प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को क्रांति भूमि में खेल विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने के साथ ही भाजपा के सरोकारों को भी साधेंगे। पहले कृषि कानूनों की वापसी और अब खेल, खिलाड़ियों को तोहफा। जाहिर है, पीएम मोदी का दौरा अगले माह प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिम से भाजपा का सियासी सूरज उगाने की प्रष्ठभूमि तैयार करेगा। प्रथम स्वाधीनता संग्राम के उद्गम स्थल बाबा औघड़नाथ (काली पल्टन) मंदिर जाकर वह आजादी के अमृत महोत्सव में शहीदों को नमन करेंगे, साथ ही बाबा औघड़धानी के दर्शन कर उसे बाबा विश्वनाथ धाम से जोड़कर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे को भी धार देंगे।
खेती, खिलाड़ियों के लिए उर्वरा क्रांति भूमि में प्रधानमंत्री के दौरे की शुरुआत बाबा औघड़नाथ मंदिर से होगी।
कहा जाता है कि मंदिर के पुजारियों के उलाहना देने पर इस पल्टन के सैनिकों ने अंग्रेजी हुकूमत से विद्रोह कर दिया था। शहीद स्मारक और बाबा औघड़नाथ मंदिर के दर्शन को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में जोड़ने के खास मायने हैं। वे आजादी के 75वें साल में वे शहीदों को श्रद्धासुमन भेंट करेंगे तो क्रांति धरा के स्वाभिमान से खुद को जोड़ लेंगे।
बाबा औघड़नाथ मंदिर जाकर उसे श्रीकाशी विश्वनाथ धाम से जोड़ेंगे, जिसका लोकार्पण उन्होंने पिछले महीने ही किया है। यह भाजपा के सांस्कृतिक एजेंडे का हिस्सा है। वह अयोध्या के राम मंदिर और मथुरा की भी याद दिला सकते हैं। माना जा रहा है कि ध्रुवीकरण की प्रयोशाला समझी जाने वाली पश्चिमी यूपी में प्रधानमंत्री का दौरा भाजपा के लिए टॉनिक का काम कर सकता है।
प्रतीकों के जरिये समीकरण पर नजर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रतीकों के जरिये संदेश देने में माहिर हैं। वह बाबा शाहमल, धन सिंह कोतवाल और मातादीन वाल्मीकि जैसे 1857 की क्रांति के नायकों के बलिदान, खेती किसानी में पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह के योगदान और शहीदों के गांव भामौरी का गुणगान करके उनसे जुड़े लाखों लोगों से कनेक्ट कर सकते हैं। पीएम या उनकी मौजूदगी में सीएम योगी किसानों, खिलाड़ियों के लिए कोई एलान भी कर सकते हैं।
अटल-आडवाणी आ चुके हैं काली पल्टन मंदिर
औघड़नाथ मंदिर के जीर्णोद्धार का शुभारंभ 1957 में भले ही तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू ने किया था लेकिन बतौर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसमें आने वाले पहले राजनेता होंगे। अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी समेत कई प्रमुख नेता यहां आ चुके हैं।
कृषि कानून वापसी के बाद पश्चिमी यूपी में पहली सभा
कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन भले ही पंजाब और हरियाणा से शुरू हुआ था, लेकिन बाद में इसका केंद्र पश्चिमी यूपी बना। विधानसभा चुनाव से पहले मोदी ने पहले कृषि कानून वापस लेने का एलान किया। जिसके बाद भाजपा नेताओं की आवाजाही भी गांवों तक बढ़ गई। कृषि कानूनों की वापसी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री पश्चिमी यूपी में होंगे। बड़ी संख्या में किसान भी उन्हें सनुने पहुंचेंगे। संबोधन से पहले वह किसानों के बाद युवाओं को लुभाने के लिए मेजर ध्यानचंद खेल यूनिवर्सिटी का शिलान्यास करेंगे। यह प्रदेश की पहली खेल यूनिवर्सिटी है। देखने वाली बात होगी कि प्रधानमंत्री के रुख से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को कितना लाभ मिलने वाला है।