चारों ओर से आ रही भगदड और भयावह आवाजों के बीच कुशवाहा दंपति भी डर गये। चूंकि कुशवाहा परिवार में रोज सुबह और शाम के वक्त 'अग्निहोत्र यज्ञ' होता था। इसलिए उस काली रात में भी कुशवाहा परिवार ने अग्निहोत्र यज्ञ, त्र्यंबकम होम करना जारी रखा। इसके बाद लगभग 20 मिनट के अंदर ही उनका घर और उसके आस-पास का वातावरण 'मिथाइल आइसो साइनाइड गैस' से मुक्त हो गया। घटना के कुछ दिन बाद जब सबको इस बात की जानकारी हुई तो त्रासदी से बचे पीड़ित लोगों को ठीक करने और वातावरण से 'मिथाइल आइसो साइनाइड गैस' का प्रभाव दूर करने के लिए 'अग्निहोत्र यज्ञ' किया जाने लगा।