यहां अपने ही खून बहाने में लगे हैं। पिछले कुछ महीनों से ऐसे मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं, जिनमें बेटा, भाई, पत्नी, चाचा ही अपनों का खून बहा रहे हैं। किसी ने गुस्से में अपनों को मौत के घाट उतार दिया तो कोई लालच में अपनों की जान ले रहा है।
मनोचिकित्सक ऐसे मामलों के लिए तनाव भरी जिंदगी में सामूहिक परिवार नहीं होने के कारण गुस्सा जल्दी आना कारण मानते हैं।
यहां पिछले डेढ़ साल में अपनों के द्वारा हत्या किए जाने की घटनाएं काफी हुई हैं। खेकड़ा में बेटे ने अपने पिता की हत्या करा डाली थी। बिनौली के शाहपुर बाणगंगा में नलकूप ऑपरेटर की बेटे ने हत्या कर दी थी। बिजरौल में पत्नी ने अवैध संबंधों में पति की हत्या कर दी थी। वहीं बिनौली में भाई ने अपनी बहन को मार डाला था तो असारा में चाचा ने भतीजे को मार दिया था। बाखरपुर बालैनी में मां ने बेटी को मार दिया।
उधर, बड़ौत में युवक ने पिता व बहनों को मौत के घाट उतार दिया था तो असारा में भाइयों ने बहन व उसके प्रेमी की हत्या कर डाली थी। फखरपुर में चाचा ने बच्चे की हत्या कर डाली थी। बड़ौत में पिछले महीने ही बेटे ने प्रेमिका के चक्कर में मां की हत्या कर डाली थी।
वहीं शनिवार को तुगाना गांव में एक युवक ने अपनी मां पर चाकू से वार कर हत्या कर दी। इस तरह की घटनाओं को रोकना पुलिस के लिए भी बड़ी चुनौती है।
यहां पिछले कुछ दिनों में अधिकतर ऐसे मामले हुए हैं, जिनमें हत्या करने वाले परिवार के सदस्य हैं। पुलिस से कहा हुआ है कि अगर पारिवारिक झगड़े की कोई शिकायत मिलती है तो उस पर तुरंत संज्ञान लिया जाए। जिससे इस तरह की बड़ी घटनाओं को रोका जा सके। उसके बाद भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिनको रोकना बड़ी चुनौती है। - नीरज कुमार जादौन, एसपी