पश्चिम उत्तर प्रदेश में राजनीति की दृष्टि से खतौली उप चुनाव के नतीजों ने कई संदेश दिए हैं। BJP के इस सियासी दुर्ग को भाजपा के छत्रप नहीं बचा पाए। रालोद ने जाट, गुर्जर, मुस्लिम और दलितों के साथ जातीय समीकरण साध भाजपा से यह सीट छीन ली।
वहीं चुनावी नतीजे से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में चौधरी जयंत सिंह का कद बढ़ा है और उनके सटीक चुनावी प्रबंधन व जुझारूपन ने जीत का बड़ा अंतर तय किया।
चौधरी जयंत ने इस चुनाव में 50 से अधिक गांवों का दौरा किया। तीन गांवों फहीमपुर कलां, खोकनी और बिहारीपुर में घर-घर जाकर मतदाता पर्चियां बांटीं। विक्रम सैनी को सजा सुनाए जाने के बाद रिक्त सीट पर हुए उप चुनाव में भाजपा ने जहां विक्रम सैनी की पत्नी को प्रत्याशी बनाया। वहीं गठबंधन ने मुकाबले में गुर्जर प्रत्याशी मदन भैया को मैदान में उतारा।
उपचुनाव में गुर्जरों और परंपरागत जाट मतदाताओं के साथ मुस्लिमों का साथ उन्हें मिला। आसपा अध्यक्ष चंद्रशेखर को साथ लाकर दलित मतदाताओं को भी साधा। रालोद के साथ सपा और आसपा के पदाधिकारियों की टीमों को गांवों में उतारकर चुनावी प्रबंधन की कमान अपने हाथ में रखी।
वहीं नोएडा के श्रीकांत त्यागी प्रकरण के बाद त्यागी समाज में नाराजगी थी। रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी और श्रीकांत त्यागी ने खुद आकर त्यागी बहुल गांवों में सभा की। जिसका नुकसान भाजपा को हुआ। राजपूत बहुल गांवों में मतदाता उदासीन रहे।
भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सभा करने आए, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, केशव प्रसाद मौर्य ने सभा की। भाजपा के संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने बूथ सम्मेलन किए। क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल, केंद्रीय पशुधन राज्य मंत्री संजीव बालियान और प्रदेश सरकार में कौशल विकास राज्य मंत्री कपिलदेव अग्रवाल चुनाव की कमान संभाले रहे।