हिट एंड रन जैसा वायरस
जब हमारे शरीर में मौजूद वायरस 'लोड पीक' पर पहुँच जाता है तब हम बीमार पड़ते हैं और लक्षण दिखने लगते हैं।
ऐसे में लक्षण ना दिखने के बावजूद भी वायरस शरीर में मौजूद होता है और एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
मरीज के अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति तक पहुँचाने में वायरल लोड को करीब एक हफ्ते का समय लगता है।
प्रोफेसर लेहनर कहते हैं, “यह खुद के विकास का एक शानदार तरीका है। यह मरीज को तुरंत अस्पताल नहीं पहुँचाता बल्कि ठीक महसूस कराता है, आराम से बाहर घूमने देता है ताकि वायरस और फैल सके।”
इसलिए कोरोना वायरस उस ड्राइवर की तरह है जो दुर्घटना करके तुरंत भाग जाता है। वायरस भी किसी संक्रमित व्यक्ति के ठीक होने या मरने से पहले तुरंत ही दूसरे व्यक्ति में भी चला जाता है।
साल 2002 के मूल सार्स-कोरोना वायरस और मौजूदा कोरोना वायरस में ये बहुत बड़ा अंतर है।
मूल सार्स-कोरोना वायरस में लोगों के बीमार होने यानी लक्षण दिखने के बाद संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा होता था जिससे उन्हें आईसोलेट करना आसान हो जाता था।
जब हमारे शरीर में मौजूद वायरस 'लोड पीक' पर पहुँच जाता है तब हम बीमार पड़ते हैं और लक्षण दिखने लगते हैं।
ऐसे में लक्षण ना दिखने के बावजूद भी वायरस शरीर में मौजूद होता है और एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
मरीज के अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति तक पहुँचाने में वायरल लोड को करीब एक हफ्ते का समय लगता है।
प्रोफेसर लेहनर कहते हैं, “यह खुद के विकास का एक शानदार तरीका है। यह मरीज को तुरंत अस्पताल नहीं पहुँचाता बल्कि ठीक महसूस कराता है, आराम से बाहर घूमने देता है ताकि वायरस और फैल सके।”
इसलिए कोरोना वायरस उस ड्राइवर की तरह है जो दुर्घटना करके तुरंत भाग जाता है। वायरस भी किसी संक्रमित व्यक्ति के ठीक होने या मरने से पहले तुरंत ही दूसरे व्यक्ति में भी चला जाता है।
साल 2002 के मूल सार्स-कोरोना वायरस और मौजूदा कोरोना वायरस में ये बहुत बड़ा अंतर है।
मूल सार्स-कोरोना वायरस में लोगों के बीमार होने यानी लक्षण दिखने के बाद संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा होता था जिससे उन्हें आईसोलेट करना आसान हो जाता था।