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ये कहानी है एक ऐसी औरत की जो भारत के विभाजन के दौरान अपनी बेटी के गुम हो जाने पर पागल हो जाती है. वो
मंटो के अफसाने

सुनिए मंटो का अफसाना : ख़ुदा की क़सम

8 February 2023

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ये कहानी है एक ऐसी औरत की जो भारत के विभाजन के दौरान अपनी बेटी के गुम हो जाने पर पागल हो जाती है. वो हर जगह बेटी को तलाशती है लेकिन हासिल कुछ नहीं होता. एक दिन उस औरत ने एक बाज़ार में अपनी बेटी को देखा, पर बेटी ने मां को पहचानने से इनकार कर दिया...

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इस कहानी में सत्ता पर तंज़ किया गया है। कत्ल के इल्जाम में जेल गए एक शख्स की कहानी को मंटो ने बखूबी लिखा है. ये शख्स जेल से बाहर आने के बाद एक कैफे़ में बैठ कर सामाजिक अन्याय की बात करता है कि किस तरह ये समाज एक-एक ईमानदार इंसान को चोर और क़ातिल बना देता है...

ये एक ऐसे लकवाग्रस्त बच्चे की दास्तां हैं जो अपनी बीमारी से बहादुरी के साथ मुकाबला करता है. वो अस्पताल में सभी मरीजों से खुशदिल होकर मिलता, सबकी खैरियत पूछता. अस्पताल के कर्मचारी भी उसे काफी पसंद करते थे. जब उसका अस्पताल से डिस्चार्ज होने का दिन आया तो...
 

यह कहानी है गुजरात के एक बनिये की जो भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान जाकर रियल स्टेट का काम करने लगता है. वो खूब पैसा कमाता है लेकिन उसे सुकून नहीं मिलता. फिर उसने एक मौलाना की तकरीर सुनी और लोगों को शहीद करने का ठेका ले लिया...

ये कहानी है एक ऐसे शराबी डॉक्टर की जो अपने दोस्तों को शराब न पिलाने से बचने के लिए घर पर ही शराब पीने की योजना बनाता है. उसकी बीवी को शराब और शराबी दोनों से नफरत होती है. इसलिए डॉक्टर तरकीब निकालता है कि कैसे वो घर में शराब भी पी ले और बीवी को पता भी न चले...
 

इस कहानी में मंटो ने उन अमीर घर के मर्दों का जिक्र किया है जो अपने यहां काम करने वाली  ग़रीब, पीड़ित और कमसिन लड़कियों का यौन शोषण करते हैं. शादां नाम की एक लड़की ख़ान बहादुर मोहम्मद असलम ख़ान के घर काम करती थी और फिर एक दिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है...

अमृतसर से स्शपेशल ट्रेन दोपहर दो बजे को चली और आठ घंटों के बाद मुग़लपुरा पहुंची। रास्ते में कई आदमी मारे गए। कई ज़ख़्मी हुए और कुछ इधर उधर भटक गए। सुबह दस बजे कैंप की ठंडी ज़मीन पर जब सिराजुद्दीन ने आंखें खोलीं और अपने चारों तरफ़ मर्दों, औरतों और बच्चों का एक बेचैन समंदर देखा तो उसकी सोचने समझने की ताकत और भी कमजोर हो गई। वो देर तक गदले आसमान को टकटकी बांधे देखता रहा। यूं तो कैंप में हर तरफ़ शोर बरपा था। लेकिन बूढ़े सिराजुद्दीन के कान जैसे बंद थे। उसे कुछ सुनाई नहीं देता था। कोई उसे देखता तो ये ख़याल करता कि वो किसी गहरी फ़िक्र में डूबा है मगर ऐसा नहीं था। उसके होश-ओ-हवास सुन्न थे। उसका सारा वजूद ख़ला में मुअल्लक़ था। 

ये कहानी है एक ऐसे युवक की जो अपने पिता का इलाज कराने के लिए अस्पताल आता-जाता रहता है. इसी दरम्यान उसे एक नर्स से मोहब्बत हो जाती है. वो नर्स से अपने प्यार का इजहार करने ही वाला होता है कि...
 

ये कहानी है एक ऐसे शख्स की जो आजाद खयाल है, जो भीड़ से हटकर चलना चाहता है.  वो सीधे रास्ते से हटकर कुछ अनोखा करने की धुन में रहता था. एक दिन अपनी इन्फ़िरादियत पसंदी के हाथों मजबूर हो कर एक रात अपनी निकाही बीवी को ही ससुराल से भगा ले जाता है...
 

बिलक़ीस की मां आती है। एक अधेड़ उम्र की औरत बहुत ग़ुस्सैली। उसके चेहरे के ख़द्द-ओ-ख़ाल से साफ़ अयां है कि वो एक जाबिर मां है। आते ही बिलक़ीस को डांटती है, “ये जो मैं दो घंटे से तुझे बुला रही हूं तू ने कानों में रूई ठूंस रखी है क्या?” 

नन्हा राम, नन्हा तो था, लेकिन शरारतों के लिहाज़ से बहुत बड़ा था। चेहरे से बेहद भोला भाला मालूम होता था। कोई ख़त या नक़्श ऐसा नहीं था जो शोख़ी का पता दे। उसके जिस्म का हर अ’ज़ो भद्दे पन की हद तक मोटा था। जब चलता था तो ऐसा मालूम होता था कि फुटबाल लुढ़क रहा है...

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