आगरा के शिल्पग्राम में बुधवार की शाम मशहूर गजल गायक पंकज उदास के नाम रही। उन्होंने ऐसे सुर साधे कि लोग झूम उठे। हुनर हाट का पंडाल देर रात तक खचाखच भरा रहा। पंकज उदास ने निकलो न बेनकाब जमाना खराब है... और चिठ्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है... गाया तो महफिल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी। पहले प्ले बैक सिंगर भूमिका मलिक और रीत मिश्रा ने भी अपनी गायकी से दर्शकों का दिल जीत लिया।
पंकज उदास ने बुधवार रात नौ बजे मंच संभाला। सबसे पहले चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल... गाया। गजल का सिलसिला शुरू हुआ, जो रफ्ता-रफ्ता बुलंद होता गया। दर्शकों की फरमाइश पर गजल की जगह पंकज ने फिल्मी गीत गाए। मोहरा फिल्म का गाना न कजरे की धार, न मोतियों का हार...। जिएं तो जिएं कैसे बिन आपके...। आखिर में चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई गाया, तो पंडाल में मौजूद श्रोता भाव विभोर हो गए।
पंकज उदास ने बुधवार रात नौ बजे मंच संभाला। सबसे पहले चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल... गाया। गजल का सिलसिला शुरू हुआ, जो रफ्ता-रफ्ता बुलंद होता गया। दर्शकों की फरमाइश पर गजल की जगह पंकज ने फिल्मी गीत गाए। मोहरा फिल्म का गाना न कजरे की धार, न मोतियों का हार...। जिएं तो जिएं कैसे बिन आपके...। आखिर में चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई गाया, तो पंडाल में मौजूद श्रोता भाव विभोर हो गए।