। चंद लम्हात के बाद दूर झाड़ियों में आहट हुई। बनता सिंह उठा और उसकी तरफ़ बढ़ा। जब वापस आया तो उसके साथ एक आवारा सा कुत्ता था जिसकी दुम हिल रही थी। वो मुस्कुराया, “जमादार साहब, मैं हो कमर इधर बोला तो कहने लगा, मैं हूँ चपड़ झुन झुन!” 
 

यह एक आज़ादी के दीवाने मंगू कोचवान की कहानी है। एक दिन उसे पता चलता है कि भारत में नया क़ानून आने वाला है, जिससे भारत से अंग्रेज़ राज ख़त्म हो जाएगा। इसी खु़शी में वह क़ानून लागू होने वाली तारीख़ वाले दिन एक अंग्रेज़ के साथ झगड़ा करता है और जेल पहुँच जाता है...
 

खज़ाने का बड़ा अफ़सर मुंशी करीम बख़्श के एक मुरब्बी और मेहरबान जज का लड़का था। जज साहब की वफ़ात पर उसे बहुत सदमा हुआ था। अब वो हर महीने उनके लड़के को सलाम करने की ग़रज़ से ज़रूर मिलता था...

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