सनातन धर्म में भगवान गणेश सर्वप्रथम पूजनीय देव हैं। किसी भी मांगलिक कार्य और पूजन के प्रारंभ से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि भगवान श्रीगणेश सुख-समृद्धि वाले देव हैं और उनकी कृपा से ही जीवन में सभी कार्य बिना विघ्न के पूर्ण होते हैं, इसलिए लोग भगवान गणेश की प्रतिमा को घर के मंदिर में विराजमान करते हैं।
श्रीगणेश की प्रतिमा लाने से पूर्व या घर में स्थापना से पूर्व यह सवाल सामने आता है कि श्रीगणेश जी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए ? क्या कभी आपने ध्यान दिया है कि भगवान गणेश की तस्वीरों और मूर्तियों में उनकी सूंड दाई या कुछ में बाई ओर होती है। सीधी सूंड वाले भगवान गणेश दुर्लभ हैं। इनकी एक तरफ मुड़ी हुई सूंड के कारण ही गणेश जी को वक्रतुण्ड कहा जाता है। भगवान गणेश के वक्रतुंड स्वरूप भी दो प्रकार के हैं। कुछ प्रतिमाओं में गणेशजी की सूंड बांयी ओर घूमी हुई होती है तो कुछ में दांयी ओर। गणपति जी की बांयी सूंड में चंद्रमा का और दांयी में सूर्य का प्रभाव माना गया है। गणेश जी की सीधी सूंड तीनों तरफ से दिखती है।
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