भारत सरकार के सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र ने इत्र नगरी कन्नौज में एक खास दुर्गंध बनाने में महारत हासिल की है। एफएफडीसी ने दुर्गंध फैलाने वाला एक ऐसा कैप्सूल बनाया जिसके फूटते ही अजीब सी भीषण बदबू पूरे वातावरण में फैल जाएगी जिसके संपर्क में आने के बाद इंसान वहां दो पल भी नहीं ठहर सकेगा।
सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र (एफएफडीसी) में तैयार हुआ दुर्गंध कैप्सूल जल्द भारतीय सेना का हथियार बनेगा। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट (डीआरडीई) ने इसका ट्रायल और टेस्टिंग कर इसे उपद्रवियों के खिलाफ प्रयोग किए जाने वाले हथियारों की श्रेणी में शामिल करने का फैसला लिया है।
एफएफडीसी के अधिकारियों ने भारत सरकार के रक्षा और गृह मंत्रालय को इसकी खूबियों के बारे में जानकारी दी। इसके अलावा हाल में ही एफएफडीसी का निरीक्षण करने आए लघु सूक्ष्म और मध्यम उद्योग राज्य मंत्री गिरिराज सिंह को विशेषज्ञों ने दुर्गंध कैप्सूल के बारे में जानकारी दी। इससे उन्होंने रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर इसकी विशेषताओं के बारे में लिखकर जानकारी दी। जिसके आधार पर रक्षा मंत्रालय ने डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (डीआरडीई) ग्वालियर मध्य प्रदेश को इसका ट्रायल करने का निर्देश दिया। इससे अब डिफेंस लैब ग्वालियर के रक्षा वैज्ञानिकों ने एफएफडीसी पहुंच कर इसका ट्रायल कर इसे भारतीय सेना में हथियार के रूप में शामिल करने का फैसला लिया है।
एफएफडीसी के डायरेक्टर शक्ति विनय शुक्ला ने बताया कि डिफेंस लैब ग्वालियर के रक्षा वैज्ञानिकों ने दुर्गंध के ट्रायल के लिए उनसे संपर्क किया है। जल्द वहां के वैज्ञानिक आकर इसका ट्रायल व इसकी क्षमता और खूबियों के बारे में जानकारी करने आएंगे।
इस तरह से होगा प्रयोग
दुर्गंध का प्रयोग कैप्सूल में भरने के साथ इसे आसानी से कांच की शीशियों में रखा जा सकता है। जवानों की टियर गन व दंगा निरोधक वैन के टियर थ्रो में कैप्सूल या कांच की शिशियों को भरा जा सकता है। ट्रिगर दबाते ही यह उपद्रवियों के पास गिरकर फूट जाएगी और हवा में दुर्गंध मिश्रित होकर उपद्रवियों की नाक में दम कर देगी। खास तौर पर जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजों के लिए यह कारगर हथियार साबित हो सकता है।