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Chanakya Niti: बच्चों के लिए दुश्मन की तरह होते हैं ऐसे माता-पिता, जानिए क्या कहती है चाणक्य नीति
ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: आशिकी पटेल Updated Mon, 05 Jun 2023 03:06 PM IST
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Chanakya Niti: बच्चों के लिए दुश्मन की तरह होते हैं ऐसे माता-पिता
- फोटो : अमर उजाला
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य जीवन दर्शन के महान पंडित माने जाते हैं। उन्होंने एक नीति शास्त्र की रचना की है, जिसमें अपने जीवन भर के तमाम अनुभवों को दर्ज किया है। चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरिए पाप-पुण्य, कर्तव्य और अधर्म-धर्म के बारे में बताया है। इनकी नीतियों के जरिए व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर बना सकता है। चाणक्य की नीतियां देशभर में प्रसिद्ध हैं। चाणक्य की नीतियों के जरिए कोई भी इंसान अपने जीवन के बेहतरीन बना सकता है। चाणक्य ने अपनी नीति में धर्म-अधर्म, कर्म, पाप-पुण्य के अलावा सफलता के भी कई मंत्र बताए हैं। साथ ही उन्होंने माता-पिता की कुछ आदतों के बारे में बताया है, जो अपनी ही संतान का दुश्मन बना देती हैं। आइए जानते हैं उन आदतों के बारे में...
Chanakya Niti: बच्चों के लिए दुश्मन की तरह होते हैं ऐसे माता-पिता
- फोटो : istock
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माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः ।
न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये वको यथा
चाणक्य ने इस श्लोक में बताया है कि जिन माता पिता ने अपने बच्चों की शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया, वे बच्चों के शत्रु के समान होते हैं। अशिक्षित बच्चों को यदि विद्वानों के साथ बैठा दिया जाए तो वे तिरस्कृत महसूस करते हैं। विद्वानों के समूह में अशिक्षित बच्चों की वही स्थिति होती है जैसे हंसों के झुंड में बगुले की स्थिति होती है। इसलिए माता-पिता को बच्चों की शिक्षा पर जरूर ध्यान देना चाहिए।
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Chanakya Niti: बच्चों के लिए दुश्मन की तरह होते हैं ऐसे माता-पिता
- फोटो : Parents bond
पुत्राश्च विविधैः शीलैर्नियोज्याः सततं बुधैः।
नीतिज्ञाः शीलसम्पन्ना भवन्ति कुलपूजिताः
चाणक्य नीति की इस श्लोक के अनुसार बच्चों में बचपन से जैसे बीज बोए जाएंगे वैसे ही फल सामने आएंगे, इसलिए माता-पिता का कर्तव्य है कि वे उन्हें ऐसे मार्ग पर चलाएं, जिससे उनमें शील स्वभाव का विकास हो।
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लालनाद् बहवो दोषास्ताडनाद् बहवो गुणाः ।
तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ताडयेन्नतुलालयेत् ।।
यदि बच्चों को ज्यादा प्यार दुलार करो तो वह बिगड़ जाते हैं और मनमौजी हो जाते हैं। चाणक्य के अनुसार बच्चे यदि कोई गलत काम करते हैं तो उन्हें पहले ही समझा-बुझाकर उस गलत काम से दूर रखने का प्रयत्न करना चाहिए। गलत कार्य करने पर बच्चों को डांटना भी चाहिए, ताकि उन्हें सही-गलत की समझ आए।
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ते पुत्रा ये पितुर्भक्ताः स पिता यस्तु पोषकः ।
तन्मित्रंयत्रविश्वासःसा भार्या यत्र निर्वृतिः
चाणक्य के अनुसार पिता का भी कर्तव्य है कि वह अपनी संतान का पालन-पोषण भली प्रकार से करे। जिन माता-पिता ने अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ लिया हो, उन्हें पुत्र से भी किसी बात की आशा नहीं करनी चाहिए।
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