दीपक पूनिया, पहलवान
हरियाणा के लोग अपनी सभ्यता, परंपरा और मेहनत के बीज को कुछ यूं बोते हैं, कि पूरा देश तरक्की से हरा-भरा हो जाता है। इस सूबे की मिट्टी को अपने शरीर पर मलकर कई पहलवानों ने देश को कुश्ती में मेडल दिलाए हैं। दीपक पूनिया भी उन्हीं में से एक है। झज्झर के रहने वाले दीपक ने छत्रसाल स्टेडियम में सुशील कुमार, बजरंग पूनिया जैसे पहलवानों को देखकर कुश्ती के दांवपेंच में महारत हासिल की। दीपक ने जब कुश्ती शुरू की थी तब उनका लक्ष्य इसके जरिए नौकरी पाना था, जिससे वह अपने परिवार की देखभाल कर सके। मगर ओलंपिक मेडलिस्ट सुशील की सलाह, 'कुश्ती को अपनी प्राथमिकता बनाओ, नौकरी तुम्हारे पीछे भागेगी।' अब दीपक पूनिया देश के कई और पहलवानों के रोल मॉडल बन चुके हैं।
हरियाणा के लोग अपनी सभ्यता, परंपरा और मेहनत के बीज को कुछ यूं बोते हैं, कि पूरा देश तरक्की से हरा-भरा हो जाता है। इस सूबे की मिट्टी को अपने शरीर पर मलकर कई पहलवानों ने देश को कुश्ती में मेडल दिलाए हैं। दीपक पूनिया भी उन्हीं में से एक है। झज्झर के रहने वाले दीपक ने छत्रसाल स्टेडियम में सुशील कुमार, बजरंग पूनिया जैसे पहलवानों को देखकर कुश्ती के दांवपेंच में महारत हासिल की। दीपक ने जब कुश्ती शुरू की थी तब उनका लक्ष्य इसके जरिए नौकरी पाना था, जिससे वह अपने परिवार की देखभाल कर सके। मगर ओलंपिक मेडलिस्ट सुशील की सलाह, 'कुश्ती को अपनी प्राथमिकता बनाओ, नौकरी तुम्हारे पीछे भागेगी।' अब दीपक पूनिया देश के कई और पहलवानों के रोल मॉडल बन चुके हैं।